इंटरार्क मजदूरों का संघर्ष जारी

रुद्रपुर/ इंटरार्क कम्पनी के मजदूरों का संघर्ष निरन्तर जारी है। जिला प्रशासन की मध्यस्थता में हुए समझौते को लागू कराने की मांग को लेकर इंटरार्क कंपनी के मजदूरों के परिवारों की महिलाओं ने 8 नवम्बर को जिलाधिकारी ऊधमसिंह नगर को ज्ञापन सौंपा और समाधान नहीं कराने पर 26 नवंबर 2023 को डीएम आवास पर एक दिवसीय भूख हड़ताल की घोषणा की है।  
    
जिलाधिकारी ऊधमसिंह नगर द्वारा ADM महोदय की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय कमेटी द्वारा इंटरार्क कंपनी सिडकुल पंतनगर एवं किच्छा जिला ऊधमसिंह नगर (उत्तराखंड) के प्रबंधन एवं यूनियन प्रतिनिधियों के मध्य त्रिपक्षीय समझौता दिनांक 15 दिसम्बर 2022 को सम्पन्न कराया था जिसे लागू कराने की मांग को लेकर इंटरार्क कंपनी के मजदूर एवं उनके परिवारों की महिलाएं विगत लंबे समय से शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे हैं ।
    
आंदोलन के इसी क्रम में आज 8 नवम्बर को इंटरार्क कंपनी के मजदूरों के परिवारों की महिलाएं जिलाधिकारी ऊधमसिंह नगर से मिलीं और ज्ञापन प्रेषित कर उक्त समझौते को लागू कराने की मांग की।
    
डीएम को प्रेषित उक्त ज्ञापन में कहा गया कि विगत 4 अक्टूबर 2023 को भी महिलाएं जिलाधिकारी महोदय से उक्त संदर्भ में मिली थीं। उस दौरान जिलाधिकारी महोदय ने महिलाओं को कहा था कि वे उक्त समझौते को लागू कराने को व्यक्तिगत रूप से विशेष नजर बनाए हुए हैं। और उन्होंने कंपनी हेड आफिस के उच्च अधिकारियों से बात कर ली है और उन्होंने जिलाधिकारी महोदय से दस से पंद्रह दिन का समय मांगा है। उस समय डीएम महोदय ने महिलाओं को भरोसा दिलाया था और आश्वासन दिया था कि दस से पंद्रह दिनों के भीतर उक्त समझौते को लागू करा दिया जायेगा। किंतु एक माह से अधिक का समय बीत जाने के पश्चात भी जिलाधिकारी महोदय एवं जिला प्रशासन द्वारा उक्त समझौते को लागू नहीं कराया गया है। जिस कारण पीड़ित मजदूर और उनके परिवार की महिलाएं दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।
    
ज्ञापन में आगे कहा गया कि माननीय श्रम न्यायालय काशीपुर द्वारा वाद संख्या 24/2023 पर दिए गए आदेश दिनांक 01 मार्च 2023 में जिला प्रशासन की मध्यस्थता में सम्पन्न हुए उक्त समझौता दिनांक 15 दिसम्बर 2022 को अपने उक्त आदेश का हिस्सा बनाया गया है। श्रम न्यायालय काशीपुर द्वारा अन्य अलग-अलग 13 आदेश दिए गए हैं जिनमें उक्त समझौते को अपने उक्त सभी आदेशों का भाग बनाया गया है। श्रम न्यायालय काशीपुर द्वारा दिए गए उक्त 14 अलग-अलग आदेशों के पश्चात भी जिला प्रशासन द्वारा उक्त समझौते को लागू कराकर श्रम न्यायालय काशीपुर के आदेशों की पालना सुनिश्चित नहीं कराई जा रही है। जबकि न्यायालय के उक्त आदेशों को लागू कराना जिला प्रशासन एवं जिलाधिकारी महोदय का ही नैतिक एवं संवैधानिक दायित्व है जिसका उन्हें न्याय हित में पालन कराना चाहिए।
    
उक्त ज्ञापन में डीएम महोदय को पूर्व सूचना दी गई कि यदि 25 नवंबर 2023 तक जिला प्रशासन की मध्यस्थता में हुए उक्त त्रिपक्षीय समझौते एवं श्रम न्यायालय काशीपुर के उक्त आदेशों की पालना सुनिश्चित नहीं कराई गई तो 26 नवंबर 2023, दिन रविवार को पीड़ित मजदूरों के परिवारों की महिलाएं मजदूरों, सामाजिक संगठनों आदि के साथ में मिलकर प्रातः करीब 11 बजे से अंबेडकर पार्क रुद्रपुर से जिलाधिकारी आवास तक पदयात्रा निकालते हुए पहुंचेंगी। और जिलाधिकारी आवास के समक्ष एक दिवसीय सामूहिक भूख हड़ताल प्रारंभ करेंगी और डीएम महोदय एवं जिला प्रशासन से अपने उक्त नैतिक और संवैधानिक दायित्वों का निर्वाह करने की अपील करेंगी। 
        -रुद्रपुर संवाददाता
 

