मजदूर नेताओं पर गुंडा एक्ट में कार्यवाही पर उतारू प्रशासन
पंतनगर/ उत्तराखंड सिडकुल पंतनगर में स्थित डॉल्फिन कम्पनी जो कि मारुति के लिए कलपुर्जे बनाती है, के मजदूर पिछले कई दिनों से संघर्षरत हैं। संघर्षरत मजदूर न्यूनतम वेतन की मांग कर रहे हैं। बोनस की मांग कर रहे हैं। कम्पनी में श्रम कानूनों को लागू करने की मांग कर रहे हैं।
डॉल्फिन का मालिक स्थाई मजदूरों को ठेकेदारी के तहत नियोजित कर रहा है। वह सारे कानूनों को जूते की नोंक पर रखकर मजदूरों को नौकरी से निकाल रहा है। अपनी इन्हीं सब मांगों, शोषण-उत्पीड़न को लेकर डॉल्फिन के मजदूर संघर्ष कर रहे हैं। देखा जाये तो मजदूरों की सारी मांगें जायज हैं, कानून सम्मत हैं। वे वही मांग कर रहे हैं जो श्रम कानूनों के अनुसार उनको मिलनी चाहिए।
लेकिन मजदूरों का यह संघर्ष मालिक की आंखों में चुभ रहा है। क्योंकि वह मजदूरों को अपने गुलाम से ज्यादा कुछ नहीं समझता है। मालिक तो चाहता है कि मजदूर चुपचाप मालिकों के लिए दौलत पैदा करते रहें।
बात और गंभीर तब बन जाती है जब मजदूरों की कानून सम्मत मांगों और संघर्ष के खिलाफ पुलिस और प्रशासन सीधे तौर पर उतर आते हैं। यहां पुलिस और प्रशासन मजदूरों के कानूनी हकों की रक्षा करने के बजाए कम्पनी मालिकों के इशारे पर ज्यादा नाचता दिख रहा है।
मजदूर आंदोलन को कुचलने के लिए मालिक गुंडों का भी भरपूर सहारा ले रहा है। लेकिन तब भी पुलिस कम्पनी मालिक का ही साथ दे रही है। साफ तौर पर देखें तो डॉल्फिन के मजदूर आज मालिक-प्रशासन-पुलिस के गठजोड़ से लड़ रहे हैं।
16 जून 2024 को शाम 4 बजे से गांधी पार्क में डॉल्फिन के मजदूरों द्वारा मजदूर सत्याग्रह का कार्यक्रम रखा गया था। जिसमें भागीदारी के लिए डॉल्फिन मजदूर नेता ललित, सोनू आदि घर से निकले ही थे कि राजा कालोनी में 8-10 गुंडों ने घेर कर उन पर अचानक जानलेवा हमला कर दिया। ललित को तो काफी चोटें आयी हैं। सिर पर और चेहरे पर खुले घाव हैं।
यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी 5 जून 2024 और 5 मई 2024 को जब श्रमिक अपनी बैठक कर रहे थे, उस बैठक में कंपनी प्रबंधन/मालिक द्वारा अपने गुंडों को भेज कर महिलाओं से बदतमीजी व छेड़खानी की गयी थी। कम्पनी मालिक प्रिंस धवन के कहने पर मीटिंग कर रहे मजदूरों की अवैध तरीके से वीडियोग्राफी भी करवाई गयी।
जब मजदूर इसकी शिकायत करने ट्रांजिट कैम्प थाना पहुंचे तो पुलिस ने मजदूरों की शिकायत पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया। उल्टा डॉल्फिन कम्पनी मालिक के इशारे पर देर रात झूठा मुकदमा मजदूरों पर ही दर्ज कर दिया गया।
पुलिस द्वारा डॉल्फिन मजदूर संगठन सिडकुल पंतनगर के अध्यक्ष ललित, उपाध्यक्ष सोनू कुमार और साथ ही उनका समर्थन कर रहे इंकलाबी मजदूर केंद्र के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश भट्ट और सामाजिक कार्यकर्ता राजेश सक्सेना पर मुकदमा कायम किया गया।
