पहलगाम हमले पर टिप्पणी के बाद केस दर्ज़

/pahalagam-hamale-par-tippani-ke-baad-case-darj

पहलगाम हमले पर टिप्पणी पर गायिका नेहा सिंह राठौर के बाद लखनऊ यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर माद्री काकोटी उर्फ डा. मेड्यूसा के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज हुआ है।

डा. मेड्यूसा ने लिखा था

धर्म पूछकर गोली मारना आतंकवाद है।

और धर्म पूछकर लिंच करना,

धर्म पूछकर नौकरी से निकालना,

धर्म पूछकर घर न देना,

धर्म पूछकर घर बुलडोज़ करना, वगैरह वगैरह भी आतंकवाद है।

असली आतंकी को पहचानो।

#पहलगांव

#pahalgam

#pahalgamattack2025

#PahalgamTerrorAttack

#pahalgamkashmir

नागरिक अखबार के :-

telegram channel से जुड़ें👇

https://t.me/nagrikakhbaar

you tube से जुड़ें :-👇

https://youtube.com/@nagrikakhbaar?si=nyIP0v64mNo5z1S0

Facebook से जुड़ें :- 👇

https://www.facebook.com/nagriknews1998?mibextid=ज़बवकवल

Twitter से जुड़ें :-👇

https://x.com/nagriknews1998?t=9xIfh6rSQ6Iuz4ABNS79Rg&s=09

Instagram से जुड़ें :-👇https://www.instagram.com/invites/contact/...

website से जुड़ें :-👇

enagrik.com

आलेख

/ameriki-dhamakiyon-ke-sath-iran-amerika-varta

अमरीकी सरगना ट्रम्प लगातार ईरान को धमकी दे रहे हैं। ट्रम्प इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु बम नहीं बनाने देंगे। ईरान की हुकूमत का कहना है कि वह

/modi-sarakar-waqf-aur-waqf-adhiniyam

संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

/china-banam-india-capitalist-dovelopment

आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

/amerika-aur-russia-ke-beech-yukrain-ki-bandarbaant

अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं।