गुड़गांव/ दिनांक 19 मई 2024 को बेलसोनिका यूनियन के नेतृत्व में मजदूर लघु सचिवालय गुरुग्राम पर इकट्ठा हुए। मजदूर बेलसोनिका प्रबंधन द्वारा दिनांक 15 मई 2024 को लगाए गए वी.आर.एस. नोटिस का विरोध कर रहे थे। मजदूरों ने सुबह 11 बजे से दोपहर दो बजे तक प्रदर्शन कर वी.आर.एस. नोटिस को वापिस लेने, खुली-छिपी छंटनी पर रोक लगाने, नौकरी से बर्खास्त 26 मजदूरों को काम पर वापिस लेने, स्थाई कार्य पर स्थाई रोजगार, समान कार्य पर समान वेतन इत्यादि मांगों का ज्ञापन उपायुक्त गुरुग्राम को दिया। इस विरोध प्रदर्शन में लगभग 150 मजदूरों ने भागीदारी की। इस विरोध प्रदर्शन में इंक़लाबी मजदूर केंद्र, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र व श्रमिक संग्राम कमिटी के कार्यकर्ताओं ने भी भागीदारी की।
ज्ञात हो कि बेलसोनिका प्रबंधन वर्ष 2021 से स्थाई श्रमिकों की छंटनी करने के लगातार प्रयास कर रहा है। वर्ष 2021 में भी बेलसोनिका प्रबंधन ने वी.आर.एस. के माध्यम से छंटनी के प्रयास किये थे। लेकिन उस समय यूनियन व श्रमिकों ने अपनी पूरी वर्गीय एकजुटता से प्रबंधन की मजदूरों को निकालने की नीति का विरोध किया था जिसके बाद बेलसोनिका प्रबंधन को वी.आर.एस. से कदम पीछे खींचने पड़े थे।
उसके बाद प्रबंधन ने सितंबर 2021 में फर्जी दस्तावेजों के नाम पर श्रमिकों पर हमला बोला। जबकि प्रबंधन के पास फैक्टरी में श्रमिकों की भर्ती का कोई क्राइटेरिया नहीं है। प्रबंधन के इस हमले के खिलाफ यूनियन लगातार वर्ष 2021 से संघर्ष करती आ रही है। प्रबंधन के इस हमले के खिलाफ यूनियन अपनी वर्गीय एकजुटता के साथ संघर्ष कर रही थी। यूनियन ने ठेका श्रमिकों को अपनी यूनियन में शामिल कर प्रबंधन के हमलों का मुंह तोड़ जवाब दिया। इसके बाद बेलसोनिका प्रबंधन ने श्रम विभाग व शासन-प्रशासन के साथ गठजोड़ कायम कर पिछले वर्ष यूनियन का पंजीकरण ही खारिज करवा दिया।
बेलसोनिका प्रबंधन ने अपने वी.आर. एस. के नोटिस में मंदी व घाटे का हवाला देकर श्रमिकों को वी.आर.एस. लेकर जाने की अपील की है लेकिन साथ ही प्रबंधन श्रमिकों को डरा-धमका कर नौकरी से निकालने की धमकी देकर मजदूरों को वी.आर.एस. लेने का दबाव बना रहा है। बेलसोनिका यूनियन प्रबंधन द्वारा वी.आर.एस. नोटिस में कही गई घाटे व मंदी की बातों को सिरे से खारिज करती है।
बेलसोनिका फैक्टरी मारुती सुजुकी की जाइंट वेंचर कंपनी है। बेलसोनिका में वर्तमान में तीनों शिफ्ट में उत्पादन कार्य हो रहा है और जो उत्पादन हो रहा है वह हाथों-हाथ मारुती में जा रहा है। जब मारुती फैक्टरी में मंदी व घाटा नहीं है तो बेलसोनिका प्रबंधन द्वारा मंदी व घाटे की बातें बेमानी हैं। इस वी.आर.एस. नोटिस से प्रबंधन की मंशा साफ जाहिर हो चुकी है कि वह स्थाई श्रमिकों की छंटनी कर उनके स्थान पर ठेके, नीम व प्रशिक्षण के नाम पर अधिकारविहीन व सस्ते मजदूर भर्ती कर अथाह मुनाफा कमाना चाहता है।
वहीं दूसरी ओर घाटे व मंदी की बात कर श्रमिकों की छंटनी के लिए वी.आर.एस. का नोटिस लगाने वाला प्रबंधन 5 लाख से 9 लाख रुपए मासिक वेतन प्राप्त कर रहा है। 35 हजार महीने कमाने वाले श्रमिकों से कह रहा है कि फैक्टरी में घाटा है।
बेलसोनिका प्रबंधन एक ठेका श्रमिक से 60 गुना व स्थाई श्रमिक से 25 गुना अधिक वेतन प्राप्त कर रहा है। प्रबंधन के वी.आर.एस. नोटिस से तो साफ प्रतीत होता है कि घाटा मजदूरों का, मुनाफा मालिकों का। बेलसोनिका यूनियन प्रबंधन के इस तर्क को खारिज करती है।
बेलसोनिका फैक्टरी में दिनांक 29 मार्च 2024 को श्रमिकों के एक समूह ने बहुमत से दूसरी यूनियन का गठन कर लिया है। दूसरी यूनियन की प्रबंधन के इस वी.आर.एस. से सहमति है। नई यूनियन ने वी.आर.एस. का कोई विरोध नहीं किया है। दिनांक 19 मई के विरोध-प्रदर्शन में बेलसोनिका यूनियन ने सभी श्रमिकों का आह्वान किया कि फैक्टरी में कार्य करने वाले सभी श्रमिक अपनी वर्गीय एकता बनाकर, प्रबंधन द्वारा किये गए इस हमले का मुंह-तोड़ जवाब दें। बेलसोनिका प्रबंधन का यह हमला मजदूरों की वर्गीय एकता पर हमला है। यूनियन ने आह्वान किया है कि कोई भी मजदूर वी.आर.एस. लेकर न जाये और डट कर प्रबंधन के खिलाफ यूनियन द्वारा किये जा रहे संघर्ष में भागीदारी करे। -गुड़गांव संवाददाता
बेलसोनिका : वी.आर.एस. के विरोध में मजदूर
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अब सवाल उठता है कि यदि पूंजीवादी व्यवस्था की गति ऐसी है तो क्या कोई ‘न्यायपूर्ण’ पूंजीवादी व्यवस्था कायम हो सकती है जिसमें वर्ण-जाति व्यवस्था का कोई असर न हो? यह तभी हो सकता है जब वर्ण-जाति व्यवस्था को समूल उखाड़ फेंका जाये। जब तक ऐसा नहीं होता और वर्ण-जाति व्यवस्था बनी रहती है तब-तक उसका असर भी बना रहेगा। केवल ‘समरसता’ से काम नहीं चलेगा। इसलिए वर्ण-जाति व्यवस्था के बने रहते जो ‘न्यायपूर्ण’ पूंजीवादी व्यवस्था की बात करते हैं वे या तो नादान हैं या फिर धूर्त। नादान आज की पूंजीवादी राजनीति में टिक नहीं सकते इसलिए दूसरी संभावना ही स्वाभाविक निष्कर्ष है।