मजदूर आवाज

ग्रीस : रेल दुर्घटना की बरसी पर लाखों लोगों का प्रदर्शन

ग्रीस में 2023 में 28 फरवरी को टेम्पी नामक स्थान पर भीषण रेल दुर्घटना हुई थी। इस घटना के 2 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन अभी तक इस दुर्घटना में मारे गये लोगों और उनके परिवारजनो

पेरिस कम्यून को क्यों याद करें

/peris-commune-ko-kyon-yaad-karein

इस वर्ष 18 मार्च को पेरिस कम्यून को घटे 154 वर्ष हो जायेंगे। पेरिस कम्यून की ऐतिहासिक घटना से परिचित और अपरिचित दोनों तरह के लोगों का यह प्रश्न हो सकता है कि ‘हम पेरिस कम

अमेरिका में ट्रम्प और एलन मस्क के खिलाफ प्रदर्शन

/amerika-mein-trump-aur-elan-musk-ke-khilaf-pradarshan

अमेरिका में राष्ट्रपति की शपथ लिए अभी 1 महीना भी नहीं बीता कि लोगों का गुस्सा उन पर फूट पड़ा है। लोग सड़कों पर ट्रम्प के खिलाफ नारे लगा रहे हैं। वे ट्रम्प द्वारा ट्रांसजेंड

अवैध प्रवासी मजदूर और उदारीकरण-निजीकरण-वैश्वीकरण की पूंजीपरस्त नीतियां

/illegal-immigrant-majdoor-aur-udarikaran-nijikaran-vaishvikaran-ki-poonjiparast

बीते 5 फरवरी 2025 को अमेरिका से 104 भारतीय मजदूरों/अवैध प्रवासियों को हाथ-पैर में जंजीरों से बांधकर अमेरिकी सैन्य विमान द्वारा भारत के अमृतसर हवाई अड्डे पर लाया गया। इन अ

बांग्लादेश में रेलवे कर्मचारियों की एक दिवसीय हड़ताल

/bangladesh-mein-railway-karmachariyon-ki-ek-divaseey-hadtaal

28 जनवरी को सुबह से ही बांग्लादेश के रेलवे के रनिंग (ट्रेनों के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने वाले) कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी। यह हड़ताल रेलवे यू

दक्षिण अफ्रीका : अवैध खनन रोकने के नाम पर 100 से ज्यादा खनिकों की मौत

/south-africa-avaidha-khanan-rokane-ke-naam-par-100-se-jyaadaa-miners-ki

दक्षिण अफ्रीका की सोने की खान से इन दिनों खनिकों की लाशें निकल रही हैं। 10 जनवरी से शुरू हुए बचाव अभियान में अब तक दर्जनों लाशें निकाली जा चुकी हैं। यह अभियान कुछ संगठनों

अमेरिकी नाकेबंदी के खिलाफ क्यूबा में विशाल मार्च

/ameriki-naakebandi-ke-khilaf-cuba-mein-vishal-march

20 दिसम्बर को 5 लाख से अधिक क्यूबावासी हवाना के मालेकान से अमेरिका दूतावास तक मार्च करने के लिए सड़कों पर उतरे। क्यूबा के राष्ट्रपति मिगुएल डिआज कैनेल के आह्वान पर आयोजित

न्यूजीलैंड में नर्सों की हड़ताल

/newziland-mein-nurses-ki-hadtaal

3 दिसंबर को न्यूजीलैंड में 36,000 नर्सों, सहायकों और मिडवाइव्स ने आठ घंटे की हड़ताल कर अपने वेतन को बढ़ाने की मांग की। साथ ही उनकी मांग खाली पड़े पदों को भरने की भी है। पिछल

जर्मनी में बजट कटौती के खिलाफ प्रदर्शन

/jermany-mein-budget-katauti-ke-khilaph-pradarsan

5 दिसम्बर को जर्मनी की राजधानी बर्लिन में सीनेट के सामने हजारों अध्यापकों, आर्टिस्ट, सार्वजनिक कर्मचारियों और सांस्कृतिक कर्मियों, देखभाल करने वालों ने प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन सीनेट द्वारा सार्व

श्रीलंका में स्कूल डवलपमेंट आफिसर्स का प्रदर्शन

/srilanka-mein-schoool-dovelopment-officers-kaa-pradarshan

4 दिसंबर को श्रीलंका के शिक्षा मंत्रालय के सामने करीब 500 स्कूल डवलपमेंट आफिसर्स ने प्रदर्शन किया। इनकी मांग इनको स्थायी किये जाने की है। स्कूल डवलपमेंट आफिसर्स के इस प्र

