राजनीति

हमारा मन तो मुर्गा लड़ान देखने का है

जब हमारे देश में मनोरंजन के साधन कम थे तो एक मनोरंजन का बढ़िया साधन मुर्गों की लड़ाई होती थी। जगह-जगह मुर्गों की लड़ाई देखने के लिए मजमा लग जाता था। कई बार मुर्गों के पंजों

संघियों को मुंह चिढ़ाता जेएनयू

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) भारतीय विश्वविद्यालयों में सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय है। इसकी तस्दीक अभी वैश्विक क्यू एस विश्व विद्यालय रैंकिंग में हुयी जिसके अनुस

‘‘बिना शर्त माफी’’ मतलब बंदर कभी गुलाटी मारना नहीं भूलता

10 अप्रैल को उच्चतम न्यायालय में जो हुआ वह मजेदार था। बाबा और उसका चेला न्यायालय में बिना शर्त माफी मांग रहा था पर दोनों न्यायधीश बाबा पर कतई मेहरबान नहीं थे। वे बाबा को

मोदी है तो मुमकिन है!

इस समय देश में एक ऐसा प्रधानमंत्री है जिसे विदेश विभाग के गंभीर मामलों से संबंधित जानकारी भी अखबारों की रिपोर्ट से मिलती है। और जब प्रधानमंत्री ऐसा हो तो विदेश मंत्री का

अरे! तुमने तो वामपंथ की लाज बचा ली

क्या कमाल हो गया है। विचित्र है किन्तु  सत्य है। इलेक्टोरल बाण्ड में हमारे सरकारी वामपंथी एकदम पाकसाफ होकर निकले हैं। एक भी रुपये का बाण्ड हमारे सरकारी वामपंथियों के नाम

‘‘अमीर या तो बदमाश होता है, या बदमाश का वारिस’’

यह एक पुरानी लैटिन कहावत है। पुरानी कहावतें जीवन के असली खजाने से निकल कर आती हैं। और ये कहावतें लम्बे समय तक और लम्बी-लम्बी दूरी तक चलती ही इसलिए हैं कि उनमें सच्चाई छुप

आधुनिक विज्ञान और आयुर्वेद

आजकल देश के संघी प्रधानमंत्री ‘विकास और विरासत’ की बहुत डींग हांक रहे हैं। फिलहाल ‘विकास’ को छोड़कर ‘विरासत’ की बात करें। ‘विरासत’ से इनका आशय हिंदू धार्मिक परंपराओं, स्थल

पूंजीपति वर्ग और कांग्रेस पार्टी

शेयर बाजार का एक मुहावरा है- ‘हेजिंग द बेट’। यानी दान को सुरक्षित करना। जब शेयर बाजार के खिलाड़ी चढ़ते शेयरों पर अपना दांव लगाते हैं तो साथ ही यह भी प्रबंध करते हैं कि यदि

बेशर्म अमीरी का प्रदर्शन

बीते दिनों टी वी चैनलों पर देश के सबसे अमीर आदमी मुकेश अम्बानी के लड़के अनंत अम्बानी की प्री वैडिंग (शादी पूर्व) समारोह छाया रहा। बालीवुड सितारे-क्रिकेट खिलाड़ी-बिल गेट्स-ज

ध्रुव राठी और दिलीप मण्डल

दो करोड़ से भी अधिक बार ध्रुव राठी (जो कि एक प्रसिद्ध यू ट्यूबर हैं) के एक वीडियो ‘‘द डिक्टेटर’’ को देखा जा चुका है। ध्रुव राठी वीडियो में जब ये पूछते हैं कि क्या भारत में

आलेख

अमरीकी साम्राज्यवादी यूक्रेन में अपनी पराजय को देखते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध का विस्तार करना चाहते हैं। इसमें वे पोलैण्ड, रूमानिया, हंगरी, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों के सैनिकों को रूस के विरुद्ध सैन्य अभियानों में बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। इन देशों के शासक भी रूसी साम्राज्यवादियों के विरुद्ध नाटो के साथ खड़े हैं।

किसी को इस बात पर अचरज हो सकता है कि देश की वर्तमान सरकार इतने शान के साथ सारी दुनिया को कैसे बता सकती है कि वह देश के अस्सी करोड़ लोगों (करीब साठ प्रतिशत आबादी) को पांच किलो राशन मुफ्त हर महीने दे रही है। सरकार के मंत्री विदेश में जाकर इसे शान से दोहराते हैं। 

आखिरकार संघियों ने संविधान में भी अपने रामराज की प्रेरणा खोज ली। जनवरी माह के अंत में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोदी ने एक रहस्य का उद्घाटन करते हुए कहा कि मूल संविधान में राम, लक्ष्मण, सीता के चित्र हैं। संविधान निर्माताओं को राम से प्रेरणा मिली है इसीलिए संविधान निर्माताओं ने राम को संविधान में उचित जगह दी है।
    

मई दिवस पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक दिवस है और 8 घंटे के कार्यदिवस का अधिकार इससे सीधे जुड़ा हुआ है। पहली मई को पूरी दुनिया के मजदूर त्यौहार की

सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है