आपका नजरिया

दो गज जमीन भी न मिली

/do-gaj-jameen-bhi-na-mili

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में छिंदवाड़ा गांव की कुल आबादी 6,450 है। इन 6,450 लोगों में छह हजार लोग आदिवासी समुदाय के हैं। साढ़े चार सौ लोग माहरा समुदाय के हैं। गांव में लगभग स

नागरिक टीम के नए प्रयास बहुत ही सराहनीय हैं

/nagrik-team-ke-naye-prayaas-bahut-hi-sarahaniy-hain

नागरिक टीम लगभग 6 महीने से पत्र को बेहतर करने के नए प्रयास कर रही है। पत्र को बेहतर करने के लिए उसकी छपाई की गुणवत्ता, फोंट आदि में प्रयोग किये जा रहे हैं। मुझे जो ज्यादा

आपका नजरिया - मजदूर मेहनतकश परिवार और पतित पूंजीवादी संस्कृति

आज हम जिस समाज में रह रहे हैं वह सड़ गल रहा है। समाज में नैतिकता, सामूहिकता का पतन हो रहा है। उससे मजदूरों-मेहनतकशों के परिवार भी अछूते नहीं हैं। तथाकथित आधुनिक जीवन शैली

आपका नजरिया - 18वीं लोकसभा, मोदी 3.0, उम्मीद और संभावनाएं

लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम में भाजपा को बहुमत से कम जब 240 सीटें मिलीं तो मोदी की सरकार बनाने में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के घटक दलों खासकर जेडीयू प्रमुख नीत

आपका नजरिया - व्यापार की भेंट चढ़ते हुए भगतसिंह

भगतसिंह पर बहुत सारी किताबें लिखी जा चुकी हैं, बहुत सारी किताबें लिखी जा रही हैं और बहुत सारी किताबें आगे भी लिखी जाती रहेंगी, इसका कारण यह है कि उस 23 साल के नौजवान ने अ

आपका नजरिया - अम्बेडकरवादी संगठनों का हश्र

14 अप्रैल को अम्बेडकर जयंती कार्यक्रम में दो जगह पर मैं शामिल हुआ। पिछले साल भी 14 अप्रैल को दो कार्यक्रमों में शामिल हुआ था। पिछले साल और इस साल के अनुभव लगभग समान हैं।

जब अपनी पर गुजरी, तो दिखी तानाशाही

पिछले कुछ समय से मोदी सरकार के इशारे पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने विपक्षी पार्टियों विशेष रूप से आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेताओं पर प्रिवेंशन आफ मनी लान्ड्रिंग एक्ट 2002

‘मिट्टी में माफिया’ की हकीकत क्या है?

पिछले दिनों पूर्वांचल ही नहीं बल्कि प्रदेश के गैंगस्टर माफिया और पांच बार लगातार विधायक रहे मुख्तार अंसारी की उत्तर प्रदेश के बांदा जेल में मौत हो गयी। उसकी मौत के बाद लग

आपका नजरिया : बढ़ती गरीबी वाला ‘नया भारत’

मोदी  राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बोलते नहीं थकते कि भारत में विकास की गंगा बहे जा रही है। लेकिन ये विकास की परिभाषा मोदी सरकार की है न कि आम जनता की। आम जनता की वि

संस्थान में आत्महत्याओं के खिलाफ आई आई टी कानपुर के छात्र

19 जनवरी को आई आई टी कानपुर के छात्रों ने प्रशासन के खिलाफ संस्थान में प्रदर्शन और सभा की। 18 जनवरी को संस्थान में शोध छात्रा प्रियंका की आत्महत्या से छात्र आंदोलित हो गए

आलेख

/chaavaa-aurangjeb-aur-hindu-fascist

इतिहास को तोड़-मरोड़ कर उसका इस्तेमाल अपनी साम्प्रदायिक राजनीति को हवा देने के लिए करना संघी संगठनों के लिए नया नहीं है। एक तरह से अपने जन्म के समय से ही संघ इस काम को करता रहा है। संघ की शाखाओं में अक्सर ही हिन्दू शासकों का गुणगान व मुसलमान शासकों को आततायी बता कर मुसलमानों के खिलाफ जहर उगला जाता रहा है। अपनी पैदाइश से आज तक इतिहास की साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से प्रस्तुति संघी संगठनों के लिए काफी कारगर रही है। 

