फासीवाद विरोधी अभियान : संघी लंपटों और पुलिस के अड़ंगे

फरीदाबाद/ इंकलाबी मजदूर केंद्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र और क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के संयुक्त प्रयासों के तहत केंद्रीय स्तर पर केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ व बढ़ते हिंदू-फासीवादी खतरे के खिलाफ जन जागरूकता अभियान एक नुक्कड़ नाटक ‘अंधकार को मिटाना है’ के साथ चलाया जा रहा है।
    
इसी कड़ी में हरियाणा के फरीदाबाद जिले में भी इंकलाबी मजदूर केंद्र और परिवर्तनकामी छात्र संगठन द्वारा मजदूरों-मेहनतकशों-गरीबों की बस्तियों में, कालोनियों में जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है जिसकी औपचारिक शुरुआत 9 जुलाई को वर्कशॉप से की गई। जिसमें तय हुआ कि आने वाले रविवारों को संयुक्त रूप में पूरे दिन का नुक्कड़ नाटक के साथ अभियान चलाया जाएगा बाकी दिनों में इकाइयां अपना-अपना अभियान चलाएंगी।
    
16 जुलाई 2023 रविवार के दिन मजदूरों-मेहनतकशों की मजदूर बस्ती आजाद नगर सेक्टर-24 में अभियान चलाया गया। आम जनता के गरीब हिस्से ने नुक्कड़ नाटक ‘अंधकार को मिटाना है’ को काफी सराहा और उत्साह से देखा और संगठन को मदद भी दी।
    
इसी की अगली कड़ी में 23 जुलाई 2023 को फरीदाबाद की संजय कालोनी सेक्टर-23 जो मजदूरों-मेहनतकशों की कालोनी है, में सुबह 10ः00 बजे से 1ः00 बजे तक तेज धूप में भी जन जागरूकता अभियान चलाया गया जिसको कालोनीवासियों ने काफी सराहा व काफी उत्साह के साथ देखा-सुना और अपने-अपने स्तर से मदद भी दी। कई जगह जन जागरूकता अभियान चलाने वाले लोगों को पानी पिलाया गया। किसी ने पानी के कई सारे पाउच खरीद के लोगों को पानी पिलाया, तो किसी ने अपने घरों से बोतलें भर-भर के लोगों को पानी पिलाया। एक पुस्तिका जो हिंदू फासीवादी खतरे को दिखाते हुए तैयार की गई है, उसको भी आम जनमानस ने काफी संख्या में लिया। हालांकि कुछ दुकानदारों ने विरोध भी किया। उनका मुख्य विरोध मोदी को लेकर था और मणिपुर की घटना की निंदा करने पर वे तिलमिला जा रहे थे।
    
इसी के दूसरे चरण में जो शाम 3ः00 से 7ः00 बजे तक गौछी जीवन नगर में चलाया जाना था, के तहत एक मुस्लिम बस्ती में नुक्कड़ ‘नाटक अंधकार को मिटाना है’ का मंचन किया गया जिसको स्थानीय लोगों ने काफी पसंद किया और दूसरा मंचन वाल्मीकि बस्ती के जोगी गांव में किया गया जिसको देखने वाले लोगों की संख्या तो काफी अधिक थी इसमें भी लोगों ने अपनी गति से जन जागरूकता अभियान चलाने वाले लोगों को सहयोग किया। 
    
जैसे-जैसे जन जागरूकता अभियान आगे बढ़ रहा था वह बीजेपी और आरएसएस के लोगों की आंखों में खटकने लगा और उन्होंने अपने पाले-पोषे गुंड़ों को जन जागरूकता अभियान को बाधित करने के लिए भेजा। उन्होंने पूरी गुंडई और दबंगई के साथ अभियान को रोकना चाहा जिसका काफी विरोध हुआ और उनको पीछे हटना पड़ा। जो लोग गुंडई और दबंगई के साथ अभियान को रोकने आए थे उनमें अधिकतर 20-22 साल के नौजवान थे जिन्होंने कभी-ना-कभी अच्छी शिक्षा पाने के और एक अच्छे रोजगार का सपना देखा होगा परंतु आज भाजपाइयों और आर एस एस द्वारा उनको नशे का आदी बना कर, हिंदू के नाम पर उन्मादी बनाकर अपराधी बनाया जा रहा है।
    
