चाल, चरित्र और चेहरा

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पिछले दिनों सोशल मीडिया पर भाजपा के कई नेताओं के अश्लील वीडियो वायरल हुए। इन वीडियो के वायरल होने के बाद भाजपा के अपनी पार्टी के बारे में उछाले जाने वाले नारे ‘‘चाल, चरित्र और चेहरा’’ की कलई खुल गयी है। 
    
बब्बर सिंह रघुवंशी जो कि रसड़ा, बलिया के भाजपा नेता और चीनी मिल के अध्यक्ष हैं, का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें वे एक समारोह में एक नाचने वाली लड़की के साथ अश्लील हरकतें कर रहे हैं। इसी तरह अमर सिंह कश्यप और कमल रघुवंशी जो क्रमशः गोंडा, उत्तर प्रदेश और मंदसौर, मध्य प्रदेश से भाजपा नेता हैं, के वीडियो वायरल हुए। और सबसे ज्यादा हद तो मध्य प्रदेश के ही भाजपा नेता मनोहर लाल धाकड़ के वीडियो ने कर दी। राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक महिला के साथ सम्बन्ध बनाते हुए उनकी वीडियो वायरल हुई।
    
इससे पहले भी भाजपा नेताओं के महिलाओं के साथ अश्लील वीडियो वायरल हुए लेकिन वे बंद कमरों के थे लेकिन अब यह अश्लीलता सड़क और समारोह में सामने आने लगी है। यानी अब इन नेताओं के मन से समाज का डर निकल चुका है और वे खुलेआम महिलाओं के साथ अपनी कुंठित वासनाओं की पूर्ति कर रहे हैं।  
    
अब जैसे ही ये वीडियो वायरल हो रहे हैं और भाजपा भी इनको अपने गले से नीचे नहीं उतार पा रही है तो इन नेताओं से अपना पल्ला झाड़ रही है। और इस तरह जो कालिख उसके मुंह पर लग रही है उससे बचने की कोशिश कर रही है। 
    
एक तरफ जहां भाजपा महिला सशक्तिकरण की बात करती है वहीं दूसरी तरफ भाजपा नेता महिलाओं को क्या समझते हैं, इसके प्रमाण मिल रहे हैं। महिलाओं को देवी का दर्ज़ा देने का दावा करने वाली पार्टी के नेता महिलाओं को अपनी हवस की पूर्ति के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।
    
भाजपा पार्टी का यह पतन अचानक नहीं हुआ है। कुलदीप सैंगर, चिन्मयानंद स्वामी, ब्रज भूषण सिंह जैसे भाजपा के नेता लगातार महिलाओं के साथ बलात्कार, अश्लीलता के आरोपी रहे हैं लेकिन भाजपा हमेशा ऐसे लोगों को बचाती आ रही है। और ऐसा होने ने उनके हौंसलों को बढ़ावा ही दिया है। ऐसा नहीं है कि दूसरी पार्टियों में ऐसे लोग नहीं हैं लेकिन पिछले दस सालों से भाजपा के लगातार सत्ता पर बने रहने ने उनको निरंकुश बना दिया है।  
    
दरअसल पूंजीपतियों की निर्लज़्ज़ता पूर्वक सेवा करते हुए भाजपा आज हर तरह की नैतिकता से पिंड छुटा चुकी है। मानवीय मूल्यों से खोखली हो चुकी है। ऐसे में यही गंदगी समय-समय पर सामने आती रहती है।
 

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ट्रम्प के सामने चीनी साम्राज्यवादियों से मिलने वाली चुनौती से निपटना प्रमुख समस्या है। चीनी साम्राज्यवादियों और रूसी साम्राज्यवादियों का गठजोड़ अमरीकी साम्राज्यवाद के विश्व व्यापी प्रभुत्व को कमजोर करता है और चुनौती दे रहा है। इसलिए, हेनरी किसिंजर के प्रयोग का इस्तेमाल करने का प्रयास करते हुए ट्रम्प, रूस और चीन के बीच बने गठजोड़ को तोड़ना चाहते हैं। हेनरी किसिंजर ने 1971-72 में चीन के साथ सम्बन्धों को बहाल करके और चीन को सोवियत संघ के विरुद्ध खड़ा करने में भूमिका निभायी थी। 

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भारत आबादी के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा देश है और उसकी अर्थव्यवस्था भी खासी बड़ी है। इसीलिए दुनिया के सारे छोटे-बड़े देश उसके साथ कोई न कोई संबंध रखना चाहेंगे। इसमें कोई गर्व की बात नहीं है। गर्व की बात तब होती जब उसकी कोई स्वतंत्र आवाज होती और दुनिया के समीकरणों को किसी हद तक प्रभावित कर रहा होता। सच्चाई यही है कि दुनिया भर में आज भारत की वह भी हैसियत नहीं है जो कभी गुट निरपेक्ष आंदोलन के जमाने में हुआ करती थी। 

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भारत में वस्त्र एवं परिधान उद्योग में महिला एवं पुरुष मजदूर दोनों ही शामिल हैं लेकिन इस क्षेत्र में एक बड़ा हिस्सा महिला मजदूरों का बन जाता है। भारत में इस क्षेत्र में लगभग 70 प्रतिशत श्रम शक्ति महिला मजदूरों की है। इतनी बड़ी मात्रा में महिला मजदूरों के लगे होने के चलते इस उद्योग को महिला प्रधान उद्योग के बतौर भी चिन्हित किया जाता है। कई बार पूंजीवादी बुद्धिजीवी व भारत सरकार महिलाओं की बड़ी संख्या में इस क्षेत्र में कार्यरत होने के चलते इसे महिला सशक्तिकरण के बतौर भी प्रचारित करती है व अपनी पीठ खुद थपथपाती है।

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भारत और पाकिस्तान के इन चार दिनों के युद्ध की कीमत भारत और पाकिस्तान के आम मजदूरों-मेहनतकशों को चुकानी पड़ी। कई निर्दोष नागरिक पहले पहलगाम के आतंकी हमले में मारे गये और फिर इस युद्ध के कारण मारे गये। कई सिपाही-अफसर भी दोनों ओर से मारे गये। ये भी आम मेहनतकशों के ही बेटे होते हैं। दोनों ही देशों के नेताओं, पूंजीपतियों, व्यापारियों आदि के बेटे-बेटियां या तो देश के भीतर या फिर विदेशों में मौज मारते हैं। वहां आम मजदूरों-मेहनतकशों के बेटे फौज में भर्ती होकर इस तरह की लड़ाईयों में मारे जाते हैं।

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आज आम लोगों द्वारा आतंकवाद को जिस रूप में देखा जाता है वह मुख्यतः बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध की परिघटना है यानी आतंकवादियों द्वारा आम जनता को निशाना बनाया जाना। आतंकवाद का मूल चरित्र वही रहता है यानी आतंक के जरिए अपना राजनीतिक लक्ष्य हासिल करना। पर अब राज्य सत्ता के लोगों के बदले आम जनता को निशाना बनाया जाने लगता है जिससे समाज में दहशत कायम हो और राज्यसत्ता पर दबाव बने। राज्यसत्ता के बदले आम जनता को निशाना बनाना हमेशा ज्यादा आसान होता है।