उत्तराखण्ड : सत्यापन नहीं उत्पीड़न अभियान

बीते कुछ समय से समूचे उत्तराखण्ड में पुलिस का सत्यापन अभियान चल रहा है। इस सत्यापन अभियान के तहत पुलिस उत्तराखण्ड के बाहर के व्यक्तियों, किरायेदारों, दुकानदारों, फड़-ठेली वालों, मजदूरों आदि का सत्यापन कर रही है। सरकार ने प्रावधान बनाया हुआ है कि हर किरायेदार का पुलिस सत्यापन मकान मालिक द्वारा कराया जाना अनिवार्य है। इसके साथ ही सत्यापन प्रक्रिया में कुछ जगह तो पुलिस द्वारा जारी चरित्र प्रमाण पत्र भी लोगों से मांगा जा रहा है। सत्यापन न कराये लोगों पर भारी जुर्माने से लेकर गिरफ्तारी तक की कार्यवाही की जा रही है। 
    
पुलिस का यह सत्यापन अभियान आम मजदूर-मेहनतकश के लिए भारी उत्पीड़न अभियान साबित हुआ है। पुलिस द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अब तक 2 लाख लोगों का सत्यापन किया जा चुका है जिसमें करीब 95 लाख का जुर्माना वसूलने के साथ लगभग 5000 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। ऊधम सिंह नगर, देहरादून व हरिद्वार में गिरफ्तार लोगों की तादाद सबसे ज्यादा थी। ऊधमसिंह नगर मे 2834, देहरादून में 1376 व हरिद्वार में 622 लोग गिरफ्तार किये गये। 
    
राज्य के मुखिया पुष्कर धामी के निर्देश पर यह अभियान लगातार चलाकर नागरिकों में भय व आतंक का माहौल कायम किया जा रहा है। धामी इस अभियान के जरिये मुस्लिम बाहरी लोगों को खास तौर पर निशाने पर लेना चाहते हैं ताकि वे अपनी लैण्ड जिहाद की बातों को सच ठहरा सकें। स्पष्ट है कि सत्यापन अभियान का शिकार मुस्लिमों को अधिक बनाया जा रहा है। 
    
पर साथ ही इस अभियान का कहीं ज्यादा शिकार मजदूर-मेहनतकश आबादी भी बन रही है। ऐसी आबादी जो काम के लिए आज एक राज्य में है कल दूसरे राज्य में, वह इस सत्यापन अभियान से खास तौर पर तंग हो रही है। ऊधम सिंह नगर में सर्वाधिक गिरफ्तारियां भी यही दिखाता है कि मजदूरों को इस अभियान का सबसे ज्यादा शिकार होना पड़ रहा है।
    
इस अभियान में भी भ्रष्टाचार की बातें अब सामने आने लगी हैं। यानी पहचान वाले से सिफारिश, घूस आदि के जरिये उत्पीड़न से लोग बच रहे हैं। अभियान के शिकार वे लोग भी हो रहे हैं जिन पर वोटर कार्ड, आधार कार्ड, राशन कार्ड सब हैं पर उन्होंने स्थानीय थाने में अपना सत्यापन नहीं कराया है। 
    
सत्यापन अभियान के जरिये मोदी सरकार की तर्ज पर धामी सरकार लोगों को कागजात बनाने, थाने के चक्कर लगवाने की कवायद में झोंक कर उत्पीड़न कर रही है। वोटर कार्ड, आधार कार्ड होने के बावजूद लोगों के कहीं भी जाकर बसने के अधिकार का सरकारी कवायद खुद हनन कर रही है। यह राज्य द्वारा नागरिकों की बढ़ती जासूसी का भी हथियार बन रहा है। 

आलेख

/idea-ov-india-congressi-soch-aur-vyavahaar

    
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

/ameriki-chunaav-mein-trump-ki-jeet-yudhon-aur-vaishavik-raajniti-par-prabhav

ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

/brics-ka-sheersh-sammelan-aur-badalati-duniya

ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती। 

/amariki-ijaraayali-narsanhar-ke-ek-saal

अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को