![/bangladesh-mein-railway-karmachariyon-ki-ek-divaseey-hadtaal](/sites/enagrik.com/files/styles/webp/public/Image/bangladesh%20railway%20strike.jpg.webp?itok=vCiTV5Wh)
28 जनवरी को सुबह से ही बांग्लादेश के रेलवे के रनिंग (ट्रेनों के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने वाले) कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी। यह हड़ताल रेलवे यूनियन और बांग्लादेश के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के बीच वार्ता के 27 जनवरी को विफल होने के बाद शुरू हुई। इस अचानक हुई हड़ताल से जहां यात्रियों के सामने अपने गंतव्य तक जाने का संकट खड़ा हो गया वहीं सरकार के भी हाथ-पांव फूल गये। ट्रेन में यात्रा करने वालों के लिए बसों की व्यवस्था की गयी लेकिन यह काफी नहीं है। कुछ रेलवे स्टेशनों पर नाराज भीड़ ने तोड़-फोड़ भी की। हालांकि 28 जनवरी की रात होते-होते हड़ताल रद्द कर दी गयी और रेलवे सेवायें 29 जनवरी की सुबह से बहाल हो गयीं।
हड़ताली कर्मचारियों की मांग ओवरटाइम के भुगतान और पेंशन भुगतान के लाभों को लेकर है। कर्मचारियों की मांग है कि रेलवे मुख्यालय में लौटने के बाद उन्हें 12 घंटे आराम और अन्य स्थानों पर 8 घंटे आराम मिलना चाहिए। अगर किसी कारणवश उन्हें ओवरटाइम करना पड़े तो इसका लाभ उन्हें मिलना चाहिए।
दरअसल बांग्लादेश में ओवरटाइम का लाभ उन्हें पेंशन के समय भी मिलता है। 2021 में शेख हसीना के समय पेंशन के वक्त मिलने वाले लाभों को बंद कर दिया गया था जिससे कर्मचारियों में आक्रोश फैल गया। उनका कहना था कि यह लाभ उन्हें अंग्रेजों के समय से मिल रहा था। बाद में रेलवे मंत्रालय ने 2022 इसे पुनर्बहाल कर दिया लेकिन नए कर्मचारियों को इसे देने से मना कर दिया गया। कर्मचारियों को लगता है कि यूनुस सरकार भी उन्हें इस लाभ को नहीं देगी। अतः वे इसी की मांग को लेकर बातचीत कर रहे थे। इसके अलावा ग्रेच्युटी आदि की भी मांग उनकी है।
बांग्लादेश में प्रतिदिन 2.5 लाख लोग यात्रा करते हैं। इसका कुल रेलवे नेटवर्क 36,000 किलोमीटर का है जिसमें 25,000 लोग काम करते हैं। 17 करोड़ की आबादी में से हर साल 6.5 करोड़ लोग ट्रेन से यात्रा करते हैं। बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा शहर चटग्राम है। यहां देश का सबसे बड़ा समुद्री बंदरगाह है। यहां से गारमेंट का निर्यात अमेरिका और यूरोपीय देशों को होता है। रेलवे यहां तक गारमेंट को पहुंचाने का काम करती है। जिससे देश को 38 अरब डालर का राजस्व हर साल मिलता है। यदि हड़ताल लम्बी खिंचती तो यह बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर सकती थी। रेलवे यूनियनों ने अधिकारियों द्वारा मांगों पर विचार करने के आश्वासन पर हड़ताल रद्द करने की घोषणा कर दी।