पेपर लीक व नीट धांधली के विरोध में प्रदर्शन

बारम्बार परीक्षाओं के पेपर लीक होने व नीट की परीक्षा में धांधली पर पूरे देश में छात्रों-युवाओं का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। जगह-जगह अपने भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को रोकने के लिए छात्र-युवा सड़कों पर उतर रहे हैं। परिवर्तनकामी छात्र संगठन ने भी अन्य संगठनों के साथ मिलकर दिल्ली, बरेली, हल्द्वानी, नैनीताल आदि जगहों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किये। 
    
दिल्ली में विभिन्न छात्र-युवा संगठनों द्वारा आयोजित प्रदर्शन का पुलिस ने दमन किया और छात्रों-युवाओं को बसों में भरकर विभिन्न स्थानों पर ले जाकर छोड़ दिया। युवा नीट की परीक्षा फिर से कराने व एन टी ए को भंग करने की मांग कर रहे थे।
    
बरेली में परिवर्तनकामी छात्र संगठन ने जुलूस निकाल जिलाधिकारी कार्यालय पर परीक्षा धांधली के खिलाफ ज्ञापन प्रेषित किया। 
    
हल्द्वानी में परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास) ने NEET व UGC-NET पेपर लीक के विरोध में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान व NTA का बुद्ध पार्क तिकोनिया में सभा कर पुतला दहन किया।
    
सभा में बात करते हुए वक्ताओं ने कहा कि पिछले 7-8 सालों में 70 से ज्यादा राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय पेपर लीक के मामले लगातार सामने आये हैं। अभी हाल में NEET के बाद UGC NET परीक्षा में बहुत बड़ी धांधली देखने को मिली है जिसमें देश के लाखों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया है। यह बहुत ही शर्मनाक है। UGC NET का पेपर जिस तरीके से खुलेआम बिक रहा था। यह दिखा रहा है कि केन्द्र सरकार छात्रों-युवाओं के मुद्दों पर लगातार फेल हो रही है। यह सरकार न तो प्रवेश परीक्षा व प्रतियोगी परीक्षाओं को पारदर्शी तरीके से आयोजित कर पा रही है और न ही रोजगार दे पाने में सफल है। 
    
बार-बार परीक्षाओं पर चर्चा करने वाले प्रधानमंत्री आखिर कब पेपर लीक मामले में चर्चा करेंगे?
    
देश के तमाम आम छात्रों के साथ जो कई सालों से इस परीक्षा के लिए दिन-रात मेहनत और तैयारी करते हैं उनके सपनों, उम्मीदों को तोड़ा गया है। उनके साथ धोखा किया गया है। आखिर कब तक छात्रों के साथ इस तरीके से खिलवाड़ किया जाएगा। पेपर लीक में जो गिरोह काम कर रहा है आखिर किसकी शह से वह काम कर रहा है? सत्ता के संरक्षण के बिना नकल माफिया इतने पेपर लीक को अंजाम नहीं दे सकते हैं।
    
प्रदर्शन के दौरान सरकार से निम्न मांगें की गयीं-

1- पेपरलीक पर रोक लगाई जाए। लगातार हो रहे पेपरलीक की निष्पक्ष जांच कर दोषियों को सजा दी जाए।
2- दोबारा परीक्षा होने पर छात्रों को तैयारी-किराया इत्यादि खर्चों का भुगतान सरकार द्वारा वहन किया जाए।
3- पेपरलीक हेतु जिम्मेदार NTA को तत्काल प्रभाव से भंग किया जाए।
4- NEET-UG की परीक्षा दोबारा आयोजित की जाये। इस हेतु केंद्रीकृत परीक्षा की जगह राज्य स्तर पर ही परीक्षाएं आयोजित की जायें।
    
नैनीताल में राष्ट्रीय स्तर पर NTA द्वारा आयोजित की गई NEET-UG, UGC-NET-JRF की परीक्षाओं में धांधली के विरोध में छात्र-युवा इकट्ठा हुए और Re NEET के लिए व उत्तराखंड की NTA द्वारा आयोजित परीक्षाओं में हुई धांधलियों की जांच तथा परीक्षा प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर कुमाऊं कमिश्नर नैनीताल के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर, विरोध-प्रदर्शन किया।
    
प्रदर्शन करने वालों ने कहा कि उत्तराखंड में राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा राज्य में आयोजित अन्य परीक्षाओं की भी जांच की जानी आवश्यक है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय स्टेनो तथा उच्च न्यायालय क्लर्क परीक्षाओं सहित एन.टी.ए. द्वारा आयोजित हाल की परीक्षाओं में धांधली तथा अनियमितताओं का संदेह पैदा हुआ है। इन परीक्षाओं में बैठने वाले छात्र धोखाधड़ी के डर से जांच की मांग कर रहे हैं।
    
कार्यक्रम में उत्तराखंड बेरोजगार संगठन, परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास) के कार्यकर्ता व आम छात्र-छात्राएं शामिल थे। 
        -विशेष संवाददाता

आलेख

/idea-ov-india-congressi-soch-aur-vyavahaar

    
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

/ameriki-chunaav-mein-trump-ki-jeet-yudhon-aur-vaishavik-raajniti-par-prabhav

ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

/brics-ka-sheersh-sammelan-aur-badalati-duniya

ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती। 

/amariki-ijaraayali-narsanhar-ke-ek-saal

अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को