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करीम खान अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आई सी सी) के वकील हैं। इजरायल द्वारा फिलिस्तीन में नरसंहार के मामले में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू व पूर्व रक्षा मंत्री योव गैलेट के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कराने में करीब खान वकील थे। नवम्बर 24 में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने ये वारंट जारी किये थे।
हालांकि इस वारंट का प्रतीकात्मक महत्व ही था क्योंकि न तो इजरायल और न अमेरिका इस न्यायालय का सदस्य हैं और दोनों ही देश इस न्यायालय के निर्णयों को मान्यता नहीं देते हैं।
अब अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रम्प ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय पर अमेरिका व उसके सहयोगी इजरायल पर निराधार कार्यवाही का आरोप लगाते हुए उक्त वारंट को निराधार करार दिया है। साथ ही ट्रम्प ने न्यायालय के वकील करीम खान पर अधिकृत प्रतिबंध थोप दिये हैं। इस प्रतिबंध के तहत करीम खान व उनके परिवार के सदस्यों पर वित्तीय व वीजा प्रतिबंध लग गये हैं। यानी करीब खान अब अमेरिका के बैंकों में यदि उनका धन जमा है तो उसे नहीं निकाल सकते और न ही अमेरिका जा सकते हैं। गौरतलब है कि करीम खान ब्रिटिश नागरिक हैं।
अधिकृत प्रतिबंध अक्सर अमेरिकी राष्ट्रपति अमेरिकी नागरिकों या अमेरिका के सहयोगियों के खिलाफ कार्यवाही करने वाले व्यक्तियों पर लगाते रहे हैं। इस प्रतिबंध के जरिये ट्रम्प ने दिखा दिया कि वे किसी भी कीमत पर इजरायल के साथ खड़े हैं और फिलिस्तीन में नरसंहार के शिकार लोगों से उन्हें जरा भी हमदर्दी नहीं है।
ट्रम्प के इस कदम की चौतरफा निंदा हो रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ, एमनेस्टी इंटरनेशनल, यूरोपीय संघ, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की मेजबानी करने वाले नीदरलैण्ड ने ट्रम्प के इस आदेश को गलत व निन्दनीय बताया।
अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय 2002 में स्थापित हुआ। पर जिस रोम संधि के तहत यह न्यायालय स्थापित हुआ, उस पर अमेरिका व इजरायल ने हस्ताक्षर नहीं किये हैं। इसलिए अदालत का निर्णय उन पर लागू नहीं होता। करीम खान को इन प्रतिबंधों के बावजूद अमेरिका के वाशिंगटन स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालय जाने का अधिकार होगा।
ट्रम्प की यह कार्यवाही व उनके अन्य बयान दिखलाते हैं कि फिलिस्तीन मुक्ति संघर्ष ट्रम्प काल में और दुष्कर होने वाला है। साथ ही इजरायल का फिलिस्तीन में हस्तक्षेप और बढ़ने वाला है।
ट्रम्प द्वारा गुण्डागर्दी भरे तरीके से इस तरह के प्रतिबंध थोपना दिखाता है कि अमेरिकी साम्राज्यवादी किसी भी कीमत पर दुनिया का दादा बने रहना चाहते हैं।
यद्यपि ट्रम्प पहले भी इस तरह के अमेरिका विरोधी लोगों पर प्रतिबंध लगाते रहे हैं। 2020 में ट्रम्प प्रशासन ने आई सी सी के वकील फतौ बेन्सौदा व उनके सहयोगी पर ऐसा ही प्रतिबंध लगाया था। क्योंकि उनके अभियोग पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने अफगानिस्तान में अमेरिकी युद्ध अपराधों की जांच के आदेश दिये थे।
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने भी ट्रम्प के इस आदेश की कड़ी निन्दा करते हुए अपने वकील के साथ दृढ़ता के साथ खड़े होने की बात की है।
नये शासनकाल में ट्रम्प पिछले काल की तुलना में अधिक आक्रामक हैं। इस आक्रामकता के जरिये वे अमेरिका की चौधराहट बचाने का ख्वाब पाले हुए हैं।