काकोरी के शहीदों की याद में विभिन्न कार्यक्रम

‘शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,

वतन पे मरने वालों का यही बाकी निशां होगा’

काकोरी के शहीद- रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह- हमारे देश के क्रांतिकारी नायक हैं। हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़े इन क्रांतिकारियों ने क्रांतिकारी आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिये 9 अगस्त, 1925 को लखनऊ के नजदीक काकोरी में ट्रेन रोककर सरकारी खजाना लूट लिया था। क्रांतिकारियों की यह कार्यवाही अंग्रेजी सत्ता को खुली चुनौती थी। बाद में अंग्रेजी सत्ता कई क्रांतिकारियों को गिरफ्तार करने में कामयाब हो गई और काकोरी कांड के नाम से एक मुकदमे का नाटक कर 17 दिसंबर, 1927 को राजेंद्र लाहिड़ी और 19 दिसंबर, 1927 को रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान और रोशन सिंह को फांसी पर चढ़ा दिया गया।

अपने देश, समाज और क्रांतिकारी उद्देश्यों की खातिर निर्भीकतापूर्वक मौत को गले लगाने वाले ये क्रांतिकारी हमारे देश की जनता के दिलों में बसते हैं। देश की जनता दिल से इनका सम्मान करती है। इन क्रांतिकारियों के अधूरे सपनों को पूरा करने के संघर्ष में जुटे लोग प्रति वर्ष इनके शहादत दिवस पर इन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। वे प्रभात फेरियां निकालते हैं, सभा-गोष्ठियां करते हैं और अपने नायकों के क्रांतिकारी विचारों से मजदूर-मेहनतकश जनता और युवा पीढ़ी को परिचित कराते हैं और समाजवाद हेतु क्रांतिकारी संघर्ष को जोर-शोर से आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हैं।

हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी काकोरी के शहीदों की याद में उनके शहीदी दिवस पर अनेकों कार्यक्रम आयोजित किये गये।

गुड़गांव के मानेसर में इंकलाबी मजदूर केंद्र द्वारा प्रभात फेरी निकाली गई जिसमें संगठन के कार्यकर्ताओं के अलावा अन्य मजदूरों ने भी भागीदारी की। प्रभात फेरी मानेसर के भांगरोला गांव, बांस गांव एवं काकरोला गांव स्थित मजदूर बस्तियों से होते हुये डिप्टी चौक पहुंची। इस दौरान ‘‘कौन बनाता हिंदुस्तान- भारत का मजदूर किसान’’, ‘‘अमर शहीदों का पैग़ाम- जारी रखना है संग्राम’’ जैसे क्रांतिकारी नारे लगाये गये और प्रसिद्ध क्रांतिकारी गीत ‘‘मेरा रंग दे बसंती चोला’’ से प्रभात फेरी का समापन किया गया और शहीदों के विचारों पर मजदूर आंदोलन को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया।

फरीदाबाद में इंकलाबी मजदूर केंद्र एवं परिवर्तनकामी छात्र संगठन द्वारा सेक्टर-55 में सभा कर क्रांतिकारी नारों एवं गीतों के साथ जुलूस निकाला गया। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि अशफाक और बिस्मिल की साझी शहादत ने हिंदुओं और मुसलमानों को एक होकर अंग्रेजों से लड़ने का संदेश दिया था। आज हमारे देश की सत्ता में मौजूद फासीवादी ताकतें भी ‘‘बांटो और राज करो’’ की ब्रिटिश साम्राज्यवादियों की नीति पर चल रही हैं। ये विघटनकारी ताकतें एक ओर समाज में हिंदू-मुसलमान के सांप्रदायिक वैमनस्य को गहरा कर रही हैं तो दूसरी ओर देश की संपदा को अडाणी-अम्बानी सरीखे इजारेदार पूंजीपतियों पर लुटा रही हैं। इन फासीवादी ताकतों को पीछे धकेलने के लिये हमें काकोरी के शहीदों से प्रेरणा लेनी होगी।

दिल्ली के शाहबाद डेरी में इंकलाबी मजदूर केंद्र, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन एवं क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन ने काकोरी के शहीदों की याद में सभा का आयोजन किया तदुपरांत क्रांतिकारी नारों एवं क्रांतिकारी गीतों के साथ जुलूस निकाला। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि इन क्रांतिकारियों का सपना एक ऐसे भारत का निर्माण करना था जहां पूंजीवादी शोषण का नामों-निशां भी न हो और दुनिया की दौलत पैदा करने वाले मजदूरों के हाथ में सत्ता हो। लेकिन आजाद भारत की सत्ता पूंजीपतियों के हाथ में आने का परिणाम यह निकला कि आजाद भारत की सरकारों ने देश की मजदूर-मेहनतकश जनता को पूंजीपतियों की गुलामी में धकेल दिया।

