बरेली/ दिनांक 18 जुलाई 2024 को पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय आह्वान पर बरेली (उत्तर प्रदेश) के दोनों सांसदों को संयुक्त किसान मोर्चा के घटक संगठन के तौर पर क्रांतिकारी किसान मंच के नेतृत्व में कई सामाजिक संगठनों द्वारा ज्ञापन दिया गया। सुबह 10ः00 बजे स्थानीय सांसद छत्रपाल गंगवार के आवास पर पहुंचकर सांसद को ज्ञापन दिया गया तथा सपा कार्यालय में सांसद नीरज मौर्य के शहर से बाहर होने के कारण प्रदेश प्रवक्ता मयंक शुक्ला मोंटी को ज्ञापन दिया गया।
संयुक्त किसान मोर्चा की 10 जुलाई 2024 को नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय परिषद की बैठक में चुनाव के बाद के परिदृश्य का आंकलन किया गया। केंद्र सरकार के सत्तारूढ़ गठबंधन को पांच राज्यों में उन 38 ग्रामीण लोकसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है जहां किसान आंदोलन मजबूत था। पूरे ग्रामीण भारत में सत्तारूढ़ गठबंधन ने 159 सीटें खो दी हैं। यह लंबे समय से चले आ रहे कृषि संकट का परिणाम है और यह भविष्य में कृषि नीतियों में बड़े बदलाव की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
बैठक में एनडीए-2 सरकार को एसकेएम और केन्द्र सरकार के बीच 9 दिसंबर 2021 को हुए समझौते के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार ठहराया गया, जिसमें लंबे समय से लंबित मांगें जैसे कि लाभकारी और गारंटीकृत एमएसपी के साथ खरीद, व्यापक ऋण माफी, बिजली के निजीकरण को निरस्त करना आदि शामिल हैं। 736 शहीदों के सर्वोच्च बलिदान और 384 दिनों - 26 नवंबर 2020 से 11 दिसंबर 2021 तक दिल्ली की सीमाओं पर लगातार और उग्र संघर्ष में भाग लेने वाले लाखों किसानों की पीड़ा की पृष्ठभूमि में, इस समझौते पर भारत सरकार के कृषि विभाग के सचिव ने हस्ताक्षर किए।
वर्तमान में भारत के मेहनतकश नागरिक व्यापक ऋणग्रस्तता, बेरोजगारी और महंगाई जैसी गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं। भारत में प्रतिदिन 31 किसान आत्महत्या कर रहे हैं। तीव्र कृषि संकट, किसानों की आत्महत्या, ग्रामीण से शहरी संकट पलायन और बढ़ती आय और धन असमानता को हल करने के लिए नीतियों में बदलाव आवश्यक है। इसलिए, एसकेएम ने कारपोरेट समर्थक नीतियों में बदलाव, 9 दिसंबर 2021 के समझौते को लागू करने और अन्य प्रमुख मांग, जिन्हें मांग पत्र के रूप में संलग्न किया गया है, को लेकर आंदोलन को फिर से शुरू करने का फैसला किया है।
इसी क्रम में किसानों के मांग पत्र का ज्ञापन स्थानीय स्तर पर सांसदों को देने का आह्वान किया गया था। बरेली में ज्ञापन देने वाले प्रतिनिधि मंडल में क्रांतिकारी किसान मंच, क्रान्तिकारी लोक अधिकार संगठन, इंकलाबी मजदूर केंद्र, मार्केट वर्कर एसोसिएशन, परिवर्तनकामी छात्र संगठन आदि शामिल रहे। इस ज्ञापन में किसानां की विभिन्न मांगों मसलन न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने, कृषि का अलग बजट बनाने, विश्व व्यापार संगठन के कृषि समझौते से बाहर आने, कृषि आगतों पर जीएसटी समाप्त करने, ऋण माफी की मांगें प्रमुख थीं। इसके अलावा आपराधिक कानून रद्द करने, वन अधिकार अधिनियम लागू करने, पूंजीपतियों पर टैक्स बढ़ाने, किसानों व खेत मजदूरों हेतु पेंशन, मनरेगा मजदूरी 600 रु. करने, 4 श्रम संहितायें रद्द करने, न्यूनतम मजदूरी 26,000 रु. करने की मांगें भी ज्ञापन में की गयी थीं।
-बरेली संवाददाता