इमके-पछास कार्यकर्ताओं पर संघी हमला : जगह-जगह विरोध प्रदर्शन

23 जुलाई को फरीदाबाद (हरियाणा) में इंकलाबी मजदूर केंद्र और परिवर्तनकामी

नीतेश
नीतेश

छात्र संगठन के हिंदू फासीवाद के विरुद्ध जारी अभियान, जो कि मणिपुर की बर्बर घटना के मद्देनजर उस दिन मुख्यतः मणिपुर पर ही केंद्रित था और जगह-जगह नुक्कड़ सभायें करते हुये एक रैली निकाली जा रही थी, के दौरान आरएसएस-भाजपा के गुंड़ों ने लोहे की रॉड और डंडों से कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमला किया। इस हमले में इंकलाबी मजदूर केंद्र के तीन कार्यकर्ता -नीतेश, दीपक और संतोष- गंभीर रूप से घायल हो गये। जब लोग नजदीक की गौंछी पुलिस चौकी पहुंचे तब पुलिस का व्यवहार भी आरएसएस-भाजपा के अनुषांगिक संगठन सरीखा ही रहा। भारी जनदबाव में पुलिस ने शिकायत तो दर्ज की लेकिन मुकदमा दर्ज हुआ है अथवा

दीपक
दीपक

नहीं इस पर अभी तक भी असमंजस है क्योंकि पुलिस ने एफ आई आर की प्रति नहीं दी है। 
    
इस फासीवादी हमले के विरोध में गुड़गांव में लघु सचिवालय पर विरोध प्रदर्शन कर हरियाणा के मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन प्रेषित किया गया। ज्ञापन में मांग की गई कि इस हमले में शामिल गुंडा तत्वों को तत्काल गिरफ्तार किया जाये और इन्हें बचाने की कोशिश कर रहे पुलिस अधिकारियों के साथ ही राज्य के माहौल को खराब कर रही आरएसएस- भाजपा जैसी हिंदू फासीवादी ताकतों पर सख्त कार्यवाही की जाये।
    
इस घटना के विरोध में हरिद्वार में केंद्र सरकार का पुतला फूंका गया। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि ये घटना दिखाती है कि आरएसएस-भाजपा किस तरह का भारत बनाना चाहते हैं। इनकी विघटनकारी राजनीति ने मणिपुर को आग में झोंक दिया है। कुकी जनजाति की तीन महिलाओं को सार्वजनिक रूप से निर्वस्त्र कर घुमाने और सामूहिक बलात्कार के वीभत्स कांड का पूरे देश में विरोध हो रहा है। देश ही नहीं विदेशों में भी मोदी सरकार की थू-थू हो रही है। ऐसे में बौखलाई भाजपा और पूरी संघी मंडली अपने विरुद्ध उठ रही आवाजों को दबाने पर आमादा है। 
    
काशीपुर में इसके विरोध में हरियाणा सरकार का पुतला फूंका गया। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने संघी लम्पटों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की। 
    
रामनगर में भी इस हमले के विरोध में हरियाणा सरकार का पुतला फूंका गया। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि आज मणिपुर के जो हालात हैं वह आरएसएस-भाजपा की हिंदू फासीवादी परियोजना का ही परिणाम हैं। यदि इन्हें बढ़कर नहीं रोका गया तो ये पूरे देश में मणिपुर सरीखे हालात कायम कर देंगे। 
    
इस फासीवादी हमले के विरोध में रुद्रपुर में भी एक प्रतिरोध सभा की गई और संघी लम्पटों व केंद्र-हरियाणा सरकार के गठजोड़ का पुतला फूंका गया। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि मणिपुर में सरकार खुद ही हिंसा प्रायोजित कर रही है। इसीलिये करीब तीन महीने होने जा रहे हैं लेकिन तब भी हिंसा नहीं रुक रही है। मणिपुर में भाजपा के ही एक विधायक ने बयान जारी कर जारी हिंसा में राज्य सरकार की संलिप्तता को उजागर किया है।
    
पंतनगर में इस घटना के विरोध में गुंडा तत्वों और हरियाणा सरकार का पुतला दहन किया। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि आज भाजपाई सरकारें विरोध की आवाज को कुचलने के लिये गुंडों-लम्पटों को पाल-पोस रही हैं। 
    
हल्द्वानी में इस घटना के विरोध में गुंडा तत्वों और हरियाणा सरकार का पुतला फूंका गया। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि मणिपुर में आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया गया, इससे पहले मध्य प्रदेश में एक आदिवासी युवक पर पेशाब किया गया था। हम देख रहे हैं कि एक के बाद एक पूरे देश में दलितों, आदिवासियों, महिलाओं और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं और जो कोई इनकी मुखालफत कर रहा है तो संघी गुंडा वाहिनियां उन पर जानलेवा हमले कर रही हैं।
    