हरिद्वार में इंकलाबी मजदूर केंद्र, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, भेल मजदूर ट्रेड यूनियन, फूड्स श्रमिक संगठन, राजा बिस्कुट मजदूर संगठन, देव भूमि श्रमिक संगठन एवं जन अधिकार संगठन से जुड़े लोगों ने सिडकुल में जुलूस निकाला और लेबर चौक पर श्रृद्धांजलि सभा कर काकोरी के शहीदों को अपने श्रृद्धा सुमन अर्पित किये। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि आज सत्ता में बैठी फासीवादी ताकतें शहीद क्रांतिकारियों के विचारों ही नहीं उनके नामों को भी दफन करने की साजिशें रच रही हैं। ऐसे दौर में क्रांतिकारियों की हस्ती और उनके विचारों को जिंदा रखना एवं उनके अधूरे सपनों को पूरा करने के लिये पूंजीवाद और फासीवाद के विरुद्ध क्रांतिकारी आंदोलन को आगे बढ़ाने का संकल्प लेना ही वास्तव में काकोरी के शहीदों को सच्ची श्रृद्धांजलि होगी।

काशीपुर में इंकलाबी मजदूर केंद्र, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र एवं परिवर्तनकामी छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं ने स्थानीय पंत पार्क में एकत्रित होकर काकोरी के शहीदों को अपनी श्रृद्धांजलि अर्पित की।

इस दौरान हुई सभा की शुरुआत क्रांतिकारी गीत ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ से की गई। सभा में वक्ताओं ने कहा कि अंग्रेजों ने हमारे देश में जिस हिंदू-मुस्लिम नफरत का बीज बोया था वह आज पेड़ बन चुका है। हिंदू फासीवादी देश की सत्ता पर काबिज हैं। हिंदू-मुसलमान के सांप्रदायिक वैमनस्य को खतरनाक स्थितियों तक पहुंचा दिया गया है। मोदी सरकार पूंजीपतियों के इशारों पर काम कर रही है। निजीकरण की नीतियों के तहत देश की संपदा अडाणी-अंबानी सरीखे पूंजीपतियों को सौंपी जा रही है। कारपोरेट मीडिया चैनल अपने मालिक पूंजीपतियों के इशारों पर मोदी सरकार के गुणगान में जुटे हैं।

रामनगर में इंकलाबी मजदूर केंद्र, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, प्रगतिशील भोजन माता संगठन, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी एवं समाजवादी लोक मंच से जुड़े लोगों ने स्थानीय शहीद पार्क में श्रृद्धांजलि सभा कर काकोरी के शहीदों को अपने श्रृद्धा सुमन अर्पित किये।

सभा की शुरूआत रामप्रसाद बिस्मिल की मशहूर नज्म ‘सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है’ से की गई। तदुपरांत वक्ताओं ने कहा कि ये क्रांतिकारी ब्रिटिश साम्राज्यवादियों को देश से बाहर खदेड़ने के अलावा देश की मजदूर-किसान जनता को देश के पूंजीपतियों और जमींदारों के शोषण से भी मुक्ति दिलाना चाहते थे। ये क्रांतिकारी असल में 1917 की रूस की क्रांति से प्रभावित और प्रेरित थे।

हल्द्वानी में परिवर्तनकामी छात्र संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र और क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन ने नगर निगम सभागार में विचार गोष्ठी का आयोजन कर काकोरी के शहीदों को श्रृद्धांजलि अर्पित की।

इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि आज़ादी के आंदोलन के दौरान बिस्मिल और अशफाक की दोस्ती हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक़ बन चुकी थी। ये क्रांतिकारी हिंदू और मुस्लिम सांप्रदायिक ताकतों से घोर नफरत करते थे क्योंकि ये जानते थे कि जनता के बीच सांप्रदायिक वैमनस्य क्रांतिकारी आंदोलन को कमजोर करता है और ब्रिटिश साम्राज्यवादियों की सत्ता को मजबूत करता है। यह विडंबना ही है कि आज़ादी के आंदोलन के दौरान ब्रिटिश साम्राज्यवाद की पिट्ठू हिंदू सांप्रदायिक ताकतें आज देश की सत्ता पर काबिज हैं और पूरे समाज में सांप्रदायिक जहर घोल रही हैं। हिंदू फासीवादी अंग्रेजों की तरह ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति अपनाकर देश की जनता को आपस में बांट रहे हैं और कारपोरेट पूंजीपतियों के हितों में देश की नीतियां और कानून बना रहे हैं।

लालकुआं-बिंदुखत्ता में इंकलाबी मजदूर केंद्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन एवं प्रगतिशील महिला एकता केंद्र के कार्यकर्ताओं ने काकोरी के शहीदों को श्रृद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान एक परिचर्चा कर शहीदों के विचारों पर चलने का संकल्प व्यक्त किया गया।

बरेली में इंकलाबी मजदूर केंद्र और परिवर्तनकामी छात्र संगठन द्वारा प्रभात फेरी निकाल काकोरी के शहीदों को श्रृद्धांजलि अर्पित की गई। क्रांतिकारी नारों और गीतों के साथ प्रभात फेरी बंशी नगला से शुरू होकर अशोक नगर, मणिनाथ, नेकपुर से होते हुये अंततः बेनीपुर पर समाप्त हुई।

मऊ में इंकलाबी मजदूर केंद्र, ग्रामीण मजदूर यूनियन एवं क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन ने शहीदों की याद में क्रांतिकारी नारों एवं गीतों के साथ एक जुलूस निकाला। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि पूंजीवाद और फासीवाद को चुनौती देने के लिये इन क्रांतिकारियों के विचारों और इनके बलिदान से प्रेरणा लेनी होगी। इसके अलावा बलिया में शहीदों की याद में कमसड़ी व रतसड़ में सभा-जुलूस का कार्यक्रम आयोजित किया गया। -विशेष संवाददाता

आलेख

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