नाबालिग बच्ची की गैंगरेप के बाद हत्या

बीजेपी नेता का भाई सहित 6 आरोपी गिरफ्तार

हरिद्वार/ हरिद्वार के बहादराबाद ब्लाक के संतरशाह गांव की एक दर्दनाक घटना सामने आई है। 23 जून को एक नाबालिग बच्ची को एक बर्थडे पार्टी के बहाने ले जाया गया। जहां उसको बीयर पिलाई गयी। सुनसान इलाके में नितिन, निखिल पांचाल, तुषार और मौसम नाम के युवकों ने उसके साथ गैंगरेप किया और भाग गए।
    
गैंगरेप की शिकार लड़की रात में मदद मांगने बीजेपी नेता के भाई अमित सैनी के पास पहुंची। अमित ने मदद करने के बजाय पीड़ित लड़की के साथ रेप किया। और रात में पतंजलि रिसर्च इन्सटीट्यूट के सामने मेन हाईवे ले जाकर वाहन के आगे धक्का देकर मार डाला।
    
बलात्कार और हत्या कर अमित अपने चचेरे भाई बीजेपी नेता आदित्यराज सैनी के पास पहुंचा और उसे सारा घटनाक्रम बताया। भाजपा नेता आदित्यराज ने बच्ची की मां को गुमराह किया और पुलिस के पास न जाने की सलाह दी। उसको डराया-धमकाया। लेकिन गांव वालों ने परिवारजनों के साथ सड़क पर उतर कर प्रदर्शन शुरू कर दिया। तब जाकर 24 जून को डेडबाडी मिल पायी। फिर पुलिस ने मामले को संज्ञान लिया और धर पकड़ शुरू हुई। 
    
भाजपा ने अपने को पाक-साफ दिखाने और महिला हिंसा पर खुद को संजीदा दिखाने के लिए आदित्यराज को बीजेपी से निष्कासित कर दिया है।
    
29 जून को हरिद्वार में प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र द्वारा बाहदराबाद के निकट ग्राम शांतरशाह की नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप व हत्या के विरोध में सेक्टर 2 ठभ्म्स् में अश्लील उपभोक्तावादी संस्कृति का पुतला दहन किया गया तथा इस घृणित कार्यवाही में शामिल भाजपा नेताओं की कड़ी निंदा की गई।
    
पुतला दहन से पूर्व सभा में वक्ताओं ने कहा कि गैंग रेप व हत्या में शामिल भाजपा नेताओं के नाम आने पर पार्टी द्वारा उन्हें निष्कासित किया गया। यह कार्रवाई जन दबाव के कारण हुई है।
    
भाजपा नेता जम्मू के कठुआ, यूपी के हाथरस व उन्नाव तथा हरियाणा के महिला पहलवानों तथा उत्तराखंड के अंकिता भंडारी प्रकरण में सीधे शामिल रहे हैं। जबकि यह हस्तियां, विधायक, सांसद, पुजारी व बड़े नेता रहे हैं। इन्हें तो भाजपा ने निष्कासित भी नहीं किया बल्कि भाजपा अपराधियों के साथ खड़ी रही। 
    
वक्ताओं ने स्पष्ट कहा कि बलात्कारों की मुख्य वजह अश्लील उपभोक्तावादी पतित पूंजीवादी संस्कृति है जो महिलाओं को अन्य सामानों की तरह यौन वस्तु समझती है। अश्लील विज्ञापन, अश्लील फिल्में व गाने का कारोबार काफी फल फूल रहा है जिसकी शिकार मासूम बच्चियां तक हो रही हैं। पुलिस और न्याय व्यवस्था भी अपराध के जड़ में जाने की बजाय केवल ऊपरी तौर ही कुछ खानापूर्ति करती है।
    
विरोध प्रदर्शन व पुतला दहन में प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र, प्रगतिशील भोजनमाता संगठन, इंकलाबी मजदूर केंद्र, भेल मजदूर ट्रेड यूनियन के लोग शामिल रहे।     -हरिद्वार संवाददाता

आलेख

बलात्कार की घटनाओं की इतनी विशाल पैमाने पर मौजूदगी की जड़ें पूंजीवादी समाज की संस्कृति में हैं

