
हल्द्वानी/ दिनांक 4 मई को प्रगतिशील भोजनमाता संगठन द्वारा अपने स्थाई रोजगार व न्यूनतम वेतन की मांग को लेकर उत्तराखंड के हल्द्वानी (नैनीताल) के बुद्ध पार्क में प्रदर्शन व सभा की गई। सभा के पश्चात शहर में जुलूस निकाला गया।
सभा का संचालन यूनियन की अध्यक्ष शारदा देवी व प्रचार मंत्री चंपा गिनवाल ने किया। सभा का संचालन करते हुए शारदा ने कहा कि भोजनमाताएं 20-22 सालों से स्कूलों में खाना बनाने का काम कर रही हैं लेकिन बच्चे कम होते ही उन्हें विद्यालय से निकाल दिया जाता है जो उनकी मानसिक पीड़ा को बढ़ा रहा है।
यूनियन महामंत्री रजनी जोशी ने कहा कि भोजनमाता विद्यालय में चार-चार कर्मचारियों के बराबर काम कर रही हैं। उन पर अतिरिक्त काम के लिए दबाव बनाया जाता है, मना करने पर स्कूल से निकालने की धमकी दी जाती है और कई बार निकाल भी दिया जाता है।
सभा में बात रखते हुए कार्यकारिणी सदस्य हेमा तिवारी ने कहा चार-चार कर्मचारियों के बराबर काम करने के बावजूद भोजनमाता को एक कर्मचारी का वेतन भी नहीं मिलता। भोजनमाताओं को मानदेय के नाम पर 3000 रु. दिया जाता है।
कार्यकारिणी सदस्य विमला पवार ने कहा कि हमें स्कूल में जी ओ में निर्धारित समय से ज्यादा देर तक रोका जाता है और हमारे मना करने पर काम से निकालने की धमकी दी जाती है।
नैनीताल से पहुंची भोजनमाता तुलसी ने कहा कि भोजनमाताओं को वेतन-बोनस समय पर नहीं दिया जाता है।
भोजनमाताओं के प्रदर्शन को समर्थन देते हुए प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की अध्यक्ष बिंदु गुप्ता ने कहा कि न सिर्फ भोजनमाताएं बल्कि आशा वर्कर, आंगनबाड़ी, उपनल कर्मचारी के साथ भी इसी तरह का शोषण-उत्पीड़न हो रहा है लेकिन भोजनमाताएं इन सबसे भी निचले पायदान पर आती हैं। सरकार एक तरफ ‘‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’’ की बात करती है वहीं भोजनमाता को न्यूनतम वेतन तक नहीं दे रही है। शहर में अलग-अलग जगह इजाबेड़ी महोत्सव किया जा रहा है पर भोजनमाताओं के साथ यह अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है।
सभा में बात रखते हुए परिवर्तनकामी छात्र संगठन के महासचिव महेश ने कहा कि सरकार को भोजनमाताओं की मांगें जायज हैं और उनकी मांगें पूरी होनी चाहिए। मोदी सरकार द्वारा उज्जवला गैस योजना का हल्ला मचाया जाता है लेकिन खुद सरकार के सरकारी स्कूलों में गैस की सुविधा उपलब्ध नहीं है, यह मोदी सरकार का दोहरा चरित्र है।
भोजनमाताओं को समर्थन देने आये क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के टी.आर.पांडे ने कहा कि भोजनमाताओं में कई विधवा, परित्यक्त व एकल महिलाएं हैं जिन पर अपने पूरे परिवार की जिम्मेदारी है। सरकार द्वारा उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। सरकार द्वारा भोजनमाता को न्यूनतम वेतन व स्थाई रोजगार दिया जाना चाहिए।
इसके अलावा सभा में दो प्रस्ताव भी पास किए गये। पहला प्रस्ताव नैनीताल में 12 वर्षीय बच्ची के साथ यौन हिंसा के विरोध में पास किया गया। नैनीताल में हाल ही में 72 वर्षीय एक बुजुर्ग द्वारा एक नाबालिग बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न की घटना हुई थी।
दूसरा प्रस्ताव इसी घटना से जुड़ा था और शैला नेगी नाम की महिला के साथ हिंदूवादी संगठनों द्वारा किये गये दुर्व्यवहार के विरोध में था। हिंदूवादी संगठनों की अभद्रता का विरोध व्यापार मंडल के एक पदाधिकारी की बेटी शैला नेगी ने किया। इस पर हिंदूवादी संगठन शहला नेगी को ही बलात्कार की धमकी, नैनी झील में फेंक देने, पाकिस्तान भेज देने की बात करने लगे।
दिनांक 5 मई को भोजनमाताओं की मांगों से सम्बन्धित एक ज्ञापन एसडीम महोदय के माध्यम से मुख्यमंत्री महोदय को प्रेषित किया गया। कार्यक्रम में रामनगर, पंतनगर, काशीपुर, लालकुआँ, रुद्रपुर, हल्द्वानी, नैनीताल आदि जगहों से भोजनमाताएं कार्यक्रम में शामिल रहीं।
-हल्द्वानी संवाददाता