
मुख्यमंत्री की मंशा पर सवाल; अधिकारियों पर कार्रवाही की मांग
रामनगर (नैनीताल) में आज विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने 23 अप्रैल को उप जिलाधिकारी से मुलाक़ात कर ग्रामीण क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोले जाने पर अपना रोष जताया और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन प्रेषित किया।
ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में वहां के लोगों की सहमति के बिना शराब की दुकानें खोल दी गईं हैं जिसका ग्रामीणों द्वारा भारी विरोध किया जा रहा है। ग्रामीणों के विरोध के बाद मुख्यमंत्री द्वारा 10 अप्रैल को सार्वजनिक रूप से अखबारों के माध्यम से घोषणा की गई थी कि नवसृजित शराब की दुकानों को नहीं खोला जाएगा। लेकिन मुख्यमंत्री की घोषणा की बावजूद भी आबकारी विभाग और जिला प्रशासन नैनीताल द्वारा अभी तक भी शराब की इन नई दुकानों को निरस्त करने के आदेश नहीं जारी किये गये हैं। जिसके कारण अब मुख्यमंत्री की मंशा पर ही सवाल उठ रहे हैं, कि क्या सरकार का रिमोट कंट्रोल किसी और के हाथ में है जो ब्यूरोक्रेसी को नियंत्रित कर रहा है?
ज्ञापन में मांग की गई है कि पाटकोट, हाथीडंगर तहसील रामनगर सहित पूरे प्रदेश में गांवों में खोली गई शराब की सभी दुकानों को अविलम्ब निरस्त करने का आदेश जारी करें; मुख्यमंत्री की 10 अप्रैल की घोषणा पर आबकारी विभाग एवं जिला प्रशासन द्वारा संज्ञान न लिए जाने के लिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही सुनिश्चित करें; रामनगर तहसील के अंतर्गत नवसृजित हाथीडंगर की शराब की दुकान को आबकारी विभाग एवं जिला प्रशासन की शराब ठेकेदार से मिलीभगत से गोपाल नगर मालधन में खोल दिया गया है जिसे तत्काल बंद किया जाये एवं शराब ठेकेदार से मिले हुये अधिकारियों पर सख्त कार्रवाही की जाये।
ज्ञापन प्रेषित करने वाले सामाजिक-राजनीतिक संगठनों के इस प्रतिनिधि मंडल में उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के महासचिव एवं राज्य आंदोलनकारी प्रभात ध्यानी एवं मो. आसिफ, इंकलाबी मज़दूर केंद्र के महासचिव रोहित रुहेला, किसान संघर्ष समिति के संयोजक ललित उप्रेती, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की तुलसी छिमवाल, वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति के सचिव पी सी जोशी, समाजवादी लोक मंच के गिरीश आर्या, महिला एकता मंच से सरस्वती जोशी एवं कौशल्या चुन्याल, उत्तराखंड क्रांति दल के उपाध्यक्ष इंद्र सिंह मनराल, राज्य आंदोलनकारी पान सिंह नेगी व योगेश सती, पाटकोट से सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि बोस एवं एडवोकेट गिरीश चन्द्र व विक्रम सिंह मावड़ी इत्यादि लोग शामिल थे।