मजदूरों का परमानेंट लेटर लेने का सफल संघर्ष

पंतनगर/ पूंजीवादी जनवाद की एक बानगी यह है कि कानूनों में दर्ज अधिकारों से भी मेहनतकश जनता को काट कर रखा जाता है, कानूनों को लागू करवाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है। इस तरह के संघर्ष बाज मौकों पर ही सफल हो पाते हैं। इसी प्रकार की एक घटना सिडकुल पंतनगर की है। <br />
    सिडकुल पंतनगर में एडविक हाइटेक प्रा.लि. सेक्टर-9, प्लाट न. 7A में स्थित है। यह कम्पनी वर्ष 2005 से उत्पादन कर रही है। इस कम्पनी में बजाज, हीरो, होण्डा, यामाहा मारुति आदि मोटर साइकिल के लिए आॅयल पंप, आॅयल फिल्टर, गियर स्फिट, टैन्शनर, फिलकाॅक, स्टार्ट गियर की मशीनिंग व एसेम्बली होती है। इसके अलावा 15-16 पार्ट्स की एसेम्बिलिंग की जाती है। <br />
    कम्पनी में लगभग 60 मजदूर कम्पनी बेस पर लगभग 7500 रु.-8500रु. वेतन पाते हैं। स्टाफ में 35 मजदूर हैं। 3 ठेकेदारों (नीम, पूर्णागिरी व सोनू) के लगभग 200 मजदूर (80 महिला) 6600 रु. वेतन पर काम करते हैं। कम्पनी में कच्चा माल क्रमशः गुड़गांव, हरिद्वार, काशीपुर, रुद्रपुर से आता है। तैयार माल गुड़गांव, धारूहेडा, मानेसर, अलवर, पूना, बैंगलुरू हरिद्वार व स्थानीय कम्पनियों को जाता है। <br />
    प्रबंधन द्वारा 6-8 सालों से काम कर रहे मजदूरों को स्थाई नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया था। इसके साथ ही कम्पनी द्वारा मजदूरों को न्यूनतम वेतन नहीं दिया जा रहा है। ओवरटाइम भी सिंगल ही दिया जाता है। इस सब के खिलाफ मजदूरों ने एकजुट होकर 7 अप्रैल 2017 को उक्त मांगों के सम्बन्ध में मांगपत्र प्रबंधन को दिया। मजदूरों की इस कार्यवाही पर प्रबंधन द्वारा मजदूरों को एक-एक कर आॅफिस में बुलाकर कुछ कागजों पर हस्ताक्षर करके स्थाई नियुक्ति पत्र लेने को कहा। उस कागजों में प्रबंधन ने किसी भी संगठन से न जुड़ने खासकर मजदूर संगठन से व यूनियन न बनाने का शपथ पत्र, वेतन वृद्धि की मांग न करना, सादे पेपर (स्वैच्छिक त्यागपत्र) की बातें लिखी थीं जिसे मजदूरों ने नकार दिया। <br />
    इसी से बौखला कर प्रबंधन ने 20 अप्रैल 17 को कम्पनी के आॅफिस में रात के समय शराब पार्टी की। उस दावत में प्रबंधन के अलावा पुराना मैनेजर (जो दूसरी कम्पनी में चले गया है) व कम्पनी के टाॅप मैनेजमेण्ट को मिलाकर 5-10 लोग मौजूद थे। उन्होंने एक-एक कर आॅफिस में मजदूरों को बुलाकर धमकाना शुरू कर दिया और कागजों पर हस्ताक्षर करने को कहा। कुछ मजदूरों ने डर के मारे हस्ताक्षर कर दिये परन्तु अधिकतर मजदूरों ने मना कर दिया। मजदूरों ने प्रबंधन की उक्त कार्यवाही का विरोध किया। अन्य शिफ्ट के मजदूरों को प्रबध्ंान की इस कार्यवाही की सूचना दी। मजदूरों ने प्रबंधन की इस कार्यवाही के खिलाफ सिडकुल चैकी में पहुंचकर शिकायत की। जब तक ये पुलिस के साथ कम्पनी पहुंचते तब तक प्रबंधन चैकड़ी कम्पनी से चली गयी। मजदूरों ने काम बंद कर दिया। अगले दिन सुबह सभी मजदूर सिडकुल चैकी पहुंच गये। पुलिस ने प्रबंधन को भी बुला लिया। पुलिस ने अपने वर्ग चरित्र के हिसाब से मजदूरों को शांत कर प्रबंधन का बचाव करते हुए मजदूरों को गुमराह कर काम पर वापस भेज दिया। 21 अप्रैल को इस सब प्रक्रिया के बाद बी शिफ्ट में काम शुरू हो पाया। <br />
    1 मई के दिन दो मजदूरों कृष्णपाल व संतोष का बिना नोटिस के गेट बंद कर दिया गया। 2 मई को ए.एल.सी. की मध्यस्थता में वार्ता हुयी जिसमें प्रबंधन को ए एल सी द्वारा 1 माह में सभी मजदूरों को परमानेंट लेटर दे देने की बात हुयी। 5 मई को एक अन्य मजदूर सुधीर कुमार का भी बिना नोटिस दिये गेट बंद कर दिया गया। सुधीर को घर से पता चला कि कम्पनी ने एक लेटर गेटबंदी के बाद 9 मई को पोस्ट किया था जिसमें 21 अप्रैल को काम पर नहीं आने के कारण नोटिस दिया गया था। जिसका जवाब 17 मई को दिया गया। इनके अलावा काम करते हुए भी कई मजदूरों को डराने धमकाने के लिए नोटिस दिये गये। <br />
    इसी घटना पर 24 अप्रैल को श्रमिक संयुक्त मोर्चे के साथ एक प्रार्थना पत्र डी.एम. उधमसिंह नगर को दिया गया। डी.एम. साहब ने कानूनों के हिसाब से कार्यवाही अमल में लाने की बात की। 5 मई को एस़.डी.एम. को पत्र दिया गया। उन्होंने भी मामला ए.एल.सी. को देखने को लिख दिया। <br />
    11 मई से मजदूरों ने ए.एल.सी. कार्यालय में धरना शुरू कर दिया। 17 मई को पुनः त्रिपक्षीय वार्ता हुयी जिसमें मजदूरों से माफी नामा देने की बात कही गयी। अंततः 22 मई को ए.एल.सी. की मध्यस्थता में समझौता हो गया। समझौते में तीनों गेटबंद मजदूरों की माफीनामे के बाद कार्यबहाली, दो दिनों के भीतर सभी मजदूरों को परमानेन्ट लेटर देने व 1200 रुपये वेतन वृद्धि पर सहमति बनी है जिसमें से आधा बोनस के रूप में देने की बात की गयी है। <br />
    एडविक के मजदूरों ने जिस प्रकार कानूनी न्यूनतम अधिकारों के लिए संघर्ष किया हैै और एक हद तक जीत हासिल की है। उन्हें अब अपने संगठन को मजबूत करते हुए अपनी एकता और समझ को बढ़ाने की जरूरत है। साथ ही उन्हें ठेका मजदूरों व सिडकुल के मजदूरों से अपनी नजदीकी बढ़ाने की जरूरत है। प्रबंधन अब और ज्यादा चैकन्ना हो गया है। मजदूरों को भी चैकन्ना रहने की जरूरत है। मजदूर अपनी वर्गीय एकता और वर्गीय राजनीति के दम पर ही पूंजीपति वर्ग व उसके तंत्र के षड्यंत्रों के खिलाफ लड़ सकता है।    <br />
         <strong> रुद्रपुर संवाददाता</strong>

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