डयूटी के दौरान काम करते समय एक ठेका मजदूर घायल, अस्पताल में भर्ती

पंतनगर/ 23 मार्च 2023 को पन्तनगर के शैक्षणिक डेरी फार्म के कृषि अनुभाग में कार्यरत ठेका मजदूर तुलेश्वर यादव को कृषि अनुभाग से पशुशाला पुरानी डेरी में गोबर की ट्राली भरने भेजा गया था। वहां सुबह लगभग 9ः30 बजे ट्राली भरते समय ट्राली के डाले का हुक टूटने से तुलेश्वर यादव गिर गये, उनके शरीर के दोनों पैरों के बीच अंडकोष में गहरी चोट लग गई जिससे खून बहने लगा। साथ में काम कर रहे मजदूरों ने तुरंत प्रभारी पशुशाला अनुभाग को सुचना दी और मरीज को पन्तनगर विश्वविद्यालय चिकित्सालय ले जाया गया। जहां डॉक्टर ने मरीज को मरहम-पट्टी करके विभाग डेरी में भेज दिया।

पता चलते ही प्रभारी, कृषि अनुभाग और ठेका मजदूर कल्याण समिति के कार्यकर्त्ता मरीज को ई.एस.आई. कार्ड लेकर गौतम हास्पिटल रुद्रपुर, इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया और मरीज का IPD का पर्चा बनवाया जिसकी फीस 500 रुपये लगी। मरीज का ई.एस.आई.कार्ड और आवश्यक 3 पासपोर्ट साइज के फोटो खींचकर गौतम हास्पिटल के ई.एस.आई. कार्यालय में जमा करा दिया गया है। अस्पताल में भर्ती मरीज का ई.एस.आई. से इलाज चल रहा है। साथियों को अपने ठेका मजदूर कल्याण समिति में सदस्य/कार्यकर्ता बनकर इसी तरह मिल-जुलकर एक-दूसरे की मदद करके भाईचारा कायम करने की जरूरत है। -भूपेन्द्र शर्मा, पन्तनगर

आलेख

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ट्रम्प के सामने चीनी साम्राज्यवादियों से मिलने वाली चुनौती से निपटना प्रमुख समस्या है। चीनी साम्राज्यवादियों और रूसी साम्राज्यवादियों का गठजोड़ अमरीकी साम्राज्यवाद के विश्व व्यापी प्रभुत्व को कमजोर करता है और चुनौती दे रहा है। इसलिए, हेनरी किसिंजर के प्रयोग का इस्तेमाल करने का प्रयास करते हुए ट्रम्प, रूस और चीन के बीच बने गठजोड़ को तोड़ना चाहते हैं। हेनरी किसिंजर ने 1971-72 में चीन के साथ सम्बन्धों को बहाल करके और चीन को सोवियत संघ के विरुद्ध खड़ा करने में भूमिका निभायी थी। 

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भारत आबादी के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा देश है और उसकी अर्थव्यवस्था भी खासी बड़ी है। इसीलिए दुनिया के सारे छोटे-बड़े देश उसके साथ कोई न कोई संबंध रखना चाहेंगे। इसमें कोई गर्व की बात नहीं है। गर्व की बात तब होती जब उसकी कोई स्वतंत्र आवाज होती और दुनिया के समीकरणों को किसी हद तक प्रभावित कर रहा होता। सच्चाई यही है कि दुनिया भर में आज भारत की वह भी हैसियत नहीं है जो कभी गुट निरपेक्ष आंदोलन के जमाने में हुआ करती थी। 

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भारत में वस्त्र एवं परिधान उद्योग में महिला एवं पुरुष मजदूर दोनों ही शामिल हैं लेकिन इस क्षेत्र में एक बड़ा हिस्सा महिला मजदूरों का बन जाता है। भारत में इस क्षेत्र में लगभग 70 प्रतिशत श्रम शक्ति महिला मजदूरों की है। इतनी बड़ी मात्रा में महिला मजदूरों के लगे होने के चलते इस उद्योग को महिला प्रधान उद्योग के बतौर भी चिन्हित किया जाता है। कई बार पूंजीवादी बुद्धिजीवी व भारत सरकार महिलाओं की बड़ी संख्या में इस क्षेत्र में कार्यरत होने के चलते इसे महिला सशक्तिकरण के बतौर भी प्रचारित करती है व अपनी पीठ खुद थपथपाती है।

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भारत और पाकिस्तान के इन चार दिनों के युद्ध की कीमत भारत और पाकिस्तान के आम मजदूरों-मेहनतकशों को चुकानी पड़ी। कई निर्दोष नागरिक पहले पहलगाम के आतंकी हमले में मारे गये और फिर इस युद्ध के कारण मारे गये। कई सिपाही-अफसर भी दोनों ओर से मारे गये। ये भी आम मेहनतकशों के ही बेटे होते हैं। दोनों ही देशों के नेताओं, पूंजीपतियों, व्यापारियों आदि के बेटे-बेटियां या तो देश के भीतर या फिर विदेशों में मौज मारते हैं। वहां आम मजदूरों-मेहनतकशों के बेटे फौज में भर्ती होकर इस तरह की लड़ाईयों में मारे जाते हैं।

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आज आम लोगों द्वारा आतंकवाद को जिस रूप में देखा जाता है वह मुख्यतः बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध की परिघटना है यानी आतंकवादियों द्वारा आम जनता को निशाना बनाया जाना। आतंकवाद का मूल चरित्र वही रहता है यानी आतंक के जरिए अपना राजनीतिक लक्ष्य हासिल करना। पर अब राज्य सत्ता के लोगों के बदले आम जनता को निशाना बनाया जाने लगता है जिससे समाज में दहशत कायम हो और राज्यसत्ता पर दबाव बने। राज्यसत्ता के बदले आम जनता को निशाना बनाना हमेशा ज्यादा आसान होता है।