बेलसोनिका मजदूरों की क्रमिक भूख हड़ताल जारी

गुड़गांव/ बेलसोनिका प्रबंधन के खिलाफ बेलसोनिका यूनियन का संघर्ष जारी है। बेलसोनिका यूनियन दिनांक 4 मई 2023 से कंपनी गेट पर क्रमिक अनशन पर बैठी हुई है।
    

बेलसोनिका प्रबंधन ने अभी तक 17 श्रमिकों को बर्खास्त तथा 13 श्रमिकों को निलम्बित किया है। बेलसोनिका यूनियन पिछले लगभग 2 सालों से प्रबंधन द्वारा की जा रही छंटनी की साजिश का विरोध कर रही है तथा संघर्ष कर रही है। बेलसोनिका प्रबंधन ने जुलाई 2021 में 22 श्रमिकों को फर्जी दस्तावेजों का हवाला देकर आरोप पत्र थमा दिए थे। उसके बाद प्रबंधन ने 7 श्रमिकों को तथा चार पुराने ठेका श्रमिकों को और फर्जी दस्तावेजों के नाम पर आरोप पत्र दिए। प्रबंधन ने इन सभी श्रमिकों की जांच कार्यवाही कर सेवा बर्खास्तगी के प्रस्ताव सहित द्वितीय कारण बताओ नोटिस जारी किया था जिसमें से प्रबंधन 17 श्रमिकों को बर्खास्त भी कर चुका है।
    

बेलसोनिका यूनियन दिनांक 4 मई 2023 से क्रमिक अनशन पर बैठी हुई है। यूनियन को धरने पर अन्य फैक्टरियों का समर्थन प्राप्त हो रहा है। धरने पर खाने-पीने के जरूरी सामान का इंतजाम बेलसोनिका श्रमिकों द्वारा किया जा रहा है। मारुति के बर्खास्त साथियों की प्रोविजनल कमेटी लगातार मौजूद है। बेलसोनिका यूनियन के श्रमिक शिफ्ट समाप्ति के बाद धरने पर पहुंच रहे हैं तथा प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं। धरने को उठाने के लिए प्रबंधन पुलिस प्रशासन के चक्कर काट रहा है। प्रबंधन धरने को उठाने के लिए श्रम विभाग व पुलिस प्रशासन में शिकायत पत्र लगा चुका है। लेकिन प्रबंधन के पास ऐसा कोई आदेश नहीं है जिससे वह यूनियन के धरने को उठा सके। लेकिन फिर भी प्रबंधन मारुति प्रबंधन का साथ लेकर धरने को उठाना चाह रहा है। 
    

प्रबंधन यूनियन के धरने को उठाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। प्रबंधन ने यूनियन के धरने को उठाने के लिए श्रम विभाग, पुलिस-प्रशासन में शिकायत भी दर्ज कराई है। सहायक श्रम आयुक्त सर्कल-6 ने यूनियन को 11 मई 2023 को प्रबंधन की इस शिकायत पर बुलाया था। यूनियन ने कहा कि यूनियन की मांगों को प्रबंधन स्वीकार करें तो यूनियन धरना उठा सकती है, लेकिन बिना कोई समाधान के यूनियन धरना नहीं उठाएगी। आगे आने वाला समय यूनियन व श्रमिकों के लिए चुनौतीपूर्ण है। प्रबंधन पुलिस प्रशासन की शह पर धरने को उठाने की पुरजोर कोशिश करेगा। बेलसोनिका प्रबंधन ने श्रमिकों को यूनियन के धरने में शामिल ना हो, इसके लिए एक सार्वजनिक नोटिस भी फैक्टरी नोटिस बोर्ड पर लगाया है। प्रबंधन यह सब श्रमिकों को डराने व प्रताड़ित करने के लिए कर रहा है। लेकिन उसके बावजूद भी श्रमिक बिना डरे धरने में शामिल हो रहे हैं तथा प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे हैं। 
    

दिनांक 15 मई को सुबह 8 बजे भारी पुलिस बल धरने को उठाने धरना स्थल पर पहुंचा था। लेकिन वह अपनी योजना में सफल नहीं हो सका। यूनियन के दो पदाधिकारी सेक्टर 7 के एसएचओ से मिले। एसएचओ ने यूनियन नेताओं को कहा कि आप कानून एवं व्यवस्था की दिक्कत पैदा नहीं करोगे तो पुलिस आपके धरने पर कोई परेशानी नहीं करेगी। और साथ में यह भी कहा कि अगर अदालत का कोई आदेश आपके खिलाफ आता है तो हम आपको हटा देंगे। ऐसा होना मजदूर आंदोलन में सामान्य बात हो गयी है। पहले पुलिस स्वयं ही मजदूर आंदोलन को खत्म करने का प्रयास करती है और जब उसका बस नहीं चलता तो वह अदालत का सहारा लेकर ऐसा करती है। मजदूरों के मामले में पूंजीपतियों की पूरी मशीनरी मजदूरों के खिलाफ खड़ी हो जाती है। यूनियन भी योजना के तहत ही धरने को चला रही है और अपने संघर्ष को आगे बढ़ा रही है। 
         -गुड़गांव संवाददाता
    

आलेख

/idea-ov-india-congressi-soch-aur-vyavahaar

    
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

/ameriki-chunaav-mein-trump-ki-jeet-yudhon-aur-vaishavik-raajniti-par-prabhav

ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

/brics-ka-sheersh-sammelan-aur-badalati-duniya

ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती। 

/amariki-ijaraayali-narsanhar-ke-ek-saal

अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को