संयुक्त मोर्चा ने सात सूत्रीय मांगों का ज्ञापन मुख्यमंत्री को भेजा

भोजनमाताओं/रसोइयों द्वारा सभा एवं ज्ञापन

भोजनमाता/रसोइया

बदायूं/ दिनांक 12 अगस्त 2024 को आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन जनपद बदायूं के नेतृत्व में स्थान जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय बदायूं पर धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता जिला अध्यक्ष रविंद्र यादव ने की। धरना प्रदर्शन में शिक्षक, शिक्षा मित्र, रसोईया अनुदेशक संयुक्त मोर्चा के सभी संगठनों ने सहभागिता की। जिला अध्यक्ष ने कहा कि सभी मानदेयकर्मियों की जायज मांगों को यदि सरकार नहीं मानती है तो आने वाले समय में प्रदेश स्तर पर धरना प्रदर्शन के लिए बाध्य होना पड़ेगा। वित्त एवं लेखा अधिकारी की लापरवाही के कारण 6 महीने से रसोईयों का मानदेय अभी तक नहीं मिला है जिसकी संयुक्त मोर्चा घोर निंदा करता है। 
    
जूनियर शिक्षक संघ की महामंत्री फरत हुसैन ने कहा कि संयुक्त मोर्चा की जायज मांगों को सरकार तत्काल पूरा करें। शिक्षक संघ के अध्यक्ष अरुण पांडे ने कहा संपूर्ण एशिया के अंदर रसोइयों का मानदेय सबसे कम है जो कि बेसिक शिक्षा में लगातार 25 वर्षों से कार्य करती आ रही हैं। राष्ट्रीय मध्याह्न भोजन रसोईयाकर्मी वेलफेयर एसोसिएशन शाखा बदायूं की जिला अध्यक्ष तुलसी मौर्य ने कहा कि जनपद की लगभग 6000 रसोईया समस्त संयुक्त मोर्चा के घटक दलों के साथ में कंधे से कंधे मिलाकर संघर्ष के लिए तैयार हैं। 
    
धरना स्थल पर लगभग 1000 से अधिक संयुक्त रूप से शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशक, रसोईया शामिल हुए। इस दौरान मांग की गयी कि-

1. शिक्षामित्र, रसोईयाकर्मियों सहित सभी मानदेयकर्मियों के मानदेय भुगतान हेतु कंट्रोल रूम खुलवाया जाये।
2. अध्यादेश लाकर शिक्षामित्र, रसोईयाकर्मियों सहित सभी मानदेयकर्मियों को स्थाई किया जाये।
3. महिलाकर्मियों को उनके ससुराल में स्थानांतरण की व्यवस्था की जाए।
4. चिकित्सा अवकाश, कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान की जाए।
5. महिलाओं को प्रसूति अवकाश अन्य कर्मचारियों की तरह प्रदान किए जाए।
6. अन्य कर्मचारियों की तरह 14 दिन का आकस्मिक अवकाश प्रदान किया जाये।
7. सेवानिवृत्ति की उम्र 62 वर्ष करने के साथ गुजारा भत्ता प्रदान किया जाए। 
        -बदायूं संवाददाता
 

आलेख

/brics-ka-sheersh-sammelan-aur-badalati-duniya

ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती। 

/amariki-ijaraayali-narsanhar-ke-ek-saal

अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को

/philistini-pratirodha-sangharsh-ek-saal-baada

7 अक्टूबर को आपरेशन अल-अक्सा बाढ़ के एक वर्ष पूरे हो गये हैं। इस एक वर्ष के दौरान यहूदी नस्लवादी इजराइली सत्ता ने गाजापट्टी में फिलिस्तीनियों का नरसंहार किया है और व्यापक

/bhaarat-men-punjipati-aur-varn-vyavasthaa

अब सवाल उठता है कि यदि पूंजीवादी व्यवस्था की गति ऐसी है तो क्या कोई ‘न्यायपूर्ण’ पूंजीवादी व्यवस्था कायम हो सकती है जिसमें वर्ण-जाति व्यवस्था का कोई असर न हो? यह तभी हो सकता है जब वर्ण-जाति व्यवस्था को समूल उखाड़ फेंका जाये। जब तक ऐसा नहीं होता और वर्ण-जाति व्यवस्था बनी रहती है तब-तक उसका असर भी बना रहेगा। केवल ‘समरसता’ से काम नहीं चलेगा। इसलिए वर्ण-जाति व्यवस्था के बने रहते जो ‘न्यायपूर्ण’ पूंजीवादी व्यवस्था की बात करते हैं वे या तो नादान हैं या फिर धूर्त। नादान आज की पूंजीवादी राजनीति में टिक नहीं सकते इसलिए दूसरी संभावना ही स्वाभाविक निष्कर्ष है।