
तुम्हारे हृदय
में उठे तूफान को
आसान तो नहीं
समझना।
आसान तो नहीं
व्यक्त करना।
बहने दो, आंसू
देखने दो, आंसू
उन सभी को
जो समझते हैं,
आंसू हैं
निशानी कमजोरी की।
उन सभी को
देखने दो
ये आंसू,
जो बहते हैं,
उन्होंने नहीं बहाये आंसू।
वे हो सकता है हों बहादुर!
पर ये भी हो सकता है
न हो उनके शरीर में
एक धड़कता हृदय!
तुम्हारे आंसू,
अमूल्य हैं।
सुनो! स्त्रियों सुनो!
सुनो, उस वक्त की पुकार को
जो तुम्हारे हृदय में है।
जो तुम्हारे हृदय में है
वो अमूल्य है।
सदियां गुजर गईं
बहाते आंसू
पर सुनो,
अब नहीं गुजरेंगी
इस तरह सदियां!
नहीं गुजरेंगी इस तरह सदियां
ये निश्चित है।
तुम्हारे आंसू
व्यर्थ नहीं जायेंगे।
तुम्हारे आंसू में
सब कुछ है
हृदय की पीड़ा
मन के द्वन्द्व
जीवन का संघर्ष।
तुम्हारे आंसू में
वह सब कुछ है
जो है जीवन का सार
निरन्तर परिश्रम
निरन्तर चिंता
निरन्तर सक्रियता
निरन्तर इच्छा
जीवन को समझने की।
तुम्हारे आंसू
तुम्हें कमजोर नहीं
मजबूत करते हैं।
तुम्हारे आंसू
नहीं चाहते, झूठी सहानुभूति
नहीं चाहते, झूठी दिलासा।
असल में
तुम्हारे बहते आंसू में भी
छुपी होती है आशा
तुम्हारे आंसू
तुम्हें दिखाते हैं
नया रास्ता,
नयी युक्तियां,
नयी संभावनाएं,
नयी आशाएं।
सुनो! स्त्रियों सुनो!
सदियों से
तुमने संभाला है
जीवन को
दिया है बार-बार
जन्म
नये जीवन को।
सुनो! स्त्रियों सुनो!
जब पुरुष के हृदय
रिक्त हो
जीवन की पुकार से
तुम ही हो उसे
करना सिखाती हो
प्रेम!
तुम ही हो जो उसे
बनाती हो प्रेमी
तुम ही हो उसे
बनाती हो इंसान।
सुनो! स्त्रियों सुनो!
अब वक्त की ये पुकार है
उठाओ क्रांति की ध्वजा
करो धरा का नया श्रृंगार।
(साभार : ‘यह वक्त नहीं चुप रहने का’ नामक कविता संग्रह से)