इस बात को एक बार फिर रेखांकित करना जरूरी है कि पूंजीवादी समाज न केवल इंसानी शरीर और यौन व्यवहार को माल बना देता है बल्कि उसे कानूनी और नैतिक भी बना देता है। पूंजीवादी व्यवस्था में पगे लोगों के लिए यह सहज स्वाभाविक होता है। हां, ये कहते हैं कि किसी भी माल की तरह इसे भी खरीद-बेच के जरिए ही हासिल कर उपभोग करना चाहिए, जोर-जबर्दस्ती से नहीं। कोई अपनी इच्छा से ही अपना माल उपभोग के लिए दे दे तो कोई बात नहीं (आपसी सहमति से यौन व्यवहार)। जैसे पूंजीवाद में किसी भी अन्य माल की चोरी, डकैती या छीना-झपटी गैर-कानूनी या गलत है, वैसे ही इंसानी शरीर व इंसानी यौन-व्यवहार का भी। बस। पूंजीवाद में इस नियम और नैतिकता के हिसाब से आपसी सहमति से यौन व्यभिचार, वेश्यावृत्ति, पोर्नोग्राफी इत्यादि सब जायज हो जाते हैं। बस जोर-जबर्दस्ती नहीं होनी चाहिए। 

तीन आपराधिक कानून ना तो ‘ऐतिहासिक’ हैं और ना ही ‘क्रांतिकारी’ और न ही ब्रिटिश गुलामी से मुक्ति दिलाने वाले

ये तीन आपराधिक कानून ना तो ‘ऐतिहासिक’ हैं और ना ही ‘क्रांतिकारी’ और न ही ब्रिटिश गुलामी से मुक्ति दिलाने वाले। इसी तरह इन कानूनों से न्याय की बोझिल, थकाऊ अमानवीय प्रक्रिया से जनता को कोई राहत नहीं मिलने वाली। न्यायालय में पड़े 4-5 करोड़ लंबित मामलों से भी छुटकारा नहीं मिलने वाला। ये तो बस पुराने कानूनों की नकल होने के साथ उन्हें और क्रूर और दमनकारी बनाने वाले हैं और संविधान में जो सीमित जनवादी और नागरिक अधिकार हासिल हैं ये कानून उसे भी खत्म कर देने वाले हैं।

रूसी क्षेत्र कुर्स्क पर यूक्रेनी हमला

जेलेन्स्की हथियारों की मांग लगातार बढ़ाते जा रहे थे। अपनी हारती जा रही फौज और लोगों में व्याप्त निराशा-हताशा को दूर करने और यह दिखाने के लिए कि जेलेन्स्की की हुकूमत रूस पर आक्रमण कर सकती है, इससे साम्राज्यवादी देशों को हथियारों की आपूर्ति करने के लिए अपने दावे को मजबूत करने के लिए उसने रूसी क्षेत्र पर आक्रमण और कब्जा करने का अभियान चलाया। 

पूंजीपति वर्ग की भूमिका एकदम फालतू हो जानी थी

आज की पुरातन व्यवस्था (पूंजीवादी व्यवस्था) भी भीतर से उसी तरह जर्जर है। इसकी ऊपरी मजबूती के भीतर बिल्कुल दूसरी ही स्थिति बनी हुई है। देखना केवल यह है कि कौन सा धक्का पुरातन व्यवस्था की जर्जर इमारत को ध्वस्त करने की ओर ले जाता है। हां, धक्का लगाने वालों को अपना प्रयास और तेज करना होगा।

राजनीति में बराबरी होगी तथा सामाजिक व आर्थिक जीवन में गैर बराबरी

यह देखना कोई मुश्किल नहीं है कि शोषक और शोषित दोनों पर एक साथ एक व्यक्ति एक मूल्य का उसूल लागू नहीं हो सकता। गुलाम का मूल्य उसके मालिक के बराबर नहीं हो सकता। भूदास का मूल्य सामंत के बराबर नहीं हो सकता। इसी तरह मजदूर का मूल्य पूंजीपति के बराबर नहीं हो सकता। आम तौर पर ही सम्पत्तिविहीन का मूल्य सम्पत्तिवान के बराबर नहीं हो सकता। इसे समाज में इस तरह कहा जाता है कि गरीब अमीर के बराबर नहीं हो सकता।