यूनियन द्वारा खुद पंजीकरण रद्द करने का आवेदन

धारूहेड़ा/ हरियाणा के धारूहेड़ा औद्योगिक इलाके में स्थित ऑटोफिट फैक्टरी में जारी छंटनी को प्रबंधन ने मई 2025 में अंतिम रूप देकर सभी स्थाई श्रमिकों को वी.आर.एस. देकर बाहर का रास्ता दिखा दिया। ऑटोफिट फैक्टरी रेवाड़ी जिले के धारूहेड़ा औद्योगिक इलाके में स्थित है। यह फैक्टरी हीरो कम्पनी के लिए पार्ट बनाती है। इस फैक्टरी में हीरो कम्पनी के पार्ट की असेम्बली होती है। 
    
इस फैक्टरी में वर्ष 2013 में यूनियन बनी थी। यह यूनियन हिन्द मजदूर सभा से सम्बद्ध थी। जब यूनियन का गठन किया तो उस समय फैक्टरी में लगभग 100 के आस-पास स्थाई मजदूर थे और लगभग इतने ही अस्थाई मजदूर थे। प्रबंधन ने वर्ष 2019 में इस फैक्टरी में स्थाई मजदूरों की छंटनी की प्रक्रिया शुरू की थी जिसका यूनियन ने कोई विरोध नही किया। यहां तक कि कोरोना के दौरान भी मजदूरों की छंटनी की गई। यूनियन ने प्रबंघन से मिलकर श्रमिकों को वी.आर.एस. देकर नौकरी से निकालने की प्रक्रिया अपनाई। वर्ष 2024 तक आते-आते इस फैक्टरी में सिर्फ 15 स्थाई मजदूर ही रह गए। वर्ष 2014 से इस यूनियन का सामूहिक मांग पत्र लम्बित चल रहा था। प्रबंधन ने कुछ दिन पहले इन 15 स्थाई मजदूरों में से 12 मजदूरों का चेन्नई स्थित ऑटोफिट के दूसरे प्लांट में तबादला कर दिया। यूनियन ने इस पर कोई विरोध नहीं किया तो श्रमिक परेशान होकर अपना हिसाब-किताब लेकर चले गए। अंत में बचे 3 स्थाई मजदूरों व यूनियन के पदाधिकारियों पर प्रबंधन ने वी.आर.एस. का दबाव बनाया तो यूनियन के पास सिवाय वी.आर.एस. लेने के कुछ रास्ता नहीं बचा था। और सबसे बड़ी बात यह है कि प्रबंधन ने यूनियन को इस शर्त पर वी.आर.एस. दिया कि आप अपनी यूनियन का पंजीकरण खारिज करने का प्रार्थना पत्र रजिस्ट्रार हरियाणा सरकार को देंगे। यूनियन ने दिनांक 05 मई 2025 को अपनी यूनियन का पंजीकरण रद्द करने का प्रार्थना पत्र रजिस्ट्रार ट्रेड यूनियन हरियाणा सरकार को प्रेषित कर यूनियन पंजीकरण रद्द करने की मांग कर दी। 
    
ऑटोफिट यूनियन का नेतृत्व यूनियन बनाने के बाद सिर्फ अपने वेतन-भत्तों तक सिमट कर रह गया और इस नेतृत्व को हिन्द मजदूर सभा जो कि एक केन्द्रीय ट्रेड यूनियन सेन्टर है, ने मजदूर वर्ग की राजनीति और विचारधारा से दूर रखा और प्रबंधन से मिलकर वर्ग संघर्ष के बजाय वर्ग सहयोग की राजनीति बताई व पढ़ाई। जिसका असर ये हुआ कि जब प्रबंधन ने वर्ष 2019 में छंटनी की प्रक्रिया शुरू की तो यूनियन ने प्रबंधन के साथ मिलकर श्रमिकों को जबरदस्ती वी.आर.एस. दिलवाया। और अंत में जब यूनियन की बारी आई तो उसके लिए लड़ने के लिए कोई बचा ही नहीं था। इस समय यह प्लांट ठेका मजदूरों और स्कीम मजदूरों से चल रहा है। यानी प्रबंधन ने लेबर कोड्स को व्यवहार में लागू करना शुरू कर दिया है।  
    
मोदी सरकार ने 44 केन्द्रीय श्रम कानूनों को बदलकर 4 लेबर कोड पारित कर मजदूर वर्ग पर बहुत बड़ा हमला बोला है जिसका कोई व्यापक प्रतिरोध इन केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों ने नहीं किया है। लम्बे समय से वर्ग संघर्ष का रास्ता छोड़ चुकी इन केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों से व्यापक विरोध की उम्मीद पालना बेमानी होगा। छंटनी की यह प्रक्रिया गुड़गांव से लेकर हरिद्वार, रुद्रपुर, चेन्नई, बंगाल तक हर औद्योगिक इलाके में चल रही है। यह लेबर कोड्स को व्यवहारिक रूप से लागू करने की प्रक्रिया है। मजदूर यूनियनों को अब इस चुनौती को स्वीकार कर तथा व्यवस्थापरस्त केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों का भंडाफोड़ कर अपना क्रांतिकारी संगठन बनाकर अपनी वर्गीय लड़ाई को सही दिशा देनी होगी। 
           -धारूहेड़ा संवाददाता 
 

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