सी एण्ड एस (सीमेन्स ग्रुप) के मजदूर

बीते एक साल से भी ज्यादा समय से सी एण्ड एस इलेक्ट्रिक लिमिटेड हरिद्वार के बी.टी. (Bus and Trunking) प्लांट में मजदूरों का कुछ न्यायपूर्ण मांगों को लेकर आंदोलन चल रहा है। जिसका प्रबंधन द्वारा काफी दमन किया गया। और प्रबंधन लगातार आंदोलन को कमजोर करने व तोड़ने की कोशिश में रहता है। भारत की नम्बर दो इलेक्ट्रिक कम्पनी सी एण्ड एस अब दुनिया की बहुप्रचारित उच्च तकनीक वाली सीमेन्स ग्रुप द्वारा संचालित हो रही है। कहने को तो सीमेन्स बहुराष्ट्रीय कम्पनी है लेकिन यहां के शोषण की बात की जाए तो शायद ऐसा शोषण छोटी-छोटी फैक्टरियों में भी नहीं होता है। मैं सी एण्ड एस इलेक्ट्रिक लिमिटेड के एम सी बी प्लांट में काम करता हूं। यहां मैंने जो देखा वही लिखने की कोशिश है।

1. इस कम्पनी में किन्हीं भी श्रम कानूनों का पालन नहीं होता है सिवाय न्यूनतम वेतन के। 

2. यहां किसी भी कर्मचारी को बोनस, ई एल, सी एल, शार्ट लीव, गेट पास नहीं दिया जाता सिवाय स्थायी मजदूर के। 

3. किसी भी मजदूर के लिए चाय की व्यवस्था नहीं है। चाय के लिए मशीन लगी है जिससे निकलने वाली चाय की गुणवत्ता बेहद खराब होती है।

4. यहां शुद्ध पानी की भी व्यवस्था नहीं है। फ्रीजर लगे हैं लेकिन चालू नहीं हैं। फिल्टर तो पूरे प्लांट में हैं ही नहीं। पीने का पानी सीधे टैंक से आता है। 

5. सुरक्षा की ट्रेनिंग और मीटिंग की औपचारिकता रोज शिफ्ट शुरू होने से पहले होती है लेकिन सुरक्षा के कोई इंतजाम प्रबंधन के द्वारा नहीं कराया जा रहा है। 
क. मशीन पर चढ़ने के लिए सीढ़ी और हेलमेट की उपलब्धता है ही नहीं। 
ख. हॉपर मैटेरियल कन्वेयर सिस्टम पूरी तरह खराब है। 
ग. मशीनों पर पर्याप्त मात्रा में लाइट उपलब्ध नहीं है।
घ. सुरक्षा दस्ताने उपलब्ध नहीं रहते। 

6. अति उत्पादन का दबाव बनाया जाता है। अगर माल होल्ड हो जाए तो आपरेटर बिना ओवरटाईम के रुकेगा तथा पूरा माल खुद छांटेगा। 

7. मशीनों पर काम करने वाले सभी ठेका मजदूर और ट्रेनी हैं और यही मोल्ड चेंज से लेकर अन्य तकनीकी कार्य भी करते हैं। साल 2018 से एक भी स्थायी भर्ती नहीं हुई है। 

8. काम का अधिक दबाव मैटेरियल और कटर में भी है। 24 मशीनों का मैटेरियल बनाने के लिए 2 की जगह सिर्फ एक तथा 6 कटर में 4 की जगह सिर्फ 2 मजदूर ही लगाए जाते हैं। 

9. मशीनों से तेल हमेशा टपकता रहता है, नोजल और हीटर कवर सभी मशीनों पर नहीं लगा है। जहां कभी भी दुर्घटनायें होने की संभावनाएं बनी रहती हैं। 
मोल्ड और मशीन का कभी भी प्रिवेन्टिव मेन्टीनेन्स नहीं होता है जबकि सभी मशीनों में इसकी जरूरत है। 

10. ज्यादातर मशीनें सेमी आटो यानी हाथ से गेट खोलकर चलने वाली हैं लेकिन टॉयलेट-बाथरूम व लंच के लिए छोड़ने के लिए कोई रिलीवर नहीं होता है। 

11. कुर्सी, मेज और ट्रे स्टैण्ड भी पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं। 

12. बहुराष्ट्रीय कम्पनी में कैन्टीन भी मौजूद नहीं है। प्राइवेट कैंटीन में 20 रुपये में भरपेट भोजन नहीं मिलता है। लंच में (खाने में) कम्पनी बिल्कुल अंशदान नहीं करती है। कैंटीन में लंच के समय से पहले कोई जा नहीं सकता, ऐसा सख्त आदेश है। कैंटीन में ही ठण्डा पानी मिलता है। लेकिन वहां से पानी भी नहीं ला सकते। न ही कुछ खरीदकर खाने के लिए। लंच से पहले कैंटीन वाला भी कुछ बेच नहीं सकता।         -एक मजदूर, हरिद्वार

आलेख

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