
हमारे देश में राष्ट्रवादियों की भरमार है। जो सबसे ज्यादा पाये जाते हैं वे हिन्दू राष्ट्रवादी हैं। कहा जाता है कि राष्ट्रवादी वे होते हैं जो राष्ट्र की चिंता करते हैं। राष्ट्र का चिंतन करते हैं। राष्ट्र का वंदन करते हैं। राष्ट्र को नमन करते हैं।
राष्ट्र की चिंता-चिन्तन-वंदन-नमन में राष्ट्रवादी इतने तल्लीन रहते हैं कि वे कुछ अन्य नहीं कर पाते हैं। हालत तो कभी-कभी ऐसी हो जाती है कि वे न सो पाते हैं और न जग पाते हैं। न वे देख पाते हैं और न सुन पाते हैं। शुरूवात में तो कुछ ठीक ही रहता परन्तु बाद में इनकी स्थिति दिनोंदिन गम्भीर होती जाती है। कभी-कभी तो यह भी समझने में दिक्कत आती है कि वे तीव्र ज्वर के शिकार हैं कि वे सन्निपात के शिकार हो गये हैं। स्थिति इतनी खराब भी हो सकती है इनका चिन्ता-चिन्तन-वंदन-नमन उस अवस्था में धकेल दे जहां ये पूर्ण मौन धारण कर लें। इनके मुंह में दही जम जाये जहां हां या ना कुछ भी न कह सकें।
अमेरिका ने हमारे महान देश भारत के वासियों को अपने देश को महान बनाने और साबित करने के लिए अपने देश से अपराधियों की तरह पकड़-पकड़ कर भारत में जबरन भेज दिया। भारतवासियों के हाथ-पांवों को जंजीरों में जकड़कर, जबरन सैन्य विमान में भरकर भारत में उतार दिया। अमेरिकी सिपाहियों ने उन पर बंदूकें तानी रखीं। उन्हें पेशाब तक जाने के लिए उनके सामने हाथ-पांव जोड़ने पड़े।
दक्षिण अमेरिका के एक देश कोलम्बिया तक ने अपने नागरिकों के सम्मान की रक्षा की पर भारत के राष्ट्रवादी अमेरिका के सामने चूं भी न कर सके। सबके मुंह में दही जम गई। मोदी चुप, अमित शाह चुप। भागवत चुप, होसबोले चुप। योगी चुप, हिमंत बिस्वा सरमा चुप।