साफ दिखता है कि पुलिस, कम्पनी मालिक के इशारे पर मजदूर नेताओं और उनके सहयोगियों पर मुकदमे लगाने में अति तत्परता दिखा रही है।
4 जून को डॉल्फिन कम्पनी में हो रहे श्रमिक उत्पीड़न, शोषण व गुंडागर्दी के खिलाफ मजदूर पंचायत का आयोजन किया गया। कार्यक्रम से पूर्व 3 जून को मजदूर नेता ललित कुमार के भाई को आवास विकास चौकी की पुलिस द्वारा उठा लिया गया। मजदूर नेता के घर पर पुलिस द्वारा परिवारजनों के साथ बदतमीजी की गई, गाली-गलौच किया गया और साथ ही घर पर बुलडोजर चलाने की धमकी भी दी गई। सामाजिक कार्यकर्ताओं और तमाम सारे लोगों के पहुंचने पर ललित के भाई को छोड़ा गया।
कम्पनी मालिक के कहने पर गुंडे मजदूरों को पीटते हैं, महिला मजदूरों से अभद्रता करते हैं। लेकिन ‘आपकी मित्र’ आत्म वाक्य वाली पुलिस मजदूरों के साथ दुश्मनाना व्यवहार करती है।
एस एस पी ऊधम सिंह नगर ने श्रमिक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष के समक्ष डॉलफिन के घायल मजदूर से कहा कि ‘तुम अपनी तहरीर पर डॉलफिन प्रबंधन/मालिक का नाम हटा लो तब मुकदमा दर्ज कर दिया जायेगा।’
जब श्रमिक संयुक्त मोर्चा का प्रतिनिधि मंडल एसएसपी से मिलने गया तो मोर्चे के कार्यकारी अध्यक्ष दलजीत सिंह को ही गुंडा और क्रिमिनल कह कर एसएसपी ने अपने कार्यालय से बाहर निकाल दिया।
पुलिस द्वारा उत्पीड़न का सिलसिला यहीं नहीं रुका, मजदूर नेताओं पर गुंडा एक्ट लगाकर उन्हें जिला बदर करने की तैयारी की जा रही है।
सिडकुल पंतनगर में कम्पनी मालिकों द्वारा किए जा रहे गैरकानूनी कृत्यों के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों पर पहले भी पुलिस-प्रशासन झूठे मुकदमे लगाता रहा है।
लेकिन अब तो पुलिस महकमे ने मजदूर नेताओं ललित कुमार, सोनू कुमार, वीरू सिंह, बबलू सिंह व उनके सलाहकारों इंकलाबी मजदूर केन्द्र के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश भट्ट व राजेश सक्सेना पर गुंडा एक्ट में कार्यवाही करने के लिए डीएम ऊधमसिंह नगर को संस्तुति भेज दी है।
न्यूनतम वेतनमान की मांग करना, श्रम कानूनों के अनुसार बोनस, डबल ओवरटाइम की मांग करना, श्रम कानूनों को लागू करने, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को लागू कराने की मांग करना कब से गैरकानूनी हो गया है?
जो लोग इनको लागू करने की मांग करते हैं उन पर ही पुलिस गुंडा एक्ट लगाने की कार्यवाही कर रही है।
मजदूर नेताओं पर लगाये जा रहे गुंडा एक्ट के खिलाफ कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए। मजदूर और सामाजिक संगठनों ने पुलिस के इस कृत्य की कड़े शब्दों में निदा की है।
डॉल्फिन के मजदूरों के संघर्ष में मालिक-गुंडा-पुलिस-प्रशासन का नापाक गठजोड़ पूरी तरह से बेनकाब हुआ है। मजदूर भी अपनी एकता से इस गठजोड़ का मुकाबला कर रहे हैं। अपने संघर्ष को निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं।
-पंतनगर संवाददाता