
हमारे देश के महान क्रांतिकारियों भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरू को ब्रिटिश उपनिवेशवादियों ने 23 मार्च, 1931 के दिन फांसी पर चढ़ा दिया था। और ये नौजवान क्रांतिकारी ‘‘इंकलाब ज़िंदाबाद’’ और ‘‘साम्राज्यवाद का नाश हो’’ का नारा लगाते हुये हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गये थे। इनके इस महान बलिदान ने इन्हें देश की जनता के दिलों में हमेशा-हमेशा के लिये अमर कर दिया। इनके शहादत दिवस पर क्रांतिकारी और प्रगतिशील संगठन प्रतिवर्ष विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं और अमर शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर उनके क्रांतिकारी विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लेते हैं।
दिल्ली में इस अवसर पर इंकलाबी मजदूर केंद्र, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र और परिवर्तनकामी छात्र संगठन द्वारा शाहबाद डेरी में जुलूस निकाला गया एवं नुक्कड़ सभा की गई। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि भगतसिंह और उनके साथियों के सपने आज भी अधूरे हैं, क्योंकि आजादी के बाद देश में पूंजीवादी शासन कायम हुआ। दिल्ली में ही भगतसिंह स्टूडेंट एंड यूथ फ्रंट द्वारा बदरपुर में मजदूरों के बीच शहादत दिवस मनाया गया।
गुड़गांव में भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरू के शहादत दिवस पर इंकलाबी मजदूर केंद्र द्वारा मानेसर में सुबह प्रभात फेरी निकाली गई और शाम को एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। विचार गोष्ठी में दलित संगठनों, बेलसोनिका यूनियन और मारुति स्ट्रगलिंग कमेटी से जुड़े लोगों ने भी भागीदारी की। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि भगतसिंह और बटुकेश्वर दत्त ने अंग्रेजों द्वारा लाये गये मजदूर विरोधी ट्रेड डिस्प्यूट बिल और दमनकारी कानून पब्लिक सेफ्टी बिल के विरोध में असेंबली में बम फेंके थे। आज मोदी सरकार द्वारा घोर मजदूर विरोधी चार लेबर कोड्स और दमनकारी तीन आपराधिक कानून पारित कर दिये गये हैं, जिनका पुरजोर विरोध बेहद जरूरी है।
नीमराना में शहादत दिवस पर मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले रैली निकाली गई और रुचि बियर के मजदूरों के धरना स्थल पर सभा की गई। रैली व सभा में हीरो मोटकोर्प, डाईकिन और रुचि बियर की यूनियनों के अलावा सीटू, सीएसटीयू, मारुति स्ट्रगलिंग कमेटी, मारुति सुजुकी अस्थायी मजदूर संघ एवं हीरो मोटोकार्प अस्थायी मजदूर संघ से जुड़े लोगों ने बड़ी संख्या में भागीदारी की।
कुरुक्षेत्र के गांव बारना में इस अवसर पर जनसंघर्ष मंच (हरियाणा), निर्माण कार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन और मनरेगा मजदूर यूनियन के नेतृत्व में छात्रों-नौजवानों और मजदूरों ने प्रभात फेरी निकाली और भगतसिंह व उनके साथियों के क्रांतिकारी रास्ते पर चलने का संकल्प लिया।
लुधियाना में भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरू के शहादत दिवस पर टैक्सटाइल-हौजरी कारखाना यूनियन, कारखाना मजदूर यूनियन और नौजवान भारत सभा द्वारा ‘‘शहीद दिवस समागम’’ का आयोजन किया गया, जिसमें क्रांतिकारी गीत एवं एक नाटक ‘‘बुत जाग गया’’ पेश किया गया।
फरीदाबाद में इस अवसर पर इंकलाबी मजदूर केंद्र द्वारा संजय कालोनी और सरूरपुर में प्रभात फेरी निकालकर अमर शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसके अलावा शाम को पटेल नगर में सभा आयोजित की गई, जिसमें इंकलाबी मजदूर केंद्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, भारत समाज, आल हरियाणा खटीक समाज, भगतसिंह क्लब, पूर्वांचल विकास मंच से जुड़े लोगों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी भागीदारी की।
हरिद्वार में शहादत दिवस के अवसर पर शहर की मजदूर बस्तियों में साइकिल-बाइक रैली निकाली गई और जगह-जगह नुक्कड़ सभा कर लोगों को क्रांतिकारियों के विचारों से परिचित कराया गया। इससे पूर्व विभिन्न स्थानों पर भगतसिंह के जीवन से जुड़ी पोस्टर प्रदर्शिनी एवं प्रगतिशील साहित्य का स्टाल लगाया गया। रैली के दौरान वक्ताओं ने कहा कि भगतसिंह सिर्फ ब्रिटिश साम्राज्यवादियों को ही देश से नहीं खदेड़ना चाहते थे, अपितु वे देशी शोषकों-पूंजीपतियों और जमींदारों के शोषण-उत्पीड़न से भी देश की मजदूर-किसान जनता को आजाद कराना चाहते थे।
