‘‘संघ नहीं मनायेगा शताब्दी वर्ष’’

मोहन भागवत जो कि संघ प्रमुख हैं ने घोषणा की कि अगले साल 2025 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपने शताब्दी वर्ष का जश्न नहीं मनायेगा। उपलब्धियों का ढिंढोरा नहीं पीटेगा।
    
एक ओर मोहन भागवत ऐसी बातें कर रहे थे और दूसरी तरफ भारत के लोगों को धमका भी रहे थे। कह रहे थेः ‘कुछ बुनियादी गलतियों का इलाज जरूरी’, ‘वर्षों की गुलामी का दिमाग पर गहरा असर है उसका उपचार जरूरी’, देश में धर्म का शासन होना चाहिए। और हिन्दुओं को अपने को गर्व से हिन्दू कहना चाहिए। 
    
भागवत अपने शताब्दी वर्ष में अपनी क्या उपलब्धियां गिनायेंगे। ये कि उन्होंने आजादी की लड़ाई में गद्दारी की थी। कि उन्होंने सौ वर्षों में हजारों-हजार दंगे करवाये। कि ये कि संघ ने कितने आदिवासियों का धर्मांतरण करवाया। कि ये कि संघ प्रमुख कोई दलित, कोई औरत आज तक नहीं हुई। 
    
संघ के लिए अच्छा है कि वह शताब्दी वर्ष न मनाये। न अपनी उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटे अन्यथा उसकी पोल दर पोल खुलती जायेगी। क्योंकि उसके शताब्दी वर्ष पर उसकी तारीफ करने को बाकी भी तैयार बैठे हैं। 

आलेख

/ceasefire-kaisa-kisake-beech-aur-kab-tak

भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिवसीय ‘युद्ध’ अमेरिका के राष्ट्रपति की ‘युद्ध विराम’ घोषणा के जरिए 10 मई की शाम पांच बजे समाप्त हो गया। युद्ध विराम की घोषणा सबसे पहले अमेरि

/terrosim-ki-raajniti-aur-rajniti-ka-terror

पहलगाम की आतंकी घटना के बाद देश के पूंजीवादी दायरों से लगातार यह बात आ रही है कि इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। सब लोगों को आपसी मतभेद भुलाकर एक साथ खड़ा होना चाहिए और सरक

/modi-government-fake-war-aur-ceasefire

22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमले की घटना के बाद से ही मोदी की अगुवाई वाली एन डी ए सरकार, मोदी-शाह और भाजपाइयों ने देश की जनता को युद्ध के उन्माद की ओर धकेल

/fasism-ke-against-yuddha-ke-vijay-ke-80-years-aur-fasism-ubhaar

9 मई 1945 को फासीवादी जर्मनी के आत्मसमर्पण करने के बाद फासीवाद के विरुद्ध युद्ध में विजय मिल गयी थी। हालांकि इस विजय के चार महीने बाद जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में अम