लुकास टीवीएस के मजदूर संघर्षरत

पंतनगर/ लुकास टीवीएस कंपनी सिडकुल पंतनगर, उत्तराखण्ड में सेक्टर 11 प्लाट नंबर 55 में स्थित है। यहां के मजदूरों का विगत लंबे समय से कंपनी प्रबंधन से मांगपत्र को लेकर संघर्ष जारी है। मजदूर इसी कड़ी में दिनांक 26 अक्टूबर 2023 से एएलसी कार्यालय रुद्रपुर में धरनारत हैं। शुरूआत में तो धरने पर मजदूरों ने शिफ्ट के हिसाब से भागीदारी की परन्तु कंपनी प्रबंधन ने धरने को प्रभावित करने के लिए अगले ही दिन से यूनियन के सभी सदस्यों की ड्यूटी जनरल शिफ्ट में लगा दी ताकि वे धरने में भागीदारी न कर सकें। इधर तीन मजदूरों को कंपनी प्रबंधन द्वारा निलंबित कर उनकी घरेलू जांच कार्यवाही शुरू कर दी गई है। इन तीन मजदूरों और यूनियन के अध्यक्ष के दम पर धरना चल रहा है। यूनियन अध्यक्ष पहले से ही निलम्बित हैं जिनका मामला अदालत में चल रहा है। सहायक श्रमायुक्त ने त्रिपक्षीय वार्ता हेतु 31 अक्टूबर की तारीख तय की थी। इससे पहले 28 अक्टूबर को ही उनका ट्रांसफर हो गया। साथ में लेबर इंस्पेक्टर का भी। नए एएलसी साहब आए हैं। उन्होंने 18 नवंबर की तारीख दी है। साथ ही उन्होंने यूनियन को धरने को गांधी पार्क में करने का नोटिस भी दिया है। धरने पर अन्य सभी यूनियन सदस्य छुट्टी के बाद 6.00 बजे पहुंचते हैं और उसके बाद वहां पर शामिल रहते हैं।
    
बताते चलें कि यह कंपनी 2007 से ही यहां पर उत्पादन कर रही है। यहां पर मुख्यतः टाटा के लिए साथ ही महिंद्रा, सोनालिका, अशोका लीलेंड के लिए स्टार्ट मोटर, अल्टरनेटर (बैटरी चार्जर), वाइपर, फिल्टर (आयल, फ्यूल व एयर फिल्टर) बनाए जाते हैं। यहां 2012 में अंतिम स्थायी भर्ती जब हुई थी उस समय 139 स्थाई मजदूर काम कर रहे थे जिनमें प्रबंधन द्वारा समय-समय पर मजदूरों की छंटनी की जाती रही है। वर्तमान में 83 मजदूर ही स्थायी बचे हैं (वो भी कहने को स्थायी हैं)।
    
वर्तमान में मजदूरों की यूनियन में 32 मजदूर हैं बाकी मजदूर कंपनी प्रबंधन द्वारा बनाई गई जेबी यूनियन में हैं जिसका मार्च 2022 में लुकास टीवीएस आईएनईईयू के नाम से उत्तराखंड में रजिस्ट्रेशन करवा लिया गया है। 2016 में मज़दूरों ने अपनी यूनियन ‘‘लुकास जअे मजदूर संघ’’ बनाई जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर 331 है। यह बीएमएस से संबंद्ध है। 17 मजदूरों ने इस यूनियन की शुरुआत की। यूनियन में सदस्य संख्या 63 तक हो चुकी थी परंतु प्रबंधन ने 15 मजदूरों को अलग-अलग कारणों से कंपनी से बाहर कर दिया और लगभग 16 मजदूरों को अपने पक्ष में भी कर लिया।
    
21 मार्च 2022 में यूनियन द्वारा अपना मांग पत्र लगाया गया। इसमें निलंबित मजदूरों की कार्यबहाली की मांग भी शामिल थी। इसको लेकर पहले श्रम विभाग कार्यालय व बाद में गांधी पार्क में आंदोलन हुआ। उसके पश्चात 19 अप्रैल 2022 को मांग पत्र व 3 मजदूरों की कार्यबहाली पर सहमति बन गई थी। परंतु कंपनी प्रबंधन द्वारा यूनियन अध्यक्ष मनोहर सिंह को साजिश के तहत परेशान कर कंपनी से ट्रांसफर कर बाहर कर दिया गया। अभी मामला हाईकोर्ट में चल रहा है।
    
13 सूत्रीय मांग पत्र में वेतन बढ़ोत्तरी, लोन, रात्रि भत्ता, स्थाई नियुक्ति पत्र, फोन सुविधा, अवकाश, दुर्घटना मुआवजा, ओवर टाइम व परिवहन आदि के साथ निलंबित मजदूरों की कार्यबहाली आदि मांगें शामिल हैं जिस पर प्रबंधन द्वारा आज तक कोई भी वार्ता नहीं लगाई गई। उल्टा तीन श्रमिकों को झूठे आरोप लगाकर निलंबित कर दिया गया। एक श्रमिक पंकज कुमार को क्वालिटी खराब होने के कारण 9 अगस्त 2023 को, हरीश चंद्र को लाइन से गैर हाजिर रहने के कारण 29 सितम्बर 2023 को व संतोष को आटोमेटिक मशीन से खराब पीस निकलने पर 9 अक्टूबर 2023 को कारण बताओ नोटिस देकर निलंबित कर दिया गया। इनकी घरेलू जांच की जा रही है। 
    
बताते चलें कि यह कंपनी आटो सेक्टर की है जिसका मालिक चेन्नई का टी के बालाजी है। इनके 8 प्लांट है। चेन्नई में मदर प्लांट है। इसके अलावा पांडिचेरी, चक्कन, पुणे, तिरुवनंतपुरम, पंतनगर व रेवाड़ी आदि में भी प्लांट हैं। उत्तराखंड में सिडकुल की स्थापना के समय से यहां प्लांट काम कर रहा है।
    
मजदूरों ने यह सोचकर कि यूनियन बनने से हमारी समस्या का समाधान हो जाएगा और बीएमएस से सम्बद्ध हो यूनियन बनाई ताकि सरकार में रहने या मुख्य विपक्षी पार्टी होने पर उससे जुड़ने का फायदा मिल सके। परंतु देश का सबसे बड़ा मजदूर फेडरेशन बीएमएस होने के बावजूद उससे जुड़ी यूनियन को कंपनी प्रबंधन मान्यता तक नहीं देता है। कम्पनी प्रबंधन अपनी यूनियन अलग से बना लेता है। इसके अलावा मांग पत्र पर किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं होती है। मजदूरों को स्थाई नियुक्ति पत्र आज तक भी नहीं मिला है। यह वर्तमान समय की बड़ी विडंबना है कि आज के ऐसे दौर में जबकि पूंजी श्रम पर हमलावर है, ऐसे में मजदूरों का एक कंपनी के मजदूरों के दम पर मालिकों से जीत पाना काफी टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। मजदूरों का अपने सेक्टर के मजदूरों से, स्थायी के साथ-साथ ठेका मजदूरों से, यहां तक कि औद्योगिक क्षेत्र के मजदूरों से भी एकता कर व्यापक एकता कायम कर सड़कों पर उतरकर संघर्ष करके ही आगे का रास्ता खुल सकता है।     
        -रुद्रपुर संवाददाता
 

आलेख

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