आगे जहां पर ‘अंधकार को मिटाना है’ नुक्कड़ नाटक का मंचन होना था वहां पर यह लोग काफी संख्या में आकर बहसबाजी करने लगे और मुसलमानों को अपशब्द कहते हुए हम से मांग करने लगे कि ‘चलो हमारे साथ मुल्लों की दुकान बंद कराने और यहां पर मणिपुर की बात क्यों कर रहे हो’ यह चिल्ल-पों करने लगे। मणिपुर की शर्मनाक घटना की निंदा करने से इन लोगों को काफी परेशानी हो रही थी ये बार-बार कह रहे थे कि यहां पर मणिपुर की घटना का जिक्र हम नहीं होने देंगे जैसे कि आज मणिपुर भारत का हिस्सा ही ना हो, मणिपुर के बारे में बात करना कोई अपराध हो। इनके आका जो सरकार में बैठे हैं जब वही मणिपुर वाली घटना पर अगल-बगल झांक रहे हैं और इनके मुखिया मोदी ने तो मौन धारण कर लिया है तो भला उनके पाले-पोषित गुंडे क्यों सुनने लगे।
    
जब वह कार्यकर्ताओं को सामने से चुप ना करा सके और अपने मन की ना कर सके, तो पीछे से आकर इंकलाबी मजदूर केंद्र के कार्यकर्ता संतोष पर मोहित शर्मा नाम के पाले-पोषित गुंडे ने तेजी से आकर सर पर डंडा मारा और भाग गया, उसका पीछा करने के लिए इंकलाबी मजदूर केंद्र के कार्यकर्ता भागे तो वहां दूर कहीं इन भाजपा-आरएसएस के पाले-पोषित गुंडों की फौज खड़ी थी जिन्होंने इंकलाबी मजदूर केंद्र के कार्यकर्ताओं पर हमला कर दिया जिसमें नितेश और दीपक पासवान के सिर में चोट आई। अब इस घटना से साफ-साफ समझा जा सकता है कि मणिपुर की शर्मनाक घटना के विरोध में भी ये संघी लंपट कुछ सुनने को तैयार नहीं हैं, यह बलात्कारियों के विरोध में कुछ सुनने को तैयार नहीं हैं। इनका तो इतिहास ही रहा है यह बलात्कारियों के पक्ष में तिरंगा यात्रा तक निकालते रहे हैं।
    
जब इंकलाबी मजदूर केंद्र के कार्यकर्ता और सदस्यों के साथ इनकी झड़प हो रही थी उसी समय 100 नंबर पर पुलिस को शिकायत कर दी गई थी। वेरिफिकेशन के लिए 100 नंबर से पलट कर कॉल भी आई थी। हालांकि वह यह भी कह रहे थे कि आप कर क्या रहे थे, आपके पास परमिशन थी, परमिशन लेकर कोई कार्यक्रम किया जाता है परंतु काफी घेरा-घारी के बाद आने को तैयार हुए। परंतु पहुंचे तब जब इंकलाबी मजदूर केंद्र के कार्यकर्ता-सदस्य अपने सिरों की चोट लिए संजय कालोनी पुलिस चौकी में पहुंच चुके थे। इंकलाबी मजदूर केंद्र के एक कार्यकर्ता द्वारा तो पहले ही संजय कालोनी पुलिस चौकी में जाकर घटना को बता दिया गया था परंतु स्टाफ की कमी के चलते उन्होंने आने में असमर्थता जताई।
    
