इनकी सूरत को पहचानो भाई

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देहरादून/ हिंदू फासीवादी अपने नये-नये नामों से संगठन बनाकर समाज में मुसलमानों के खिलाफ घृणित अभियान चला रहे हैं। कुछ दिन शांत रहने के बाद उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव सम्पन्न होते ही इनकी सक्रियता फिर बढ़ रही है। 4 फरवरी को एक ऐसे ही दक्षिणपंथी संगठन काली सेना के काले कारनामों के जरिये देहरादून की फिजा खराब करने की कोशिश की गई।
    
4 फरवरी को 50-60 लोग जो काली सेना से जुड़े थे, ने नथुआवाला में सभा कर एक नाबालिग के साथ हुए यौन शोषण को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की। उन्होंने अल्पसंख्यकों (मुसलमानों) के खिलाफ नफरती भाषा का प्रयोग किया। उन्होंने स्थानीय निवासियों को मुस्लिमों को किराये पर दुकान व मकान न देने और उन्हें अपने घरों से निकालने का फरमान सुनाया। यहां तक कि उन पर हमला करने को भी उकसाया। इसके बाद इन्होंने नथुआवाला से डोनाली तक जुलूस निकाला और रास्ते में मुसलमानों की दुकानों पर लगे नाम के बोर्डों को फाड़ा। 
    
अगले दिन 5 फरवरी को सोशल मीडिया के माध्यम से डोनाली तिराहे पर सभा की गयी और मुसलमान दुकानदारों और किरायेदारों को घरों से निकालने का आह्वान किया गया और न निकालने पर सात दिन में खुद उन्हें जबरदस्ती बाहर निकालने की धमकी दी गयी। उसी दिन काली सेना के लोगों ने लोअर टुनावला में लगने वाले साप्ताहिक बाजार से मुसलमान विक्रेताओं को जबरन बाहर निकाल दिया और फिर कभी उस बाजार में न आने की धमकी दी। और उस बाजार को सनातनी बाजार घोषित कर दिया।
    
उत्तराखंड का पुरोला हो, उत्तरकाशी हो या फिर हल्द्वानी या अन्य शहर हिंदू फासीवादी संगठन इसी तरीके की कार्रवाहियां निरंतर कर रहे हैं। गांव में मुस्लिम विक्रेताओं के न घुसने सम्बन्धी बोर्ड लगाए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों को मुसलमान दुकानदारों और किरायेदारों को निकालने की धमकी दी जा रही है। यह सब लगातार और सुनियोजित तरीके से हो रहा है। 
    
देहरादून प्रकरण में काली सेना के 5-6 लोगों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज तो की गयी है लेकिन इससे आने वाले समय में ऐसी घटना नहीं होगी यह सुनिश्चित नहीं किया जा सकता। जब उत्तराखंड का मुखिया ही लैंड जिहाद जैसे नारे के तहत मजारें तुड़वा रहा हो, अपने आपको जनता का रक्षक होने के बजाय धर्म रक्षक कहलाने में गर्व महसूस कर रहा हो तो इनकी जड़ों को समझा जा सकता है।

आलेख

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आंकड़ों की हेरा-फेरी के और बारीक तरीके भी हैं। मसलन सरकर ने ‘मध्यम वर्ग’ के आय कर पर जो छूट की घोषणा की उससे सरकार को करीब एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान बताया गया। लेकिन उसी समय वित्त मंत्री ने बताया कि इस साल आय कर में करीब दो लाख करोड़ रुपये की वृद्धि होगी। इसके दो ही तरीके हो सकते हैं। या तो एक हाथ के बदले दूसरे हाथ से कान पकड़ा जाये यानी ‘मध्यम वर्ग’ से अन्य तरीकों से ज्यादा कर वसूला जाये। या फिर इस कर छूट की भरपाई के लिए इसका बोझ बाकी जनता पर डाला जाये। और पूरी संभावना है कि यही हो। 

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ट्रम्प द्वारा फिलिस्तीनियों को गाजापट्टी से हटाकर किसी अन्य देश में बसाने की योजना अमरीकी साम्राज्यवादियों की पुरानी योजना ही है। गाजापट्टी से सटे पूर्वी भूमध्यसागर में तेल और गैस का बड़ा भण्डार है। अमरीकी साम्राज्यवादियों, इजरायली यहूदी नस्लवादी शासकों और अमरीकी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की निगाह इस विशाल तेल और गैस के साधन स्रोतों पर कब्जा करने की है। यदि गाजापट्टी पर फिलिस्तीनी लोग रहते हैं और उनका शासन रहता है तो इस विशाल तेल व गैस भण्डार के वे ही मालिक होंगे। इसलिए उन्हें हटाना इन साम्राज्यवादियों के लिए जरूरी है। 

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आज भी सं.रा.अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक और सामरिक ताकत है। दुनिया भर में उसके सैनिक अड्डे हैं। दुनिया के वित्तीय तंत्र और इंटरनेट पर उसका नियंत्रण है। आधुनिक तकनीक के नये क्षेत्र (संचार, सूचना प्रौद्योगिकी, ए आई, बायो-तकनीक, इत्यादि) में उसी का वर्चस्व है। पर इस सबके बावजूद सापेक्षिक तौर पर उसकी हैसियत 1970 वाली नहीं है या वह नहीं है जो उसने क्षणिक तौर पर 1990-95 में हासिल कर ली थी। इससे अमरीकी साम्राज्यवादी बेचैन हैं। खासकर वे इसलिए बेचैन हैं कि यदि चीन इसी तरह आगे बढ़ता रहा तो वह इस सदी के मध्य तक अमेरिका को पीछे छोड़ देगा। 

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ट्रम्प ने घोषणा की है कि कनाडा को अमरीका का 51वां राज्य बन जाना चाहिए। अपने निवास मार-ए-लागो में मजाकिया अंदाज में उन्होंने कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को गवर्नर कह कर संबोधित किया। ट्रम्प के अनुसार, कनाडा अमरीका के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है, इसलिए उसे अमरीका के साथ मिल जाना चाहिए। इससे कनाडा की जनता को फायदा होगा और यह अमरीका के राष्ट्रीय हित में है। इसका पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और विरोधी राजनीतिक पार्टियों ने विरोध किया। इसे उन्होंने अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता के खिलाफ कदम घोषित किया है। इस पर ट्रम्प ने अपना तटकर बढ़ाने का हथियार इस्तेमाल करने की धमकी दी है। 

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आज भारत एक जनतांत्रिक गणतंत्र है। पर यह कैसा गणतंत्र है जिसमें नागरिकों को पांच किलो मुफ्त राशन, हजार-दो हजार रुपये की माहवार सहायता इत्यादि से लुभाया जा रहा है? यह कैसा गणतंत्र है जिसमें नागरिकों को एक-दूसरे से डरा कर वोट हासिल किया जा रहा है? यह कैसा गणतंत्र है जिसमें जातियों, उप-जातियों की गोलबंदी जनतांत्रिक राज-काज का अहं हिस्सा है? यह कैसा गणतंत्र है जिसमें गुण्डों और प्रशासन में या संघी-लम्पटों और राज्य-सत्ता में फर्क करना मुश्किल हो गया है? यह कैसा गणतंत्र है जिसमें नागरिक प्रजा में रूपान्तरित हो रहे हैं?