बरेली में इस घटना के विरोध में जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया गया और जिलाधिकारी के माध्यम से एक ज्ञापन हरियाणा के मुख्यमंत्री को प्रेषित कर हमला करने वाले गुंडों को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की गई। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि आरएसएस-भाजपा की विघटनकारी राजनीति ने पूरे देश में बहुत भयावह हालात कायम कर दिये हैं।
    
बदायूं में क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा जिलाधिकारी बदायूं के माध्यम से एक ज्ञापन मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार को प्रेषित कर हमलावरों की गिरफ्तारी की मांग की गयी।
    
बलिया में इसके विरोध में क्रालोस व इमके सहित जनवादी संगठनों द्वारा जिला मुख्यालय बलिया में धरना दिया गया व एक ज्ञापन जिलाधिकारी महोदय के माध्यम से राष्ट्रपति महोदया भारत सरकार को दिया गया। इसके बाद नारे लगाते हुए जूलुस निकाला गया और हमला करने वाले संघी लम्पटों की गिरफ्तारी की मांग की गयी। 
    
कैथल में जन संघर्ष मंच ने फरीदाबाद में इंकलाबी मजदूर केंद्र और परिवर्तनकामी छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं पर भाजपा-आरएसएस के गुंडों द्वारा जानलेवा हमला किये जाने की कड़ी निंदा की। प्रदेश अध्यक्ष फूल सिंह ने कहा कि आज आरएसएस-भाजपा की सरकारें सत्ता के नशे में चूर हैं। वे मणिपुर की घटना पर हो रहे शांतिपूर्ण प्रदर्शनों तक को बर्दाश्त नहीं कर पा रही हैं। मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाये जाने के मामले में मोदी सरकार की देश और दुनिया में थू थू हो रही है। इसलिए वे अपने खिलाफ उठने वाली हर आवाज का दबाना चाहती हैं। उन्होंने हमलावरों को गिरफ्तार कर कड़ी सजा देने की मांग की।
    
विरोध प्रदर्शन और ज्ञापन देने की इस कार्यवाही में इंकलाबी मजदूर केंद्र, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र के कार्यकर्ताओं ने भागीदारी की। इसके अलावा गुड़गांव से मजदूर सहयोग केंद्र, संयुक्त किसान मोर्चा (गुड़गांव), एवं बेलसोनिका यूनियन से जुड़े कार्यकर्ताओं, हरिद्वार से भेल मजदूर ट्रेड यूनियन, देवभूमि श्रमिक संगठन (हिंदुस्तान यूनिलीवर), एवरेडी मजदूर यूनियन, राजा बिस्कुट मजदूर यूनियन एवं संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन मोर्चा से जुड़े कार्यकर्ताओं, रामनगर से समाजवादी लोक मंच, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, महिला एकता मंच के जुड़े कार्यकर्ताओं, रुद्रपुर से मजदूर सहयोग केंद्र, भारतीय किसान यूनियन, सी एन जी टेम्पो यूनियन, आम आदमी पार्टी, आटोलाइन एम्प्लॉयीज यूनियन, इंटरार्क मजदूर संगठन और यजाकि वर्कर्स यूनियन के कार्यकर्ताओं, पंतनगर से ठेका मजदूर कल्याण समिति के कार्यकर्ताओं, हल्द्वानी से भाकपा माले, उत्तराखंड सर्वोदय मंडल के कार्यकर्ताओं ने भागीदारी की।-विशेष संवाददाता

पंतनगर : पर्चा वितरण करते कार्यकर्ताओं का पुलिस द्वारा उत्पीड़न

पंतनगर वि.वि. में 30 जुलाई को इमके, प्रमएके व ठेका मजदूर कल्याण समिति के कार्यकर्ता फासीवाद विरोधी अभियान चला रहे थे। इसके साथ ही वे 31 जुलाई को ऊधम सिंह की शहादत दिवस के कार्यक्रम के लिए भी जनता को आमंत्रण दे रहे थे। इस अभियान व ठेका मजदूर कल्याण समिति से चिढ़े हुए एक सुरक्षा अधिकारी ने स्थानीय थाने में इसकी शिकायत कर दी। इस शिकायत पर अभियान के दौरान दो पुलिस वाले आकर पर्चा कब्जे में कर धमकाने लगे व इमके के सचिव अभिलाख सिंह, राशिद व मनोज कश्यप को थाने ले गये। 
    
थाने में थानाध्यक्ष ने भी कार्यकर्ताओं को धमकाने व हड़काने का प्रयास किया व मुकदमे ठोंकने का भय दिखा अभियान बंद करने को कहा। कार्यकर्ता प्रचार करने के अपने जनवादी अधिकार का हवाला दे थानाध्यक्ष को मुंहतोड़ जवाब देते रहे। करीब डेढ़ घंटे थाने में बैठाये रखने के बाद जब गिरफ्तार लोगों की रिहाई हेतु मजदूरों की भीड़ थाने में जुटने लगी तो थानाध्यक्ष को दबाव में आना पड़ा और अंततः तीनों कार्यकर्ताओं को रिहा करना पड़ा। 
    
