सं.रा. अमेरिका के राष्ट्रपति पद से पदमुक्त होने के करीब जो बाइडेन ने अपनी पार्टी के एक समर्थक अरबपति को देश का सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार दे दिया। यह अरबपति है जार्ज सोरोस जो यूरोपीय मूल का एक वित्तीय सट्टेबाज है। वित्तीय सट्टेबाज होने के साथ इसकी खासियत यह है कि यह दुनिया भर में जनतंत्र का प्रचार करने के लिए विख्यात या कुख्यात है। सट्टेबाजी से हासिल अपनी कमाई का एक हिस्सा वह इस काम में खर्च करता है। मजे की बात यह है कि वित्तीय सट्टेबाजी से खूब दौलत कमाने वाला यह अरबपति इस सट्टेबाजी के खिलाफ चेतावनी देता रहता है कि यह दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए अत्यन्त खतरनाक है।
अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के इस फैसले का वहां रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों ने विरोध किया। उनका कहना था कि जार्ज सोरोस उन लोगों और नीतियों का समर्थन करते हैं जो अमेरिका विरोधी हैं। ये लोग एलन मस्क का समर्थन करते हैं जो दुनिया का सबसे धनी व्यक्ति है जो पिछले चुनाव में ट्रम्प समर्थक में रूपान्तरित हो गया है। ट्रम्प के नये प्रशासन में यह व्यक्ति स्वयं सरकार की कांट-छांट करने का काम संभालेगा।
भारत के हिन्दू फासीवादी जार्ज सोरोस के खिलाफ हैं। उन्होंने जार्ज सोरोस को हौव्वा बना दिया है और हर एक मौके पर उसे कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी से जोड़ते रहते हैं। उनके अनुसार जार्ज सोरोस कभी अकेले तो कभी अन्य भारत विरोधी शक्तियों के साथ मिलकर भारत को ‘विश्वगुरू’ बनने से रोकने में लगे हुए हैं। पिछले दिनों तो और आगे बढ़कर उन्होंने स्वयं अमरीकी प्रशासन को इस साजिश में भागीदार ठहरा दिया। मामला इतना बढ़ गया कि अमरीकी प्रशासन को बाकायदा औपचारिक तौर पर इस प्रचार अभियान के खिलाफ शिकायत करनी पड़ी। पर अपनी रणनीति के तहत हिन्दू फासीवादी सरकार इस पर मौन रही। और हिन्दू फासीवादियों का गैर-सरकारी प्रचार बदस्तूर जारी है।
हिन्दू फासीवादियों का जार्ज सोरोस से बैर विचारधारात्मक है। हिन्दू फासीवादी पूंजीवादी जनतंत्र के दुश्मन हैं जबकि सोरोस इसी पूंजीवादी जनतंत्र को दुनिया भर में प्रचारित करते हैं। जार्ज सोरोस का पूंजीवादी जनतंत्र का अभियान अमरीकी साम्राज्यवादियों के दुनिया भर में साम्राज्यवादी अभियान के साथ ताल-मेल बिठा कर चलता है। बल्कि वह इसी साम्राज्यवादी अभियान का हिस्सा होता है। लेकिन हिन्दू फासीवादियों को इससे दिक्कत नहीं है। वे तो स्वयं अमरीकी साम्राज्यवादी अभियान का हिस्सा बनने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। मोदी समेत सारे हिन्दू फासीवादियों के लिए अमेरिका स्वर्ग है। पर इन्हें जार्ज सोरोस से दिक्कत है जो इन्हें जनतंत्र का पाठ पढ़ाने की कोशिश करते हैं।
पर इन्हीं हिन्दू फासीवादियों को एलन मस्क से दिक्कत नहीं जबकि मस्क का भारत की अर्थव्यवस्था और राजनीति में दखल ज्यादा है। एलन मस्क बिजली से चलने वाली कारों के मामले में भारत सरकार की नीतियों को प्रभावित कर रहे हैं। वे भाजपा पर पैसा लुटा रहे हैं और उसका प्रचार कर रहे हैं। हिन्दू फासीवादियों को यह सब पसन्द है क्योंकि यह सब उनके फायदे में है।
जार्ज सोरोस और एलन मस्क दोनों दुनिया भर की राजनीति को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं, सोरोस अप्रत्यक्ष तौर पर तो मस्क प्रत्यक्ष तौर पर। सोरोस जनतंत्र का प्रचार कर यह कर रहे हैं तो मस्क सीधे-सीधे धुर दक्षिणपंथी पार्टियों और नेताओं का प्रचार कर तथा उन्हें पैसा देकर। पर हिन्दू फासीवादियों को दूसरा स्वीकार है और पहला अस्वीकार। दूसरे के मामले में उनका तथाकथित राष्ट्रवाद गायब हो जाता है।
आज धुर दक्षिणपंथियों और फासीवादियों के ‘राष्ट्रवाद’ की यही हकीकत है जो गरीब अप्रवासियों से घृणा करते हैं जबकि एलन मस्क जैसे व्यक्ति को छूट देते हैं कि वह उनके देश की राजनीति में खुला हस्तक्षेप करे।