आलेख

/chaavaa-aurangjeb-aur-hindu-fascist

इतिहास को तोड़-मरोड़ कर उसका इस्तेमाल अपनी साम्प्रदायिक राजनीति को हवा देने के लिए करना संघी संगठनों के लिए नया नहीं है। एक तरह से अपने जन्म के समय से ही संघ इस काम को करता रहा है। संघ की शाखाओं में अक्सर ही हिन्दू शासकों का गुणगान व मुसलमान शासकों को आततायी बता कर मुसलमानों के खिलाफ जहर उगला जाता रहा है। अपनी पैदाइश से आज तक इतिहास की साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से प्रस्तुति संघी संगठनों के लिए काफी कारगर रही है। 

/bhartiy-share-baajaar-aur-arthvyavastha

1980 के दशक से ही जो यह सिलसिला शुरू हुआ वह वैश्वीकरण-उदारीकरण का सीधा परिणाम था। स्वयं ये नीतियां वैश्विक पैमाने पर पूंजीवाद में ठहराव तथा गिरते मुनाफे के संकट का परिणाम थीं। इनके जरिये पूंजीपति वर्ग मजदूर-मेहनतकश जनता की आय को घटाकर तथा उनकी सम्पत्ति को छीनकर अपने गिरते मुनाफे की भरपाई कर रहा था। पूंजीपति वर्ग द्वारा अपने मुनाफे को बनाये रखने का यह ऐसा समाधान था जो वास्तव में कोई समाधान नहीं था। मुनाफे का गिरना शुरू हुआ था उत्पादन-वितरण के क्षेत्र में नये निवेश की संभावनाओं के क्रमशः कम होते जाने से।

/kumbh-dhaarmikataa-aur-saampradayikataa

असल में धार्मिक साम्प्रदायिकता एक राजनीतिक परिघटना है। धार्मिक साम्प्रदायिकता का सारतत्व है धर्म का राजनीति के लिए इस्तेमाल। इसीलिए इसका इस्तेमाल करने वालों के लिए धर्म में विश्वास करना जरूरी नहीं है। बल्कि इसका ठीक उलटा हो सकता है। यानी यह कि धार्मिक साम्प्रदायिक नेता पूर्णतया अधार्मिक या नास्तिक हों। भारत में धर्म के आधार पर ‘दो राष्ट्र’ का सिद्धान्त देने वाले दोनों व्यक्ति नास्तिक थे। हिन्दू राष्ट्र की बात करने वाले सावरकर तथा मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान की बात करने वाले जिन्ना दोनों नास्तिक व्यक्ति थे। अक्सर धार्मिक लोग जिस तरह के धार्मिक सारतत्व की बात करते हैं, उसके आधार पर तो हर धार्मिक साम्प्रदायिक व्यक्ति अधार्मिक या नास्तिक होता है, खासकर साम्प्रदायिक नेता। 

/trump-putin-samajhauta-vartaa-jelensiki-aur-europe-adhar-mein

इस समय, अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूरोप और अफ्रीका में प्रभुत्व बनाये रखने की कोशिशों का सापेक्ष महत्व कम प्रतीत हो रहा है। इसके बजाय वे अपनी फौजी और राजनीतिक ताकत को पश्चिमी गोलार्द्ध के देशों, हिन्द-प्रशांत क्षेत्र और पश्चिम एशिया में ज्यादा लगाना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में यूरोपीय संघ और विशेष तौर पर नाटो में अपनी ताकत को पहले की तुलना में कम करने की ओर जा सकते हैं। ट्रम्प के लिए यह एक महत्वपूर्ण कारण है कि वे यूरोपीय संघ और नाटो को पहले की तरह महत्व नहीं दे रहे हैं।

/kendriy-budget-kaa-raajnitik-arthashaashtra-1

आंकड़ों की हेरा-फेरी के और बारीक तरीके भी हैं। मसलन सरकर ने ‘मध्यम वर्ग’ के आय कर पर जो छूट की घोषणा की उससे सरकार को करीब एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान बताया गया। लेकिन उसी समय वित्त मंत्री ने बताया कि इस साल आय कर में करीब दो लाख करोड़ रुपये की वृद्धि होगी। इसके दो ही तरीके हो सकते हैं। या तो एक हाथ के बदले दूसरे हाथ से कान पकड़ा जाये यानी ‘मध्यम वर्ग’ से अन्य तरीकों से ज्यादा कर वसूला जाये। या फिर इस कर छूट की भरपाई के लिए इसका बोझ बाकी जनता पर डाला जाये। और पूरी संभावना है कि यही हो।