इस पुलिसिया दमन की घटना ने दिखाया कि आज हिंदू फासीवाद की रक्षा में केवल संघी लम्पट ही नहीं बल्कि पुलिस-प्रशासन की मशीनरी भी तत्पर है। इनसे निपटते हुए ही हिंदू फासीवाद का मुकाबला किया जा सकता है। 

आलेख

बलात्कार की घटनाओं की इतनी विशाल पैमाने पर मौजूदगी की जड़ें पूंजीवादी समाज की संस्कृति में हैं

इस बात को एक बार फिर रेखांकित करना जरूरी है कि पूंजीवादी समाज न केवल इंसानी शरीर और यौन व्यवहार को माल बना देता है बल्कि उसे कानूनी और नैतिक भी बना देता है। पूंजीवादी व्यवस्था में पगे लोगों के लिए यह सहज स्वाभाविक होता है। हां, ये कहते हैं कि किसी भी माल की तरह इसे भी खरीद-बेच के जरिए ही हासिल कर उपभोग करना चाहिए, जोर-जबर्दस्ती से नहीं। कोई अपनी इच्छा से ही अपना माल उपभोग के लिए दे दे तो कोई बात नहीं (आपसी सहमति से यौन व्यवहार)। जैसे पूंजीवाद में किसी भी अन्य माल की चोरी, डकैती या छीना-झपटी गैर-कानूनी या गलत है, वैसे ही इंसानी शरीर व इंसानी यौन-व्यवहार का भी। बस। पूंजीवाद में इस नियम और नैतिकता के हिसाब से आपसी सहमति से यौन व्यभिचार, वेश्यावृत्ति, पोर्नोग्राफी इत्यादि सब जायज हो जाते हैं। बस जोर-जबर्दस्ती नहीं होनी चाहिए। 

तीन आपराधिक कानून ना तो ‘ऐतिहासिक’ हैं और ना ही ‘क्रांतिकारी’ और न ही ब्रिटिश गुलामी से मुक्ति दिलाने वाले

ये तीन आपराधिक कानून ना तो ‘ऐतिहासिक’ हैं और ना ही ‘क्रांतिकारी’ और न ही ब्रिटिश गुलामी से मुक्ति दिलाने वाले। इसी तरह इन कानूनों से न्याय की बोझिल, थकाऊ अमानवीय प्रक्रिया से जनता को कोई राहत नहीं मिलने वाली। न्यायालय में पड़े 4-5 करोड़ लंबित मामलों से भी छुटकारा नहीं मिलने वाला। ये तो बस पुराने कानूनों की नकल होने के साथ उन्हें और क्रूर और दमनकारी बनाने वाले हैं और संविधान में जो सीमित जनवादी और नागरिक अधिकार हासिल हैं ये कानून उसे भी खत्म कर देने वाले हैं।

रूसी क्षेत्र कुर्स्क पर यूक्रेनी हमला

जेलेन्स्की हथियारों की मांग लगातार बढ़ाते जा रहे थे। अपनी हारती जा रही फौज और लोगों में व्याप्त निराशा-हताशा को दूर करने और यह दिखाने के लिए कि जेलेन्स्की की हुकूमत रूस पर आक्रमण कर सकती है, इससे साम्राज्यवादी देशों को हथियारों की आपूर्ति करने के लिए अपने दावे को मजबूत करने के लिए उसने रूसी क्षेत्र पर आक्रमण और कब्जा करने का अभियान चलाया। 

पूंजीपति वर्ग की भूमिका एकदम फालतू हो जानी थी

आज की पुरातन व्यवस्था (पूंजीवादी व्यवस्था) भी भीतर से उसी तरह जर्जर है। इसकी ऊपरी मजबूती के भीतर बिल्कुल दूसरी ही स्थिति बनी हुई है। देखना केवल यह है कि कौन सा धक्का पुरातन व्यवस्था की जर्जर इमारत को ध्वस्त करने की ओर ले जाता है। हां, धक्का लगाने वालों को अपना प्रयास और तेज करना होगा।

राजनीति में बराबरी होगी तथा सामाजिक व आर्थिक जीवन में गैर बराबरी

यह देखना कोई मुश्किल नहीं है कि शोषक और शोषित दोनों पर एक साथ एक व्यक्ति एक मूल्य का उसूल लागू नहीं हो सकता। गुलाम का मूल्य उसके मालिक के बराबर नहीं हो सकता। भूदास का मूल्य सामंत के बराबर नहीं हो सकता। इसी तरह मजदूर का मूल्य पूंजीपति के बराबर नहीं हो सकता। आम तौर पर ही सम्पत्तिविहीन का मूल्य सम्पत्तिवान के बराबर नहीं हो सकता। इसे समाज में इस तरह कहा जाता है कि गरीब अमीर के बराबर नहीं हो सकता।