
झारखण्ड की बासंती माटा कोयला खदान में ऊपर की छत गिर जाने से दो मजदूर मारे गये। दो और मजदूरों के मारे जाने की संभावना है। यह दुर्घटना भारत कुकिंग कोल लिमिटेड की खदान में हुई। <br />
भारत के अंदर बाकी खदानों के मुकाबले मे कोयला खानों में होने वाली घटनाओं की संख्या ज्यादा है। कुल खानों की दुर्घटनाओं की 86 प्रतिशत दुर्घटनायें कोयला खदानों के अंदर होती हैं। कुल मौतों में से 60 प्रतिशत मौतें तथा घायलों में से 83 प्रतिशत घायल होने की घटनायें कोयला खानों के अंदर होती हैं। और बाकी प्रदेशों के मुकाबले झारखण्ड में कोयला खदानों में होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या ज्यादा है। <br />
भारत में प्रति 1000 पर कोयला खदानों में मरने वालों की संख्या 0.3 है। जबकि जर्मनी में यह 0.13 तथा आस्ट्रेलिया में 0.15 है। प्रति 1 टन पर मरने वालों की संख्या अमेरिका से 8.64 गुनी तथा आस्ट्रेलिया से 24 गुनी है। <br />
भारत में इतनी ज्यादा संख्या में होने वाली मौतों का कारण कोयला खानों का भूमिगत होना है। भारत में 54 प्रतिशत खानें भूमिगत हैं जबकि खुली हुई खानों में दुर्घटनाओं की संभावना कम होती है। <br />
कोयला खदानों में होने वाली मौतों के लिए यहां अवैध खनन जिम्मेदार है तो वहीं भारत सरकार की नीतियां भी जिम्मेदार हैं। 1970 में खानों के राष्ट्रीयकरण के बाद होने वाली मौतों की संख्या कम हो गयी थी परन्तु 1991 के बाद उदारीकरण की नीतियां लागू हो जाने के बाद ठेका प्रथा बढ़ गयी और आज कोयला खदानों में भारी संख्या में ठेका मजदूर काम कर रहे हैं जिनकी सुरक्षा व्यवस्था की कोई गारण्टी नहीं होती है। इस कारण भी दुर्घटनाओं में वृद्धि हो रही हैं।