भारत की प्रथम शिक्षिका सावित्री बाई फुले की सहयोगी एवं भारत की प्रथम मुस्लिम शिक्षिका फातिमा शेख के जन्मदिवस के अवसर पर 9 जनवरी को ग्राम पटरानी, रामनगर व बदायूं में सभा का आयोजन किया गया।
रामनगर में सभा में प्रगतिशील भोजनमाता संगठन, उत्तराखंड की अध्यक्ष शारदा ने कहा कि ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले ने 1848 में लड़कियों के लिये पहला स्कूल फातिमा शेख और उनके भाई उस्मान शेख के घर पर ही शुरू किया था। यह वह समय था जबकि ब्राह्मणवादी मान्यताओं के तहत माना जाता था कि शिक्षा हासिल करने का अधिकार सिर्फ उच्च जातियों और उनमें भी सिर्फ पुरुषों को ही है। फुले दंपत्ति के साथ फातिमा शेख ने भी इस मध्ययुगीन मान्यता को चुनौती दी और सभी लड़कियों खासकर पिछड़े-दलित और मुस्लिम समाज की लड़कियों के बीच शिक्षा की अलख जगाई। सावित्री बाई फुले और फातिमा शेख के प्रयासों से ही हमारे देश में लड़कियों को शिक्षा का अधिकार हासिल हुआ।
प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की रामनगर सचिव तुलसी छिम्वाल ने सभा को सम्बोधित करते हुये कहा कि कानूनी तौर पर सभी को शिक्षा का अधिकार हासिल हो जाने के बावजूद सरकारों की नाकामी के कारण आजाद भारत में दलित एवं मुस्लिम समाज में शिक्षा प्रसार कम ही हुआ; और जब सरकारें बढ़ चढ़ कर शिक्षा के निजीकरण की मुहिम को आगे बढ़ा रही हैं तब आर्थिक रूप से कमजोर तबके, जिनमें सर्वाधिक आज भी दलित एवं मुसलमान ही हैं, शिक्षा से महरूम हो रहे हैं। ऐसे में शिक्षा, चाहे वह प्राथमिक हो अथवा उच्च शिक्षा, बाजार के हवाले करने वाली नीतियों का विरोध होना चाहिये। सभा में बड़ी संख्या में भोजनमाताओं एवं ग्रामीण महिलाओं ने भागीदारी की।
बदायूं में जनहित सत्याग्रह मोर्चा और क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन द्वारा आलिमा जनाब पब्लिक स्कूल लालपुल बदायूं में फातिमा शेख का संघर्ष और शिक्षा के क्षेत्र में आज की चुनौतियां विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता मोर्चा की महिला विंग की अध्यक्ष शर्मिला रानी ने की। गोष्ठी को संबोधित करते हुए मोर्चा के अध्यक्ष प्रेमपाल सिंह ने कहा कि फातिमा शेख और सावित्री बाई फुले ने ना केवल महिलाओं की शिक्षा के लिए विपरीत परिस्थितियों में काम किया बल्कि उन्होंने सती प्रथा, बाल विवाह, जैसी कुरीतियों के खिलाफ और विधवाओं के पुनर्विवाह के लिए संघर्ष किया। सभा को संबोधित करते हुए साजिया अली ने कहा कि हमें फातिमा शेख के जीवन संघर्ष से प्रेरणा लेने की जरूरत है। इसके साथ आज के समाज में मौजूद कुरीतियों, भेदभाव और पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ भी संघर्ष करने की जरूरत है। समाज में व्याप्त महिला हिंसा, गैर बराबरी, पुरुषप्रधान मूल्य-मान्यताओं के विरुद्ध संघर्ष की जरूरत है। बिना किसी जातीय धार्मिक भेदभाव के हर किसी को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आवास को गारंटी हो ऐसे समाज की स्थापना की जरूरत है। क्रालोस के हर्षवर्धन ने कहा कि फातिमा शेख और सावित्रीबाई की कौमी एकता की मिसाल को सांप्रदायिकतावादी ताकतें खत्म कर रही हैं। शिक्षा का निजीकरण किया जा रहा है।
एड. आर पी त्यागी ने कहा कि आज जरूरत है कि फातिमा शेख और बहुजन नायकों के बताए रास्ते पर शिद्दत के साथ चला जाए। तभी हम उनके सपनों का भारत बना सकते हैं।
संचालन कर रहे चरन सिंह यादव ने कहा कि आज शिक्षा को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। ठेके की नौकरियां दी जा रही हैं। महिलाओं को यौन हिंसा का शिकार बनाया जा रहा है। दहेज के लिए लड़कियों को जलाया जा रहा है। इन आज की चुनौतियों से निपटे बिना फातिमा शेख और फुले दंपत्ति के सपनों का भारत नहीं बना सकते।
कार्यक्रम के अंत में गोष्ठी की अध्यक्षता कर रही शर्मिला रानी ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए फातिमा शेख के आदर्श पर चलने की अपील की। -विशेष संवाददाता
प्रथम मुस्लिम शिक्षिका फातिमा शेख के जन्मदिवस पर कार्यक्रम
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