ग्रीस को तबाह करने वाला आर्थिक संकट

    यूरोपीय संघ ने यह ऐलान किया है कि ग्रीस का आर्थिक संकट समाप्त हो गया है। ऐसे ही राजनीतिक बयान यूरोप के अलग-अलग <img alt="" src="/newsImages/180901-102244-4 1.bmp" style="border-width: 3px; border-style: solid; margin: 3px; width: 303px; height: 235px; float: right;" />देशों के शासकों के आ रहे हैं। ये बयान सफेद झूठ हैं। वास्तविकता यह है कि ग्रीस का इस कदर शोषण किया गया है कि वह मात्र कंकाल बन कर रह गया है और अभी भी इसका दोहन जारी है।<br />
    यूरोपीय संघ, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और ग्रीस की सरकार ने ग्रीस की मजदूर-मेहनतकश आबादी पर भयंकर किफायती कदम थोप रखे हैं। इसका परिणाम यह है कि ग्रीस की अर्थव्यवस्था एक चौथाई सिकुड़ चुकी है। ग्रीस की सरकार ने सामाजिक सुरक्षा के कदमों से अपने हाथ खींच लिए हैं इसके परिणामस्वरूप भारी पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ गयी है। करीब 35 लाख लोग जिसमें मुख्यतः नौजवान और विभिन्न पेशों के लोग हैं, ग्रीस को छोड़कर रोजगार की तलाश में दूसरे देशों में चले गये हैं।<br />
    दुनिया में आम तौर पर ऐसा होता रहा है कि यदि कोई देश अपना कर्ज चुकाने में असमर्थ होता रहा है तो कर्जदाता अपना कर्ज उस स्तर तक माफ करता रहा है जिससे कि कर्ज लेने वाला देश अपना काम चला सके।<br />
    लेकिन ग्रीस के साथ ऐसा नहीं हो रहा है। यूरोपीय केन्द्रीय बैंक और अंर्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने यह आदेश दिया है कि ग्रीस की सरकार को <img alt="" src="/newsImages/180901-102305-4 2.bmp" style="width: 314px; height: 187px; border-width: 3px; border-style: solid; margin: 3px; float: right;" />मूलधन का पूरा हिस्सा जो ग्रीस के सरकारी बांड जर्मन, डच, फ्रांसीसी और इटली के बैंकों के पास है, को चुकाना होगा।<br />
    इससे ग्रीस का संकट और ज्यादा गहरा गया है। लगभग एक दशक पहले संकट की शुरूआत में ग्रीस की जो हालत थी आज उससे बदतर हो गयी है।<br />
    ‘‘संकट’’ की शुरूआत में इसको हल करने का एक तरीका यह था कि ग्रीस के कर्जे का एक हिस्सा समाप्त किया जा सकता था। उस समय ग्रीस पर कर्ज उसके सकल घरेलू उत्पाद का 129 प्रतिशत था। आज ग्रीस पर कर्ज उसके सकल घरेलू उत्पाद के 180 प्रतिशत तक पहुंच गया है।<br />
    ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि ग्रीस ने अपने कर्जदाताओं का कर्ज चुकाने के लिए और कर्ज लिया। कर्जदाता अपने एक पैसे तक को खोना नहीं चाहते थे। इस अतिरिक्त कर्ज लेने को एकाधिकारी घरानों के वित्तीय अखबारों ने कर्ज से उबारने की कार्यवाई कहा था। लेकिन यह वस्तुतः ग्रीस को उबारने की कार्यवाई नहीं थी। यह ग्रीस के कर्जदाताओं को उबारने की कार्यवाई थी। <br />
    ओबामा के शासनकाल के दौरान अमरीकी शासकों ने इस उबारने की कार्यवाई को प्रोत्साहित किया था। ओबामा प्रशासन ने उबारने की इस कार्यवाई का प्रोत्साहन अमरीकी बैंकों के हित में दिया था। यदि ग्रीस को कर्ज से नहीं उबारा जाता तो ग्रीस सरकार के बांडों का बीमा जो अमरीकी बैंकों ने कर रखा था उनका नुकसान अमरीकी बैंकों को होता।<br />
    इसके अतिरिक्त ग्रीस सरकार से विदेशियों के हाथों अपनी सार्वजनिक परिसम्पतियों को बेचने की मांग की गयी। इसके साथ ही ग्रीस सरकार पर सामाजिक सुरक्षा मदों को खत्म करने की मांग की गयी। ग्रीस सरकार ने पेंशन को जीवन निर्वाह की जरूरत से भी कम कर दिया। उसने व्यापक तौर पर स्वास्थ्य सेवाओं में कमी कर दी। यह कमी इस हद तक कर दी कि इलाज होने से पहले ही लोग मर जायें।<br />
    विदेशी हाथों में परिसम्पति बेचने की कार्यवाई में चीन ने ग्र्रीस के बंदरगाह खरीद लिए। जर्मनी ने हवाई अड्डे खरीदे। विभिन्न जर्मन और यूरोपीय कम्पनियों ने ग्रीस की महानगरीय पानी कम्पनियों को खरीद लिया। जमीन के सट्टेबाजों ने ग्रीस के संरक्षित टापुओं को खरीद लिया।<br />
    ग्रीस की सार्वजनिक सम्पति की इस व्यापक लूट के बावजूद ग्रीस का कर्ज कम नहीं हुआ बल्कि यह बढ़ता ही गया। नये कर्ज लेना जारी रहा जिससे कि ब्याज की किश्तों को चुकाया जा सके।<br />
