विकास नहीं विनाश में नंबर वन
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 504 घरों पर बुलडोजर चल रहा है जो रिस्पना नदी किनारे 15-20 सालों से बसे हैं। देहरादून में रिस्पना नदी के किनारे वर्ष 2016 के बाद 27 गरीब बस्तियों में बने 504 मकानों को नगर निगम, एमडीडीए और मसूरी नगर पालिका ने नोटिस जारी किए थे। इसके बाद 27 मई से मकानों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की गई।
2018 के कानून के प्रावधानों के अनुसार सरकार को बस्तियों का नियमितीकरण और पुनर्वास करना था, लेकिन सरकार ने इस काम को किया नहीं। नदी के चौड़ीकरण के नाम पर हजारों परिवारों को भयंकर गर्मी में बेघर किया जा रहा है। केन्द्र में बैठी भाजपा सरकार ने 10 साल के कार्यकाल में गरीब बस्तीवासियों को सपने दिखाये कि ' जहां झुग्गी वहीं मकान' एकदम झूठ साबित हुआ। पूरे देश में अवैध निर्माण के नाम लाखों लोगों को बेघर कर दिया गया है। इसी तरह देहरादून की मजदूर बस्तियों को ध्वस्त किया जा रहा है। कई लोगों को सामान निकालने तक की मोहलत नहीं दी। भाजपा नेताओं द्वारा कहा जा रहा है कि हम इन्हें बचा रहे हैं कि कहीं नदी में बह न जाय। घर इस जन्म में नहीं तो अगले जन्म में बन जाएंगे। इस तरह के घटिया बयान दिये जा रहे हैं। चुनाव से पहले भाजपा व कांग्रेस पार्टी दोनों ने ही बस्ती के लोगों को आश्वासन दिया था कि हम आपके साथ हैं।
2016 में ही बस्तियों का नियमितीकरण और पुनर्वास के लिए कानून बना था। साथ ही प्रधानमंत्री का आश्वासन था कि वर्ष 2022 तक हर परिवार को घर मिलेगा। साथ ही उत्तराखंड सरकार ने 2021 तक सारी बस्तियों के नियमितीकरण या पुनर्वास की बात कही थी। बड़ा जन आंदोलन होने के बाद 2018 में सरकार अध्यादेश भी लाई थी। इसमें लिखा गया था कि तीन साल के अंदर बस्तियों का नियमितीकरण या पुनर्वास होगा। वह कानून 2024 में खत्म होने वाला है। आज तक किसी भी बस्ती में मालिकाना हक़ नहीं मिला है।
सरकार द्वारा 2016 से पहले बसे लोगों से कागजात मांगे तो जा रहे हैं लेकिन तरह-तरह बहाने व नुक्स निकाल कर उन्हें गुमराह किया जा रहा है।
एक तरफ बेदखली के लिए क़ानूनी प्रक्रिया को ताक पर रख कर मनमाने तरीकों से अनाधिकृत रूप से लोगों को बेदखल कर रहे हैं। दूसरी तरफ देहरादून की नदियों एवं नालियों में होटल, रिसोर्ट, रेस्टोरेंट और अनेक अन्य निजी संस्थान बने हैं लेकिन सरकार और सरकारी विभागों की ओर से इनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
उत्तराखंड में भाजपा सरकार के 7 वर्ष के कार्यकाल में इन गरीब बस्तियों का नियमितीकरण करना व पक्का मकान देना तो दूर लैंड जिहाद का नारा देकर गरीब लोगों के घरों को तोड़ना शुरू कर दिया।