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लगभग 2 वर्ष तक मणिपुर को जातीय हिंसा की आग में धकेलने के बाद अंततः राज्य के संघी मुखिया बीरेन सिंह को इस्तीफा देना पड़ा और केन्द्र सरकार को न चाहते हुए भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने को मजबूर होना पड़ा।
3 फरवरी को जैसे ही मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के आडियो टेप की सत्यता को ट्रूथ लैब नामक निजी प्रयोगशाला ने प्रमाणित कर दिया, वैसे ही एक सच जिससे हर कोई वाकिफ था, उसका प्रमाण जगजाहिर हो गया। आडियो टेप में बीरेन सिंह जातीय हिंसा का श्रेय खुद लेते हुए बताये जा रहे हैं। वैसे यह बात सारी दुनिया जानती है कि मणिपुर में कुकी-जो व मैतेई समुदाय के बीच जातीय वैमनस्य फैलाने का काम संघ-भाजपा लॉबी व खुद बीरेन सिंह ने किया।
दरअसल मणिपुर में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए संघी संगठनों ने मैतेई समुदाय को हिन्दू के बतौर संगठित किया और उन्हें ईसाई कुकी-जो समुदाय के खिलाफ भड़काया। संघ-भाजपा के कुत्सित प्रयासों से मैतेईयों के बीच ऐसे संगठन पैदा हो गये जो संघी हिन्दुत्व की भाषा बोलते हैं। कभी असम राइफल्स का विरोध करने वाले, अपनी अस्मिता के लिए लड़ने वाले मैतेई समुदाय के लोगों को हिन्दुत्व के लम्पट सिपाहियों में तब्दील करने का अभियान बीते 2 वर्ष से लगातार जारी है।
मणिपुर में जातीय हिंसा की जिस आग को संघ-भाजपा ने सुलगाया, उसका नतीजा यह निकला कि महिलाओं की स्वतंत्रता के मामले में अग्रणी राज्य, महिलाओं के बलात्कार, निर्वस्त्र घुमाने की घटनाओं का गवाह बन गया। जिस तरह संघी लम्पट पूरे देश में मुस्लिमों पर हमलावर हैं वैसे ही मैतेई कुकी-जो समुदाय पर हमलावर हो उठे। पूरा राज्य एक तरह से मणिपुर घाटी और पहाड़ी दो इलाकों में बंट गया। एक में मैतेई रह रहे हैं व दूसरे में कुकी-जो समुदाय के लोग। मैतेई पहाड़ी इलाकों से खदेड़ दिये गये तो कुकी-जो घाटी के इलाके से। हजारों लोग अपना घर-बार छोड़ राहत शिविरों में रहने को मजबूर कर दिये गये। करीब 260 लोग इस जातीय हिंसा में अब तक मारे जा चुके हैं। मुख्यमंत्री रहे बीरेन सिंह निर्लज्जता से इस हिंसा को न केवल भड़काते रहे बल्कि कुकी-जो समुदाय के खिलाफ जहर भी उगलते रहे।
इस सब कामों को जिस निर्लज्जता के साथ मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने अंजाम दिया, उसका परिणाम यह निकला कि न केवल भाजपा के कुकी विधायक बल्कि सहयोगी दल के मैतेई विधायक भी बीरेन सिंह के खिलाफ हो गये। वे बार-बार केन्द्र सरकार से बीरेन सिंह को हटाने की मांग करते रहे पर मोदी-शाह मणिपुर को गुजरात बनता देख खुश थे और वे बीरेन सिंह को हटाने को तैयार नहीं हुए।
अंततः जब बीरेन सिंह का भड़काऊ आडियो प्रमाणिक जाहिर हो गया तब मोदी-शाह को अपने इस चेले को इस्तीफा देने को कहना पड़ा। इसके बाद दो दिन तक भाजपा राज्य में नया मुख्यमंत्री बनाने को जोड़ तोड़ बैठाती रही पर विधायकों के बीच पैदा हुए विभाजन के चलते जब उसे सफलता नहीं मिली तो राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। 6 माह से विधान सभा सत्र न बुला पाने के संवैधानिक संकट ने भी उन्हें राष्ट्रपति शासन की ओर धकेला।
अभी भले ही राष्ट्रपति शासन राज्य में लग गया हो पर भविष्य में भाजपा जोड़ तोड़ कर फिर सरकार बनाने का प्रयास करेगी। इस बीच इतनी हत्याओं का दोषी बीरेन सिंह जिसे जेल भेजा जाना चाहिए था, खुलेआम न केवल घूम रहा है बल्कि कुकी लोगों के म्यांमार से भारत आने की बात कर उनके खिलाफ जहर उगलना जारी रखे हुए है।
इस राष्ट्रपति शासन से मणिपुर की जनता एक राक्षस से तो मुक्त हुई है पर अब उसके ऊपर उसी राक्षस को पालने वाले दिल्ली के संघी शासकों का शासन कायम हो गया है। जाहिर है इस राष्ट्रपति शासन से मणिपुर के हालात बेहतर नहीं होने वाले। हालात की बेहतरी के लिए जरूरी है कि बीरेन सिंह को जेल में डाला जाये, लम्पट मैतेई संगठन प्रतिबंधित हों। ऐसा होने पर ही मैतेई व कुकी-जो समुदाय के बीच पैदा हुई खाई पटेगी व दोनों जनजातियां एकजुट हो अपने बेहतर भविष्य के लिए मिल जुलकर आगे बढ़ सकेंगी।
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