दिल्ली में "बढ़ता फासीवादी खतरा और हमारे कार्यभार" विषय पर सेमिनार आयोजित

दिल्ली में इंकलाबी मजदूर केंद्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र और क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन द्वारा संयुक्त रूप में फासीवाद पर सेमिनार का आयोजन किया गया। इससे कुछ समय पहले “हिंदू फासीवादी खतरे का मुकाबला करने को आगे आओ!” शीर्षक पर्चे और पुस्तिकाओं द्वारा अभियान चलाया गया था। ऐसे ही अभियान पिछले वर्ष भी चलाए गए थे।

उपरोक्त चारों संगठनों की ओर से पिछले लंबे समय से यह प्रयास रहा है कि देश, समाज जिस फासीवादी खतरे की ओर बढ़ रहा है, उसकी ओर समाज का ध्यान खींचे, आम मज़दूर, मेहनतकश जनता जो व्यवहार में महंगाई, सांप्रदायिकता झेल रही है, लेकिन इस फासीवादी संकट से अंजान है, उसे इसके प्रति सचेत करते हुए संघर्ष के लिए तैयार करें। इन्हीं उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए अभियान चलाए गए थे, इसी कड़ी में दिल्ली में इस सेमिनार का आयोजन किया गया है।

इस दौरान बीच-बीच में क्रांतिकारी गीत भी गाए गए। सेमिनार की अध्यक्षता ए.आई. एफ. टी. यू. (न्यू) के पीके शाही, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के नरभिन्दर सिंह, डेमोक्रेटिक पीपुल्स फ्रंट के अर्जुन प्रसाद सिंह, आईएफटीयू (सर्वहारा) की विदुषी, इंकलाबी मजदूर केंद्र के खीमानंद ने की।

सेमिनार में लगभग 5 घंटे चली गंभीर बातचीत में कई अलग-अलग पहलुओं पर चर्चा हुई। बातचीत की शुरुआत में परिवर्तनकामी छात्र संगठन के महेंद्र द्वारा भारत में बढ़ते फासीवादी संकट और दुनिया में उसके इतिहास को रेखांकित करते हुए, आज फासीवाद से लड़ने के लिए हमारे कार्यभारों को प्रस्तुत किया गया था। इसके आगे मंच पर अलग-अलग जनसंगठनों के साथियों ने मंच पर आकर अपनी बात रखी।

बातचीत में शामिल सभी संगठनों ने इस विषय पर सेमिनार के आयोजन की पहल की सराहना की। साथ ही फासीवाद का इतिहास हमें क्या बताता है, फासीवादी सोच और उसकी विचारधारा कैसे काम करती है, लगातार गहराते आर्थिक से उसका क्या रिश्ता है और आज भारत में फासीवादी संकट किस रूप में हमारे सामने दिखाई पड़ रहा है, इन सभी पहलुओं पर भिन्न-भिन्न वक्ताओं ने अपने वक्तव्यों में प्रकाश डाला।

लगातार बढ़ते फासीवादी संकट को देखते हुए अपने कार्यभारों पर भी कई वक्ताओं ने जोर देने की कोशिश की। कुछ वक्ताओं ने फासीवादी संकट से जूझने के लिए व्यापक जनमोर्चा बनाने का सुझाव दिया। वक्ताओं ने इस भी जोर दिया कि पिछले कुछ वर्षों में फासीवादियों ने मजदूरों के बीच में अपना जनाधार मजबूत किया है जबकि मजदूरों के बीच में क्रांतिकारी ताकतों की पकड़ कमजोर हुई है। इसलिए हमें व्यापक मोर्चा बनाने के साथ-साथ अपना जनाधार मजबूत करने की सख्त जरूरत है।

दिल्ली में हिंदू फासीवाद पर हुआ ये सेमिनार बढ़ते फासीवादी खतरे के सवाल को ज्यादा मुखरता से पेश करने, उठाने में सफल हुआ। फासीवादी खतरे के खिलाफ जनता को लामबंद करने में इस सेमिनार ने सभी उपस्थित लोगों में ऊर्जा का संचार किया है। उम्मीद है उपस्थित सभी लोग एवं संगठन आगे अपने-अपने कार्यक्षेत्रों में इस सवाल से जूझते, लड़ते हुए ज्यादा मज़बूत होंगे।

सेमिनार में परिवर्तनकामी छात्र संगठन के महेन्द्र, लोक पक्ष के रविंद्र यादव, जन संघर्ष मंच (हरियाणा) के रघुवीर, जाति उन्मूलन संगठन के जेपी नरेला, श्रमिक संग्राम कमेटी के सुभाष दा, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के नरभिन्दर सिंह, बेलसोनिका यूनियन (गुड़गांव) के अजीत, आईएफटीयू (सर्वहारा) की विदुषी, दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सरोज गिरी, एआईएफटीयू न्यू के साथी पीके शाही, इंकलाबी मजदूर केंद्र (गुड़गांव) के श्याम वीर, प्रगतिशील महिला का केंद्र की हेमलता, सर्वहारा जन मोर्चा के मुकेश असीम, क्रांतिकारी किसान यूनियन के संजय श्याम, सामाजिक कार्यकर्ता बुद्धेश, सीएलएफआई के सौरभ, समाजवादी लोकमंच के कमलेश, इंकलाबी मजदूर केंद्र के अध्यक्ष खीमानंद ने बात रखी। सेमिनार का संचालन प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की रिचा एवं इंकलाबी मजदूर केंद्र के मुन्ना प्रसाद ने किया।

 

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