गाजापट्टी से फिलिस्तीनियों को उजाड़ने की साम्राज्यवादी चाल

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अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गाजापट्टी से फिलिस्तीनी आबादी को उजाड़कर मिश्र और जार्डन में बसाने की योजना बनायी है। ट्रम्प के अनुसार, गाजापट्टी रहने लायक जगह नहीं है। वहां सिर्फ मलबा है। वहां की जिंदगी नरक बनी हुई है। गाजापट्टी से फिलिस्तीनियों को हटाकर उनके लिए बेहतर जगह में बसाने की जरूरत है। ट्रम्प के अनुसार, फिलिस्तीनियों को गाजापट्टी से हटाकर वहां पर अमरीका इसे सुंदर आरामगाह बनायेगा, वहां पर दुनिया भर से आने वाले पर्यटकों के लिए पूर्वी भू-मध्य सागर के किनारे रिसार्ट और कैसिनो का निर्माण करेगा। गाजापट्टी पर अमरीका का कब्जा होगा। वह इस क्षेत्र का मालिक होगा। गाजापट्टी में कोई फिलिस्तीनी रहना नहीं चाहता, ऐसा ट्रम्प का सोचना है। ट्रम्प ने सुंदर रिसार्ट और खूबसूरत गाजापट्टी के निर्माण में पश्चिम एशिया के देशों की भूमिका को भी रेखांकित किया। इसमें उनको ठेका दिया जायेगा। यह पश्चिमी एशिया के शासकों को लालच देने का एक तरीका है। 
    
ट्रम्प की इस योजना का मिश्र, जार्डन सहित कई अरब देशों ने विरोध किया है। उनका यह विरोध फिलिस्तीन की आजादी के लिए लड़ने वाले प्रतिरोध संगठनों के प्रति किसी हमदर्दी की वजह से नहीं है। बल्कि खुद अपने विरुद्ध उनके देश में उठने वाले असंतोष, गुस्से और विद्रोह की संभावनाओं को लेकर है। अरब देशों के शासकों को यह अहसास है कि वहां की मजदूर-मेहनतकश और न्यायपसंद आबादी फिलिस्तीन की आजादी की समर्थक है। इसीलिए जार्डन और मिश्र के शासक अमरीकी साम्राज्यवादियों और इजरायल के समर्थक होते हुए भी ट्रम्प की फिलिस्तीनियों को गाजापट्टी से उजाड़ने की योजना का विरोध कर रहे हैं। जार्डन के बादशाह अब्दुल्ला ट्रम्प से मिलने अमरीका जाकर उनके समक्ष घुटने टेकते हुए पत्रकार वार्ता में यह कहने लगे कि जार्डन गाजापट्टी से 2000 कैंसर पीड़ित बच्चों को इलाज के लिए अपने यहां ला रहा है और कि पश्चिम एशिया में अमरीका के शांति स्थापित करने के प्रयासों में मिलकर काम करने के लिए तैयार है। ट्रम्प इस वार्ता में अपनी बात पर डटे रहे। वे गाजापट्टी से फिलिस्तीनियों की नस्लीय सफाई करने पर आमादा थे। लेकिन इस सवाल पर जार्डन के शासक चुप्पी साधे रहे। इसके बाद ट्रम्प मिश्र के सैनिक शासक से भी वाशिंगटन में मिलकर दबाव बनाने का काम करेंगे। 
    
अमरीकी साम्राज्यवादी और इजरायली यहूदी नस्लवादी शासक इस मामले में एक राय रखते हैं। वे वृहत्तर इजरायल की अपनी योजना पर काम कर रहे हैं। इसमें उन्हें किसी न किसी रूप में अप्रत्यक्ष सहयोग पश्चिम एशिया के अधिकांश शासक करते रहे हैं। उनके लिए फिलिस्तीन की आजादी का मुद्दा ठंडे बस्ते में जा चुका था। लेकिन 7 अक्टूबर, 2023 के बाद से, आपरेशन अल-अक्सा बाढ़ के बाद से, फिलिस्तीन का मुद्दा पश्चिम एशिया के केन्द्र में आ गया है। अब पश्चिम एशिया के किसी अरब शासक की यह हिम्मत नहीं है कि वह फिलिस्तीन की आजादी के सवाल को नजरअंदाज कर सके। 
    
साऊदी अरब ने तो यहां तक घोषित कर दिया है कि जब तक फिलिस्तीन को पूर्वी जेरूसलम की राजधानी सहित आजादी नहीं मिलती तब तक इजरायल के साथ उसके सम्बन्ध सामान्य नहीं होंगे। इसने भी ट्रम्प की योजना को अस्वीकार कर दिया है।
    
दुनिया के पैमाने पर हो रहे विरोध को देखते हुए ट्रम्प ने एक कदम पीछे हटकर यह कहना शुरू कर दिया है कि गाजापट्टी पर कब्जा करने के लिए अमरीकी सेना नहीं तैनात की जायेगी। वहां से फिलिस्तीनियों की नस्लीय सफाई करने का काम इजरायली सेना करेगी। इसके बाद इजरायल गाजापट्टी को अमरीका के हाथ में सौंप देगा। 
    