जब इंकलाबी मजदूर केंद्र के कार्यकर्ता पुलिस चौकी पहुंचे तो वहां पर भी पुलिस वालों का रवैया ढीलम-ढाला ही था। काफी कुछ कहने के बाद और अड़े रहने पर ही पुलिस वाले एमएलसी के लिए दो चोटिल साथियों को लेकर गए। तीसरे साथी को पीछे से अपनी गाड़ी लेकर जाना पड़ा। 
    
इसके बाद पुलिस वाले कहने लगे अब तो एमएलसी के लिए भेज दिया है। एमएलसी आएगी और रिपोर्ट दर्ज कर लेंगे, आप लोग यहां से जाइए। जब कोई नहीं हिला, तो फिर वह प्यार से समझाने लगे कि कम से कम महिलाओं और बच्चों को तो भेज दो पर हालत यह थी कि कोई भी महिला वहां से हिलने को तैयार ना थी। फिर काफी दबाव में आकर संगठन के किसी अन्य व्यक्ति के नाम से घटना की शिकायत दर्ज की गई। पुलिस अधिकारी अपनी बातों में यह कह रहे थे कि आपके पास कार्यक्रम करने की परमिशन थी। हमने कहा कोई संगठन या व्यक्ति अगर सरकार की नीतियों से सहमत नहीं है तो वह उसकी खिलाफत कर सकता है इसके लिए कोई परमिशन की जरूरत नहीं होती, पर पुलिस का अपना ही कानून है कि नहीं अगर मेरे इलाके में कुछ करना होगा तो अब से परमिशन लेनी होगी। जैसे कहा ही जाता है कि मजदूरों-मेहनतकशों के लिए कानून थाने से शुरू होता है।
    
जब 1 दिन बाद तीनों साथियों की लिखित शिकायत और एमएलसी रिपोर्ट लेकर पुलिस चौकी पहुंचे तो चौकी इंचार्ज ने शिकायत लेने से साफ मना कर दिया और कहने लगा कि उसी शिकायत पर हम कार्रवाई कर देंगे परंतु अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की थी। जबकि शिकायत में अन्य लोगों के साथ 2 लोगों के नाम भी दर्ज हैं जिसमें एक सहदेव और दूसरा मोहित शर्मा है। काफी दबाव के बाद भी पुलिस वाले हमसे ही कहने लगे चलो हमें उनका घर दिखाओ। एक कार्यकर्ता को जितना भी अंदाजा था उसने बता दिया। पुलिसवाला उससे कहता है कि पूछो वह कहां रहता है। कार्यकर्ता ने साफ मना कर दिया कि मैं क्यों पूछूं, आप पूछिए आपका काम है।
    
जब दो-तीन दिन बाद फिर से चौकी गए और पूछा कि हमारी शिकायत पर क्या हुआ। अभी तक एफ आई आर दर्ज क्यों नहीं हुई तो पुलिस महोदय क्या कहते हैं आपने अभी तक आधार कार्ड तो जमा किया नहीं कार्रवाई क्या होगी जैसे अब बगैर आधार कार्ड के किसी भी पीड़ित की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होगी यह भी अपना ही कानून चल रहा है। खैर आधार कार्ड भी जमा करा दिया गया।
    
रविवार 30 जुलाई को पुलिस महोदय से सुबह के समय एक बार फिर मिला गया। पुलिस महोदय कहते हैं एफ आई आर दर्ज हो गई। दो लोगों को हम ने गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने जमानत भी करा ली। हमने कहा हमें एफ आई आर की कॉपी दो तो पुलिस महोदय क्या कहते हैं सूचना के अधिकार से लो। कानून के हिसाब से एफ आई आर की कॉपी पुलिस को दोनों पक्षों को देनी चाहिए। हम समझ रहे थे पुलिस महोदय हमें एफ आई आर की कॉपी क्यों नहीं देना चाहते हैं क्योंकि हमें उससे पता चल जाएगा कि पुलिस महोदय ने क्या-क्या धाराएं लगाई हैं। जब चौकी इंचार्ज के केबिन में जाकर बात की तो वहां इंचार्ज पहले तो हमें लंबा-चौड़ा भाषण मानवता पर सुनाने लगे, काफी घेरने के बाद भी एफआईआर की कॉपी तो नहीं दी पर धाराएं बता दीं। आईपीसी की धारा 107 और 151 लगाई गई है जबकि शिकायत में हमने साफ-साफ दर्ज किया हुआ है और मेडिकल भी साथ में है। उनके हाथों में लोहे की रौडें थीं, उन्होंने हमें पीटा, हमारे तीन साथियों के सिरों पर गहरी चोटें हैं, वह जबर्दस्ती हमें जय श्रीराम के नारे लगाने को कह रहे थे, महिलाओं के साथ भी बदतमीजी की गई, बच्चों के साथ भी धक्का-मुक्की की गई। जब हम चौकी इंचार्ज के केबिन पर गए तो बड़ी सी टेबल पर एक गाय का दूध पीते बछड़े का स्टेचू रखा हुआ था जिसमें लिखा था गौरक्षा बजरंग दल फैक्ट कमेटी।
    
रविवार 30 जुलाई को पूर्व सूचित कार्यक्रम के तहत हिंदू फासीवाद के विरोध में सरूरपुर की दुर्गा कॉलोनी और हंसा कालोनी में अभियान चलाया गया। पहली शिफ्ट का अभियान तो ठीक-ठाक चल गया, दूसरी शिफ्ट का अभियान जो नुक्कड़ नाटकों के साथ चलना था उसमें पहला नुक्कड़ नाटक का मंचन तो अच्छा रहा। जब वहां से आगे बढ़े और दूसरा मंचन करना था उससे पहले ही एक नौजवान जिसने दारू पी रखी थी, अभियान चलाने वाले साथियों से उलझने लगा और धक्का-मुक्की करने लगा, महिलाओं के साथ भी अपशब्द बोले। पूरे अभियान को डिस्टर्ब कर दिया। वह बार-बार यह कह रहा था कि हिंदू फासीवाद, कौन हिंदू फांसी दे रहा है मुझे समझाओ। मतलब हम सारा अभियान छोड़कर इस दारू पीए हुए व्यक्ति को पहले समझाएं वरना वह आगे नहीं बढ़ने देगा। वह इसी तरह का व्यवहार कर रहा था। अब साफ-साफ समझा जा सकता है कि एक ठीक-ठाक लोगों की संख्या को दो-तीन आदमी पूरी दबंगई के साथ रोक लेते हैं यह आत्मविश्वास उनके अंदर कहां से आ रहा है। या सरकार द्वारा जो हिंदू फासीवाद का माहौल बनाया जा रहा है उसके नशे में ये उन्मादी तत्व हैं। वरना आपको हमारी बात पसंद नहीं है तो आगे बढ़ो, जनतंत्र का तो यही तकाजा है। और तो और जब 100 नंबर में फोन किया जाता है पहले तो मिलता नहीं जब काफी देर बाद नंबर मिलता है और बात होती है तो वहां से पहले ही कहा जाता है कि तेरे खिलाफ शिकायत आई है, क्या पर्चा बांट रहा है, हिंदू ऐसे हिंदू वैसे। आ पहले चौकी आ तेरे खिलाफ शिकायत आई है।
    
संगठन के कार्यकर्ताओं ने अपनी लिखित शिकायत सीएम विंडो में, एसीपी मुजेसर, सीपी फरीदाबाद और डीजी हरियाणा को मेल द्वारा कर दी है और आगे अगस्त माह में डीसी फरीदाबाद कार्यालय में एक बड़ा प्रदर्शन करने की योजना बनायी गई है।    -फरीदाबाद संवाददाता
 

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