बनभूलपुरा हिंसा : फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट (अंश) भाग-1
(8 फरवरी को हल्द्वानी के मुस्लिम बहुल क्षेत्र बनभूलपुरा में नगर निगम एवं जिला प्रशासन द्वारा एक मदरसा और मस्जिद को ढहाने के दौरान हुई हिंसा, पथराव, आगजनी एवं पुलिस फा
(8 फरवरी को हल्द्वानी के मुस्लिम बहुल क्षेत्र बनभूलपुरा में नगर निगम एवं जिला प्रशासन द्वारा एक मदरसा और मस्जिद को ढहाने के दौरान हुई हिंसा, पथराव, आगजनी एवं पुलिस फा
आधा चुनाव बीतते-बीतते मोदी को मुंह खोलना पड़ गया। कोई आश्चर्य कर सकता है कि मोदी तो लगातार ही इतना बोलते रहते हैं कि भाजपा के दूसरों को बोलने को नहीं मिलता। और अब तो उन्हो
इकानोमिक टाइम्स के अनुसार जो हलफनामा अमित शाह ने भरा है उसके अनुसार पिछले पांच साल में उनकी सम्पत्ति में 100 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई। 2019 के लोकसभा चुनाव
आम चुनाव के पहले चरण के मतदान के बाद कुछ ऐसा हुआ कि मोदी एण्ड कम्पनी को लगने लगा कि चुनाव जीतना है तो अपने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करना होगा। मोदी का ब्रह्मास्त्र क्या था।
मोहन भागवत जो कि संघ प्रमुख हैं ने घोषणा की कि अगले साल 2025 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपने शताब्दी वर्ष का जश्न नहीं मनायेगा। उपलब्धियों का ढिंढोरा नहीं पीटेगा।
यह एक डच कहावत है। झूठ बोलने वाले की याददाश्त अच्छी नहीं होगी तो जल्द ही पकड़ा जायेगा। वह तभी पकड़ा जा सकता है जब उसको पकड़ने वालों की याददाश्त भी अच्छी हो। अन्यथा झूठ बोलने वाला झूठ बोलता जायेगा और क
लोकसभा चुनाव इस वक्त देश में चल रहे हैं। इन चुनावों में संघ-भाजपा मण्डली द्वारा अपने पक्ष में मतदान कराने के हर हथकंडे अपनाये जा रहे हैं। कहीं पुलिस-प्रशासन लोगों को भाजप
17 अप्रैल को खबर आयी कि छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में सुरक्षाकर्मियों के साथ मुठभेड़ में 29 ‘नक्सली/माओवादी’ मारे गये। दावा किया गया इसमें कई सीनियर माओवादी कमाण्डर थे। बताय
आज तेरह साल बाद बहुत कम लोगों को ‘अन्ना आंदोलन’ की याद रह गयी है। अन्ना हजारे स्वयं अपनी मांद में सिमट गये हैं जहां से कभी-कभी कुछ संघी पत्रकार विरोधियों को शर्मसार करने
देश के संघी प्रधानमंत्री ने खुलेआम मंच से घोषित कर दिया है कि उनका दस साल का शासन तो महज फिल्म का ट्रेलर था, असल फिल्म तो अभी आने वाली है। यह फिल्म कब आयेगी, लोक सभा के व
अमरीकी साम्राज्यवादी यूक्रेन में अपनी पराजय को देखते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध का विस्तार करना चाहते हैं। इसमें वे पोलैण्ड, रूमानिया, हंगरी, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों के सैनिकों को रूस के विरुद्ध सैन्य अभियानों में बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। इन देशों के शासक भी रूसी साम्राज्यवादियों के विरुद्ध नाटो के साथ खड़े हैं।
किसी को इस बात पर अचरज हो सकता है कि देश की वर्तमान सरकार इतने शान के साथ सारी दुनिया को कैसे बता सकती है कि वह देश के अस्सी करोड़ लोगों (करीब साठ प्रतिशत आबादी) को पांच किलो राशन मुफ्त हर महीने दे रही है। सरकार के मंत्री विदेश में जाकर इसे शान से दोहराते हैं।
आखिरकार संघियों ने संविधान में भी अपने रामराज की प्रेरणा खोज ली। जनवरी माह के अंत में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोदी ने एक रहस्य का उद्घाटन करते हुए कहा कि मूल संविधान में राम, लक्ष्मण, सीता के चित्र हैं। संविधान निर्माताओं को राम से प्रेरणा मिली है इसीलिए संविधान निर्माताओं ने राम को संविधान में उचित जगह दी है।
मई दिवस पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक दिवस है और 8 घंटे के कार्यदिवस का अधिकार इससे सीधे जुड़ा हुआ है। पहली मई को पूरी दुनिया के मजदूर त्यौहार की
सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है