योगी सरकार का पुतला दहन

BHU में छात्रा के यौन उत्पीड़न का विरोध
 

हरिद्वार/ 5 नवम्बर 2023 को प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र ने बी एच ई एल, सेक्टर 4, हरिद्वार में वाराणसी के बी एच यू, आई आई टी में एक छात्रा के यौन उत्पीड़न के विरोध में प्रदर्शन कर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पुतला दहन किया। प्रदर्शन में इंकलाबी मजदूर केन्द्र, भेल मजदूर ट्रेड यूनियन, प्रगतिशील भोजनमाता संगठन आदि संगठनों के सदस्य तथा कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।
    
सभा में वक्ताओं ने कहा कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कैंपस में आईआईटी बीएचयू में सेकंड ईयर की एक छात्रा का यौन उत्पीड़न किया गया। घटना के विरोध में बीएचयू के छात्र-छात्राएं हजारों की संख्या में बीएचयू के प्रांगण में धरना स्थल पर बैठ गये। 1 नवंबर को देर रात बीएचयू के सुरक्षाकर्मी के बूथ के बिल्कुल पास में ही एक छात्रा के साथ तीन युवकों द्वारा छेड़छाड़ की गयी और उनके साथ मारपीट की गयी। लड़की के कपड़े उतरवा कर उसका वीडियो तक बनाया गया। इस घटना के विरोध में छात्र-छात्राएं सड़कों पर उतर आये। पर पुलिस प्रशासन दोषियों को गिरफ्तार करने के बजाय आंदोलनकारी छात्रों पर ही मुकदमे दर्ज कर रहा है। 
    
वक्ताओं ने कहा कि पतित पूंजीवादी-साम्राज्यवादी उपभोक्तावादी नीति के प्रभाव में अपने मुनाफे को बढ़ाने के लिए दिन-रात महिलाओं के सम्मान को गिराने वाली महिलाओं का अश्लील चित्रण कर उनको उपभोग की वस्तु के तौर पर प्रदर्शित करने वाली सोच को बढ़ावा देने वाले विज्ञापन व अश्लील फिल्मों को रोके बिना इन अपराधों को जरा भी कम नहीं किया जा सकता।
    
वक्ताओं ने कहा कि इस तरह की घटनाओं के कारण ही बहुत से परिवार अपनी बहनों-बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए घरों से दूर बाहर भेजने से कतराते हैं। बहुत सारी लड़कियां इस तरह की घटनाओं को घरों में नहीं बताती हैं इस डर से कि यदि वे अपने साथ घटी इन घटनाओं को घर में बताएंगी तो उनकी पढ़ाई बीच में ही छुड़ाई जा सकती है। 
    
वक्ताओं ने मांग की कि स्कूलों और विश्वविद्यालय कैंपसों को छात्राओं के लिए सुरक्षित बनाया जाए, स्कूलों और समाज में महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाए। इसके साथ ही स्कूलों-कालेजों में यौन हिंसा के लिए अलग कमेटी बनाने व बीएचयू प्रकरण में संघर्ष कर रहे छात्रों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की। 
        -हरिद्वार संवाददाता

आलेख

बलात्कार की घटनाओं की इतनी विशाल पैमाने पर मौजूदगी की जड़ें पूंजीवादी समाज की संस्कृति में हैं

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तीन आपराधिक कानून ना तो ‘ऐतिहासिक’ हैं और ना ही ‘क्रांतिकारी’ और न ही ब्रिटिश गुलामी से मुक्ति दिलाने वाले

ये तीन आपराधिक कानून ना तो ‘ऐतिहासिक’ हैं और ना ही ‘क्रांतिकारी’ और न ही ब्रिटिश गुलामी से मुक्ति दिलाने वाले। इसी तरह इन कानूनों से न्याय की बोझिल, थकाऊ अमानवीय प्रक्रिया से जनता को कोई राहत नहीं मिलने वाली। न्यायालय में पड़े 4-5 करोड़ लंबित मामलों से भी छुटकारा नहीं मिलने वाला। ये तो बस पुराने कानूनों की नकल होने के साथ उन्हें और क्रूर और दमनकारी बनाने वाले हैं और संविधान में जो सीमित जनवादी और नागरिक अधिकार हासिल हैं ये कानून उसे भी खत्म कर देने वाले हैं।

रूसी क्षेत्र कुर्स्क पर यूक्रेनी हमला

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