
गुड़गांव/ बिलासपुर से तावड़ू रोड पर स्थित शंकाई प्रगति इण्डिया लिमिटेड के मजदूरों का धरना दिनांक 10 मार्च से चल रहा है। कम्पनी में लगभग 250 मजदूर काम कर रहे हैं जिसमें मुश्किल से 40 मजदूर स्थाई हैं। बाकी मजदूर ठेका श्रमिक हैं। इन ठेका श्रमिकों में से 100 से ज्यादा श्रमिकों को काम करते हुए 10-10 साल हो चुके हैं। जहां स्थाई श्रमिकों को 17 से 20 हजार रुपए दिए जाते हैं वहीं पुराने ठेका श्रमिकों को 12 से 15 हजार रुपए महीने तथा अन्य मजदूरों को 10 से 12 हजार रुपए दिए जाते हैं।
कम्पनी सुजुकी, होण्डा, मारूति का लोगो बनाती है। कम्पनी में 4 विभाग हैं। मोल्डिंग, पेंट शॉप, प्लेटिंग व असेम्बली। कम्पनी का मालिकाना जापानी है। कम्पनी में कोई भी श्रम कानून लागू नहीं होता है। कम्पनी के श्रमिकों से जोर-जबरदस्ती महीने में 100 से 150 घंटे तक ओवरटाइम कराने की बात श्रमिकों ने बताई है। श्रमिकों का यह भी कहना है कि उन्हें ओवरटाइम पर जबरदस्ती रोका जाता है। जिस दिन ओवरटाइम की प्रबंधकों को सख्त जरूरत होती है उस दिन वह कम्पनी का गेट बंद कर किसी भी श्रमिक को बाहर नहीं जाने देते। हालांकि ओवरटाइम का डबल भुगतान किया जाता है।
कम्पनी में खतरनाक कैमिकल का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन तदनुरूप सुरक्षा उपकरण श्रमिकों को मुहैय्या नहीं कराए जाते। इससे कई श्रमिक गम्भीर रूप से घायल हो चुके हैं। कम्पनी में अप्रशिक्षित श्रमिकों से मैनटेनेंस करवाया जाता है। घायल श्रमिकों को नौकरी से निकाल दिया जाता है। कम्पनी में लगभग 40-50 महिला श्रमिक भी काम करती हैं। उनके साथ आए दिन छेड़खानी की घटना भी होती रहती है। छेड़खानी करने वाले स्टाफ के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती है।
नवम्बर 2024 में कम्पनी ने 10-10 साल पुराने 5-6 ठेका श्रमिकों को कम्पनी से निकाल दिया। श्रम विभाग में शिकायत करने पर 30-35 हजार या इसके आस-पास की मामूली रकम देकर उन्हें चुप करा दिया गया। अभी हालिया 9 मार्च को होली के त्यौहार से पहले कम्पनी प्रबंधन ने 2 पुराने ठेका श्रमिकों का गेट बंद कर दिया। विरोध करने पर अगले दिन 55 अन्य ठेका श्रमिकों का गेट बंद कर दिया। तब से यह श्रमिक कम्पनी के गेट के बाहर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। श्रमिकों का यह भी कहना है कि प्रबंधन 50 मीटर का स्टे भी ले आया है। इस समय 25-30 श्रमिक कम्पनी गेट पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन श्रम विभाग व प्रशासन इन श्रमिकों की कोई सुनवाई नहीं कर रहा है। श्रमिकों को अन्दर व बाहर के श्रमिकों व स्थाई श्रमिकों के साथ अपनी फैक्टरी स्तर पर वर्गीय एकता कायम कर संघर्ष को आगे बढ़ाना होगा। तथा अन्य यूनियनों के समर्थन व सहयोग से मुंहतोड़ जवाब देना होगा।
-गुड़गांव संवाददाता