जसपुर में इस अवसर पर शहीद यादगार कमेटी के बैनर तले एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि अमर शहीदों के सपने आज भी अधूरे हैं। किसान खेती के संकट से गुजर रहे हैं और बिजली के बिलों की मार झेल रहे हैं, जबकि फैक्टरियों में मजदूर भयंकर शोषण के शिकार हैं।
काशीपुर में भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरू के शहादत दिवस पर श्रद्धांजलि सभा की गई एवं जुलूस निकालकर क्रांतिकारी गीतों के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।
रामनगर में इस अवसर पर परिवर्तनकामी छात्र संगठन द्वारा सुबह प्रभात फेरी का आयोजन किया गया एवं शाम को लखनपुर चौक पर श्रद्धांजलि सभा की गई, जिसमें इंकलाबी मजदूर केंद्र, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी और समाजवादी लोक मंच के कार्यकर्ताओं ने भी भागीदारी की। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि आजाद भारत के शासकों ने भगतसिंह की मूर्तियां तो जगह-जगह लगवाईं लेकिन उनके क्रांतिकारी विचारों से देश की जनता को काट कर रखा।
अल्मोड़ा में उत्तराखंड छात्र संगठन द्वारा एक संगोष्ठी का आयोजन कर भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरू को याद किया गया। संगोष्ठी में उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी से जुड़े लोगों ने भी भागीदारी की।
हल्द्वानी में भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरू के शहादत दिवस पर परिवर्तनकामी छात्र संगठन द्वारा एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन एवं प्रगतिशील महिला एकता केंद्र के कार्यकर्ताओं ने भी भागीदारी की।
रुद्रपुर में शहादत दिवस पर श्रमिक संयुक्त मोर्चा के बैनर तले श्रद्धांजलि सभा की गई तदुपरान्त भगतसिंह चौक तक जुलूस निकाला गया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि ‘‘सांप्रदायिक दंगे और उनका इलाज’’ नामक लेख में भगतसिंह ने कहा था कि मजदूरों के, चाहे वे किसी भी धर्म, जाति, राष्ट्र, नस्ल, लिंग के हों, हित समान हैं। पूंजीवादी-साम्राज्यवादी व्यवस्था उनकी साझा दुश्मन है। अतः उन्हें आपस में लड़ने के बजाय सत्ता की बागडोर अपने हाथों में लेने की कोशिश करनी चाहिये।
पंतनगर में इंकलाबी मजदूर केंद्र, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, ठेका मजदूर कल्याण समिति और ट्रेड यूनियन संयुक्त मोर्चा से जुड़ी यूनियनों द्वारा रामलीला मैदान में भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरू का शहादत दिवस मनाया गया।
लालकुआं-बिंदुखत्ता में इस अवसर पर इंकलाबी मजदूर केंद्र और प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा प्रभात फेरी निकालकर श्रद्धांजलि सभा की गई। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि भगतसिंह पूंजीवाद का अंत कर देश में समाजवाद कायम करना चाहते थे, इसीलिये उनके कहने पर ही हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के नाम में सोशलिस्ट शब्द जोड़ा गया था।
बरेली में इंकलाबी मजदूर केंद्र और परिवर्तनकामी छात्र संगठन द्वारा बंसी नगला और मणिनाथ में सुबह प्रभात फेरी निकालकर अमर शहीदों के बलिदान को याद किया गया। इसके अलावा दोपहर में बरेली ट्रेड यूनियन फेडरेशन की ओर से प्रेस क्लब में विचार गोष्ठी की गई।
मऊ में भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरू की शहादत को याद करते हुए इंकलाबी मजदूर केंद्र व क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन द्वारा शहर में मशाल जुलूस निकाला गया। जुलूस के अंत में आयोजित सभा में वक्ताओं ने फासीवाद विरोधी संघर्ष को तेज करने का आह्वान किया।
बलिया में इस अवसर पर इंकलाबी मजदूर केंद्र की ओर से बखरिया डीह बहादुरपुर व इनामीपुर में बैठकें की गईं। इन बैठकों में क्रांतिकारियों की विरासत पर विस्तार से बात की गई और संघर्ष को आगे बढ़ाते हुये भगतसिंह के सपनों का भारत बनाने का संकल्प लिया गया।-विशेष संवाददाता