/bhartiy-share-baajaar-aur-arthvyavastha

1980 के दशक से ही जो यह सिलसिला शुरू हुआ वह वैश्वीकरण-उदारीकरण का सीधा परिणाम था। स्वयं ये नीतियां वैश्विक पैमाने पर पूंजीवाद में ठहराव तथा गिरते मुनाफे के संकट का परिणाम थीं। इनके जरिये पूंजीपति वर्ग मजदूर-मेहनतकश जनता की आय को घटाकर तथा उनकी सम्पत्ति को छीनकर अपने गिरते मुनाफे की भरपाई कर रहा था। पूंजीपति वर्ग द्वारा अपने मुनाफे को बनाये रखने का यह ऐसा समाधान था जो वास्तव में कोई समाधान नहीं था। मुनाफे का गिरना शुरू हुआ था उत्पादन-वितरण के क्षेत्र में नये निवेश की संभावनाओं के क्रमशः कम होते जाने से।

/kumbh-dhaarmikataa-aur-saampradayikataa

असल में धार्मिक साम्प्रदायिकता एक राजनीतिक परिघटना है। धार्मिक साम्प्रदायिकता का सारतत्व है धर्म का राजनीति के लिए इस्तेमाल। इसीलिए इसका इस्तेमाल करने वालों के लिए धर्म में विश्वास करना जरूरी नहीं है। बल्कि इसका ठीक उलटा हो सकता है। यानी यह कि धार्मिक साम्प्रदायिक नेता पूर्णतया अधार्मिक या नास्तिक हों। भारत में धर्म के आधार पर ‘दो राष्ट्र’ का सिद्धान्त देने वाले दोनों व्यक्ति नास्तिक थे। हिन्दू राष्ट्र की बात करने वाले सावरकर तथा मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान की बात करने वाले जिन्ना दोनों नास्तिक व्यक्ति थे। अक्सर धार्मिक लोग जिस तरह के धार्मिक सारतत्व की बात करते हैं, उसके आधार पर तो हर धार्मिक साम्प्रदायिक व्यक्ति अधार्मिक या नास्तिक होता है, खासकर साम्प्रदायिक नेता। 

/trump-putin-samajhauta-vartaa-jelensiki-aur-europe-adhar-mein

इस समय, अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूरोप और अफ्रीका में प्रभुत्व बनाये रखने की कोशिशों का सापेक्ष महत्व कम प्रतीत हो रहा है। इसके बजाय वे अपनी फौजी और राजनीतिक ताकत को पश्चिमी गोलार्द्ध के देशों, हिन्द-प्रशांत क्षेत्र और पश्चिम एशिया में ज्यादा लगाना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में यूरोपीय संघ और विशेष तौर पर नाटो में अपनी ताकत को पहले की तुलना में कम करने की ओर जा सकते हैं। ट्रम्प के लिए यह एक महत्वपूर्ण कारण है कि वे यूरोपीय संघ और नाटो को पहले की तरह महत्व नहीं दे रहे हैं।

/kendriy-budget-kaa-raajnitik-arthashaashtra-1

आंकड़ों की हेरा-फेरी के और बारीक तरीके भी हैं। मसलन सरकर ने ‘मध्यम वर्ग’ के आय कर पर जो छूट की घोषणा की उससे सरकार को करीब एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान बताया गया। लेकिन उसी समय वित्त मंत्री ने बताया कि इस साल आय कर में करीब दो लाख करोड़ रुपये की वृद्धि होगी। इसके दो ही तरीके हो सकते हैं। या तो एक हाथ के बदले दूसरे हाथ से कान पकड़ा जाये यानी ‘मध्यम वर्ग’ से अन्य तरीकों से ज्यादा कर वसूला जाये। या फिर इस कर छूट की भरपाई के लिए इसका बोझ बाकी जनता पर डाला जाये। और पूरी संभावना है कि यही हो।