एक तरफ जहां इजराइल की कम्पनियों द्वारा भारतीय कामगारों की कुशलता पर प्रश्न चिह्न उठाये जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर इजराइल के दूतावास ने एक्स (ट्विटर) पर लिखा है कि भारत और इजराइल के बीच द्विपक्षीय समझौते के तहत इजराइल आने वाले निर्माण श्रमिकों के काम से वे खुश हैं और भारतीय श्रमिक भी अपने वेतन और कार्य परिस्थियों को लेकर संतुष्ट हैं। जैसा कि किसी भी नये उद्योग में होता है, थोड़ी परेशानी होती है। जनसंख्या, आव्रजन और सीमा प्राधिकरण (PIBA) ने कुछ श्रमिकों के अनुरोध पर उन्हें अन्य उद्योग क्षेत्र में काम करने की अनुमति दी है। पीबा (PIBA) ने 1000 और भारतीय मजदूरों के जल्द ही इजराइल आने की बात की है।
इजराइल के दूतावास का यह बयान तब आया जब मीडिया में यह खबर आयी कि इजराइल की निर्माण कम्पनियां भारतीय निर्माण श्रमिकों के कार्य से संतुष्ट नहीं हैं, कि ये श्रमिक हथौड़ा भी नहीं चलाना जानते हैं। वे चीन से मजदूर मंगाने पर जोर दे रही थीं। इन कम्पनियों का कहना है कि भारत की सरकार ने जिन मजदूरों को सीधे भेजा है उसके मुकाबले निजी कम्पनियों से जिन मजदूरों को लाया गया है वे ज्यादा कुशल हैं। 500 से ज्यादा मजदूरों के इजराइल से वापस भारत आने की भी खबरें आयी हैं।
दरअसल इस साल मई-जून में भारत सरकार ने इजराइल के साथ समझौते के तहत निर्माण और स्वास्थ्य क्षेत्र के मजदूरों को इजराइल भेजने के लिए भर्ती की थी। यह भर्ती दो तरह से की गयी थी। एक राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) के द्वारा और दूसरे विदेश मंत्रालय की देख रेख में निजी कम्पनियों द्वारा (दरअसल इजराइल और फिलिस्तीन के बीच चल रहे युद्ध के मद्देनजर इजराइल सरकार फिलिस्तीनी मजदूरों को अपने यहां काम करने का परमिट नहीं दे रही है)। यह भर्ती लखनऊ और हरियाणा से की गयी थी। युद्धरत इजराइल में मजदूरों को भर्ती करने के लिए मजदूरों को ऊंची तनख्वाह का भी लालच दिया गया था। भारत में भारी बेरोजगारी के चलते मजदूर अपनी जान जोखिम में डालकर इजराइल जाने के लिए तैयार भी हो गये थे।
भारतीय मजदूरों की काम में अकुशलता की खबरों के बीच यह खबर आ रही है कि इजराइल ने भारत सरकार से 10,000 निर्माण कार्य के मजदूरों और 5000 स्वास्थ्य क्षेत्र के मजदूरों को भेजने की बात की है। भारत सरकार भी इसके लिए राजी हो गयी है। इस बार वह यह भर्ती महाराष्ट्र से करने का मन बना रही है।
इजराइल द्वारा फिलिस्तीन पर हमले का एक साल होने जा रहा है। इस एक साल के दौरान इजराइल ने फिलिस्तीन पर भारी तबाही ढहाई है। हजारों निर्दोष पुरुष, महिलाएं, बूढ़े, बच्चे इस दौरान मारे जा चुके हैं। उनके घरों को जमींदोज किया जा चुका है। लाखों फिलिस्तीनी शरणार्थी शिविरों में अमानवीय जीवन जीने के लिए मजबूर हैं। दुनिया भर में इजराइल के इस बहशीपन के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। भारतीय कामगारों को भी दुनिया के मजदूर मेहनतकश आबादी के साथ खड़े होकर यह कहना चाहिए - हमें इजराइल का यह बुलावा मंज़ूर नहीं!
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