    ग्रीस पर पहले के किसी भी समय से अधिक कर्ज अभी भी बरकरार है। पहले के किसी भी समय की तुलना में अर्थव्यवस्था और सिकुड़ गयी है। ग्रीस की मजदूर-मेहनतकश आबादी को कर्ज का बोझ ढोना पड़ रहा है।<br />
    ग्रीस के संकट के बारे में यह घोषणा कि उसका संकट समाप्त हो गया है, खाली बकवास है। हकीकत यह है कि विदेशी बैंक ग्रीस को अधिकतम स्तर पर लूटते जा रहे हैं। ग्रीस की हालत दिन ब दिन पतली होती जा रही है। ग्रीस की सारी सार्वजनिक सम्पत्ति पर विदेशी कब्जा करते जा रहे हैं और यहां जो कुछ बची हुई है उसका निजीकरण करके विदेशियों के हाथों में सौंपा जा रहा है। ये विदेशी कम्पनियां ग्रीस से बाहर धन लूट कर ले जा रही हैं। इस तरह ग्रीस की अर्थव्यवस्था और नीचे की ओर जा रही है।<br />
    ग्रीस के लोगां से न सिर्फ उनका आर्थिक भविष्य छीन लिया गया है बल्कि ग्रीस की सम्प्रभुता पर भी तमाम किस्म की बंदिशें लगती जा रही हैं। यूरोपीय संघ और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष उसकी नीतियों को निर्धारित कर रहा है।<br />
    सिप्रास सरकार ने ग्रीस की जनता के साथ विश्वासघात किया है। सिप्रास सरकार के विरुद्ध ग्रीस की जनता बार-बार विरोध प्रदर्शन करती रही हैं। लेकिन यह विरोध प्रदर्शन कभी सरकार को उखाड़ फेंकने की हद तक नहीं पहुंचा। इसका एक प्रमुख कारण यह है कि ग्रीस के मजदूर वर्ग को क्रांति के लिये संगठित करने वाली मौजूदा समय में कोई पार्टी नहीं है। इसी का फायदा उठाकर सिप्रास सरकार ग्रीस को अंतर्राष्ट्रीय बैंक मालिकों के पास गिरवी रखती गयी है।<br />
    2008 का विश्व आर्थिक संकट अभी खत्म नहीं हुआ है। इस संकट को अमरीकी, यूरोपीय संघ, ग्रेट ब्रिटेन और जापान के केन्द्रीय बैंकों द्वारा बड़े पैमाने पर नोट छापकर कालीन के नीचे ढंक दिया गया है। वास्तविक उत्पादन की तुलना में मुद्रा की बढ़ोत्तरी इतनी अधिक है कि वित्तीय परिसम्पतियों का मूल्य जमीनी हकीकत से बहुत ज्यादा बढ़ गया है।<br />
    यह संकट दिनों दिन गहराता जा रहा है। कुत्ते को कुत्ता खाने की यह लड़ाई कहां तक जायेगी? ग्रीस के बाद इटली, स्पेन, पुर्तगाल, फ्रांस, बेल्जियम, आस्ट्रेलिया, कनाडा कोई भी इस संकट से नहीं बचेगा। इनकी भी बारी आ रही है।<br />
    पश्चिमी देशों की जनता शक्तिशाली आर्थिक शक्तियों के स्वार्थों द्वारा फैलाये गये झूठ पर जी रही है। पूंजीवादी प्रचार तंत्र लगातार झूठ फैलाता जा रहा है। इस झूठ का असर इतना ज्यादा है और सूचनाओं का नियत्रंण इतना विश्वव्यापी है कि लोगां को यह पता नहीं है कि उनके साथ तथा समूची दुनिया में क्या हो रहा है।<br />
    यह जिम्मेदारी मजदूर वर्ग के सचेत प्रतिनिधियों की है कि वे मजदूर वर्ग और अन्य मेहनतकश आबादी के सामने पूंजीवादी मीडिया द्वारा फैलाये गये झूठ का पर्दाफाश करें और न सिर्फ ग्रीस में बल्कि अन्य जगहों पर हो रहे विरोध आंदोलन को एक कड़ी में जोड़ने का काम करने की दिशा में आगे बढ़ें।<br />
    ग्रीस में सिप्रास ने मजदूर वर्ग और अन्य मेहनतकश लोगों के साथ गद्दारी की है। इस गद्दारी के बावजूद वह सत्तासीन इसलिए है क्योंकि लम्बे समय से मजदूर वर्ग को अर्थवाद और सुधारवाद के दलदल में डाल रखा गया था। सुधारवादियों और तरह-तरह के व्यवस्थापरक वामपंथियों के पापों की सजा आज ग्रीस के मजदूर वर्ग को भुगतनी पड़ रही है। इससे निकलने का रास्ता मजदूर वर्ग द्वारा पूंजीवादी व्यवस्था को उखाड़ फेंकने के जरियें ही हो सकता है।<br />
    ग्रीस के मजदूर वर्ग के सचेत प्रतिनिधियों के समक्ष चुनौती बहुत बड़ी है। निश्चित ही ‘ग्रीस का मजदूर वर्ग देर-सबेर भीतर के अवसरवादियों को बेनकाब करके और उन्हें परास्त करके इस संकट से उबारने में ग्रीस का नेतृत्व करेगा। इसके अलावा समाज में अन्य कोई वर्ग नहीं है जो कि ग्रीस को इस संकट से उबार सके।<br />
    (डा.पॉल क्रेग रॉबर्टर के 22 अगस्त 2018 के Global Research में प्रकाशित लेख के आधार पर) साभार

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