जनादेश -संजय चतुर्वेदी
चालीस प्रतिशत लोगों ने वोट नहीं डाला
इनमें अधिकांश चाहते तो वोट डालते
उन्हें लगा इससे क्या होगा
या उन्होंने इसके बारे में कुछ सोचा ही नहीं
चालीस प्रतिशत लोगों ने वोट नहीं डाला
इनमें अधिकांश चाहते तो वोट डालते
उन्हें लगा इससे क्या होगा
या उन्होंने इसके बारे में कुछ सोचा ही नहीं
जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है
तूफानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है
जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है
जो रवि के रथ का घोड़ा है
वह जन मारे नहीं मरेगा
नहीं मरेगा
एक आदमी
रोटी बेलता है
एक आदमी रोटी खाता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है
वह सिर्फ रोटी से खेलता है
मैं पूछता हूँ..
मैं पूछता हूं आसमान में उड़ते हुए सूरज से -पाश
मुझे संरक्षण नहीं चाहिए
न पिता का
न भाई का
न माँ का
जो संरक्षण देते हुए
मुझे कुएँ में धकेलते हैं
और मेरे रोने पर तसल्ली देने आते हैं
होलोकास्ट झेल कर बच निकले लोगों
मुझसे बात करो
मैं समझना चाहता हूं
कि तुम्हारे नाम पर यह सब
जो किया जा रहा है
उसके पीछे क्या तुम खड़े हो?
मुझे लगता था
लोहे के पैरों में भारी बूट
कंधों से लटकती बंदूक
कानून अपना रास्ता पकड़ेगा
हथकड़ियां डाल कर हाथों में
तमाम ताकत से उन्हें
जेलों की ओर खींचता हुआ
1.
जिस दिन लेनिन नहीं रहे
कहते हैं, शव की निगरानी में तैनात एक सैनिक ने
अपने साथियों को बतायाः मैं
यक़ीन नहीं करना चाहता था इस पर।
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