यहां यह बात ध्यान में रखने लायक है कि इजरायल पिछले 15 महीनों से भयानक तबाही और नरसंहार करने के बावजूद फिलिस्तीनियों को अपनी मातृभूमि से हटा नहीं सका, वह फिर से और अमरीकी हथियारों के साथ गाजापट्टी में हमला करके बगैर अमरीकी सेना के कैसे सफल हो सकता है? इस बात को अमरीकी साम्राज्यवादी अच्छी तरह से समझते हैं। अभी ट्रम्प कह रहे हैं कि इस नस्लीय सफाये में अमरीकी सेना भाग नहीं लेगी। फिर वह उसे उतारेंगे। उसी तरह जैसे वे घोषणा कर चुके थे कि इजरायल को 20 जनवरी को उनके शपथ ग्रहण करने से पहले युद्ध रोक देना होगा। अब वही ट्रम्प हमास को धमकी दे रहे हैं कि 15 फरवरी तक यदि हमास सारे बंधकों को रिहा नहीं करता तो गाजापट्टी पर इजरायल कहर बरपा कर देगा। 
    
ट्रम्प इजरायल को बड़े पैमाने पर हथियार देना जारी रखे हुए है। बाइडेन और ट्रम्प प्रशासन के बीच फर्क यह है कि जो काम बाइडेन चिकनी-चुपड़ी बातों के साथ करते थे, उसी नरसंहार और महाविनाश के काम को ट्रम्प बेशर्मी के साथ खुलेआम करते हैं। 
    
लेकिन ट्रम्प द्वारा नस्लीय सफाये की इस योजना का जितने बड़े पैमाने पर दुनिया में विरोध हो रहा है, उससे ट्रम्प को पीछे हटना पड़ेगा। 
    
दरअसल, हर साम्राज्यवादी-पूंजीवादी शासक दुनिया की मजदूर-मेहनतकश आबादी को अपनी लूट के साधन के तौर पर ही देखते हैं। साम्राज्यवादियों के लिए दुनिया भर की प्राकृतिक सम्पदा चरागाह के सिवाय और कुछ नहीं है। उनके लिए मजदूर-मेहनतकश उनकी लूट को बढ़ाने के उपकरण के सिवाय और कुछ नहीं है। ट्रम्प की निगाह में पूर्वी भू-मध्य सागर में मौजूद व्यापक तेल और गैस भण्डार है। वे अमेरिकी एकाधिकारी तेल कम्पनियों के लिए इस इलाके में लम्बे समय से गिद्ध दृष्टि डाले हुए हैं। जब तक गाजापट्टी पर फिलिस्तीनियों का नियंत्रण रहेगा तब तक पूर्वी भू-मध्य सागर में गाजापट्टी से सटे जल क्षेत्र पर फिलिस्तीनियों का अधिकार रहेगा। इसलिए गाजापट्टी से फिलिस्तीनियों का नस्लीय सफाया अमरीकी साम्राज्यवादियों के हितों की मांग है। इसीलिए इजरायली यहूदी नस्लवादी शासक और क्षेत्रीय अरब शासकों के हित मेल खाते हैं। सभी इस तेल और गैस भण्डार में हिस्सा पाने की कोशिश में लगे हैं। इन सभी के लिए मजदूर-मेहनतकश आबादी मानव संसाधन मात्र हैं। जिस तरीके से ये दुनिया भर के प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के लिए काम कर रहे हैं, उसी प्रकार मानव संसाधनों के शोषण के लिए ये लगे हुए हैं। इन्हें अपनी भूमि, घर, संस्कृति और सभ्यता से लगाव और प्रेम से कोई मतलब नहीं है। पीढ़ियों से अपनी जमीन और देश की संस्कृति से जुड़ाव व गहरे लगाव रखने वाली फिलिस्तीनी आबादी के नस्लीय सफाये करने की बात सिर्फ शोषक ही सोच सकते हैं। 
    
ट्रम्प इसका प्रातिनिधिक और स्पष्ट उदाहरण है। लेकिन क्या ट्रम्प और इजरायली शासक इसमें सफल होंगे? यदि गाजापट्टी और फिलिस्तीन की आबादी के साथ दुनिया की मजदूर-मेहनतकश आबादी और न्यायपसंद लोग एकजुटता के साथ खड़े होंगे तो ट्रम्प की इस योजना का धराशायी होना सुनिश्चित है।   

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आंकड़ों की हेरा-फेरी के और बारीक तरीके भी हैं। मसलन सरकर ने ‘मध्यम वर्ग’ के आय कर पर जो छूट की घोषणा की उससे सरकार को करीब एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान बताया गया। लेकिन उसी समय वित्त मंत्री ने बताया कि इस साल आय कर में करीब दो लाख करोड़ रुपये की वृद्धि होगी। इसके दो ही तरीके हो सकते हैं। या तो एक हाथ के बदले दूसरे हाथ से कान पकड़ा जाये यानी ‘मध्यम वर्ग’ से अन्य तरीकों से ज्यादा कर वसूला जाये। या फिर इस कर छूट की भरपाई के लिए इसका बोझ बाकी जनता पर डाला जाये। और पूरी संभावना है कि यही हो। 

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ट्रम्प द्वारा फिलिस्तीनियों को गाजापट्टी से हटाकर किसी अन्य देश में बसाने की योजना अमरीकी साम्राज्यवादियों की पुरानी योजना ही है। गाजापट्टी से सटे पूर्वी भूमध्यसागर में तेल और गैस का बड़ा भण्डार है। अमरीकी साम्राज्यवादियों, इजरायली यहूदी नस्लवादी शासकों और अमरीकी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की निगाह इस विशाल तेल और गैस के साधन स्रोतों पर कब्जा करने की है। यदि गाजापट्टी पर फिलिस्तीनी लोग रहते हैं और उनका शासन रहता है तो इस विशाल तेल व गैस भण्डार के वे ही मालिक होंगे। इसलिए उन्हें हटाना इन साम्राज्यवादियों के लिए जरूरी है। 

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