आलेख

बलात्कार की घटनाओं की इतनी विशाल पैमाने पर मौजूदगी की जड़ें पूंजीवादी समाज की संस्कृति में हैं

इस बात को एक बार फिर रेखांकित करना जरूरी है कि पूंजीवादी समाज न केवल इंसानी शरीर और यौन व्यवहार को माल बना देता है बल्कि उसे कानूनी और नैतिक भी बना देता है। पूंजीवादी व्यवस्था में पगे लोगों के लिए यह सहज स्वाभाविक होता है। हां, ये कहते हैं कि किसी भी माल की तरह इसे भी खरीद-बेच के जरिए ही हासिल कर उपभोग करना चाहिए, जोर-जबर्दस्ती से नहीं। कोई अपनी इच्छा से ही अपना माल उपभोग के लिए दे दे तो कोई बात नहीं (आपसी सहमति से यौन व्यवहार)। जैसे पूंजीवाद में किसी भी अन्य माल की चोरी, डकैती या छीना-झपटी गैर-कानूनी या गलत है, वैसे ही इंसानी शरीर व इंसानी यौन-व्यवहार का भी। बस। पूंजीवाद में इस नियम और नैतिकता के हिसाब से आपसी सहमति से यौन व्यभिचार, वेश्यावृत्ति, पोर्नोग्राफी इत्यादि सब जायज हो जाते हैं। बस जोर-जबर्दस्ती नहीं होनी चाहिए। 

तीन आपराधिक कानून ना तो ‘ऐतिहासिक’ हैं और ना ही ‘क्रांतिकारी’ और न ही ब्रिटिश गुलामी से मुक्ति दिलाने वाले

ये तीन आपराधिक कानून ना तो ‘ऐतिहासिक’ हैं और ना ही ‘क्रांतिकारी’ और न ही ब्रिटिश गुलामी से मुक्ति दिलाने वाले। इसी तरह इन कानूनों से न्याय की बोझिल, थकाऊ अमानवीय प्रक्रिया से जनता को कोई राहत नहीं मिलने वाली। न्यायालय में पड़े 4-5 करोड़ लंबित मामलों से भी छुटकारा नहीं मिलने वाला। ये तो बस पुराने कानूनों की नकल होने के साथ उन्हें और क्रूर और दमनकारी बनाने वाले हैं और संविधान में जो सीमित जनवादी और नागरिक अधिकार हासिल हैं ये कानून उसे भी खत्म कर देने वाले हैं।

रूसी क्षेत्र कुर्स्क पर यूक्रेनी हमला

जेलेन्स्की हथियारों की मांग लगातार बढ़ाते जा रहे थे। अपनी हारती जा रही फौज और लोगों में व्याप्त निराशा-हताशा को दूर करने और यह दिखाने के लिए कि जेलेन्स्की की हुकूमत रूस पर आक्रमण कर सकती है, इससे साम्राज्यवादी देशों को हथियारों की आपूर्ति करने के लिए अपने दावे को मजबूत करने के लिए उसने रूसी क्षेत्र पर आक्रमण और कब्जा करने का अभियान चलाया। 

पूंजीपति वर्ग की भूमिका एकदम फालतू हो जानी थी

आज की पुरातन व्यवस्था (पूंजीवादी व्यवस्था) भी भीतर से उसी तरह जर्जर है। इसकी ऊपरी मजबूती के भीतर बिल्कुल दूसरी ही स्थिति बनी हुई है। देखना केवल यह है कि कौन सा धक्का पुरातन व्यवस्था की जर्जर इमारत को ध्वस्त करने की ओर ले जाता है। हां, धक्का लगाने वालों को अपना प्रयास और तेज करना होगा।

राजनीति में बराबरी होगी तथा सामाजिक व आर्थिक जीवन में गैर बराबरी

यह देखना कोई मुश्किल नहीं है कि शोषक और शोषित दोनों पर एक साथ एक व्यक्ति एक मूल्य का उसूल लागू नहीं हो सकता। गुलाम का मूल्य उसके मालिक के बराबर नहीं हो सकता। भूदास का मूल्य सामंत के बराबर नहीं हो सकता। इसी तरह मजदूर का मूल्य पूंजीपति के बराबर नहीं हो सकता। आम तौर पर ही सम्पत्तिविहीन का मूल्य सम्पत्तिवान के बराबर नहीं हो सकता। इसे समाज में इस तरह कहा जाता है कि गरीब अमीर के बराबर नहीं हो सकता।