
फिलिस्तीनी अवाम आज सबसे भयानक पीड़ाओं का सामना कर रही है। इजरायल द्वारा तबाह कर दिये मुल्क में वह राहत कार्यक्रम पहुंचाने पर लगी रोक से भुखमरी का शिकार है। महिलायें अपने मासूम बच्चों को भूख से मरता देख रही हैं। ऊपर से बम और गोली बरसाते इजरायली उनकी पीड़ा को और बढ़ा रहे हैं।
अमेरिकी सरगना ट्रम्प एक ओर हमास से शांति वार्ता चला रहे हैं वहीं दूसरी ओर इजरायल को हथियारों की आपूर्ति जारी रखे हुए हैं। एक ओर खबर आती है कि हमास-अमेरिका 60 दिन के युद्ध विराम समझौते पर सहमत हो गये हैं दूसरी ओर इजरायली नेता हिटलर की तर्ज पर फिलिस्तीन के ‘अंतिम समाधान’ का दावा करते हैं। हर रोज इजरायल की अत्याचारी फौज सैकड़ों निर्दोष मासूमों का कत्लेआम कर रही है। उनकी राहत के लिए भेजी जा रही सामग्री को उन तक पहुंचने नहीं दे रही है।
इजरायली हुकूमत का अंतिम समाधान समूचे गाजा को फिलिस्तीनियों से खाली करना, उन्हें राहत शिविरों में या दूसरे देशों में पहुंचाना है। इजरायल का यह समाधान समूचे फिलिस्तीन को हड़पना है। इजरायली हुकूमत सोचती है कि रोटी की आपूर्ति रोककर, इलाज की सुविधा रोककर, ऊपर से बम बरसा कर वह फिलिस्तीनियों को उनकी मातृभूमि से खदेड़ने में सफल हो जायेगी। अत्याचारी इजरायल बीते 75 वर्षों तो दूर 2 वर्षों के अनुभव से भी सबक लेने को तैयार नहीं है। ये सबक बताता है कि आजादी और मुक्ति की ध्वजा को थामे कोई कौम अगर संघर्ष छेड़ देती है तो वह भूख-गोली से कुचली नहीं जा सकती। नेतन्याहू खुद धूल धूसरित हो जायेंगे पर फिलिस्तीनी अवाम का कुर्बानियों भरा संघर्ष अजर-अमर है।
अमेरिकी सरगना एक ओर हमास से वार्ता कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर लीबिया-सीरिया को खदेड़े गये फिलिस्तीनियों को शरण देने के लिए राजी कर रहे हैं। ट्रम्प की ये दुरंगी चालें और शांति का यह पाखण्ड किसी से छिपा नहीं है। सबसे ज्यादा इसकी असलियत को अमेरिकी विश्वविद्यालयों के छात्र समझ रहे हैं।
अमेरिका के बहादुर छात्र बीते एक वर्ष से तरह-तरह के दमन का सामना करते हुए भी फिलिस्तीनियों के नरसंहार के खिलाफ अपना प्रतिरोध लगातार दर्ज करा रहे हैं। इस प्रतिरोध के चलते ट्रम्प प्रशासन ढेरों छात्रों से उनकी शिक्षा का अधिकार छीन चुका है। ढेरों अप्रवासी छात्रों को देश निकाला दे दिया गया है तो ढेरों को जेलों में ठूंस दिया गया है। पर छात्र दमन की इन कार्यवाहियों का बहादुरी से मुकाबला करते हुए अपना प्रतिरोध जारी रखे हुए हैं।
बीते कुछ हफ्तों में अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों के छात्रों ने अकाल से जूझ रहे गाजा के लोगों के साथ एकजुटता दिखाते हुए भूख हड़ताल शुरू कर दी। वे अपने कालेजों-विश्वविद्यालयों से हथियार निर्माता अमेरिकी कम्पनियों से सम्बन्ध तोड़ने, इजरायल के साथ चल रहे शैक्षिक कार्यक्रमों को रद्द करने की भी मांग कर रहे हैं। कुछेक जगहों पर छात्रों को इस संघर्ष में सफलता भी मिल रही है। तीखे सरकारी दमन का तो वे हर रोज सामना कर रहे हैं।
कैलिफोर्निया के दो दर्जन से अधिक छात्र 5 मई से भूख हड़ताल पर हैं। वे खुद को उस परम्परा का वाहक बताते हैं जिसके तहत अमेरिकी छात्रों ने वियतनाम युद्ध खत्म करने और रंगभेदी द.अफ्रीका में अमेरिकी निवेश हटाने का संघर्ष किया था।
कैलिफोर्निया वि.वि. के अलावा, स्टैनफोर्ड वि.वि., सैन फ्रांसिस्को स्टेट वि.वि., सैक्रामेंटो वि.वि., येल कालेज आदि जगह-जगह के छात्र भूख हड़ताल कर अकाल के शिकार गाजा के प्रति अपनी एकजुटता प्रदर्शित कर रहे हैं। इसके अलावा वे जगह-जगह गाजा एकजुटता शिविर भी स्थापित कर रहे हैं। हापकिन्स वि.वि. के एकजुटता शिविर को बीते दिनों पुलिस ने बल प्रयोग से ध्वस्त कर दिया।
इस तरह एक ओर अमेरिकी सरगना ट्रम्प शांति का नारा लगाते हुए निर्दोष फिलिस्तीनियों के सफाये की राह पर चल रहा है वहीं दूसरी ओर बहादुर अमेरिकी छात्र फिलिस्तीनियों से सच्ची एकजुटता व्यक्त कर रहे हैं।