हल्द्वानी को हिन्दुत्व की प्रयोगशाला बनाते हिंदू सांप्रदायिक संगठन

हल्द्वानी/ हल्द्वानी (उत्तराखंड) क्षेत्रान्तर्गत कमलुवागांजा में साम्प्रदायिक सौहार्द खराब करने और मुस्लिम अल्पसंख्यकों की दुकानों को जबरन बंद करवाने/खाली करवाने के लिए भाजपा-आरएसएस से जुड़े हिंदू सांप्रदायिक संगठन लगे रहे। जिससे कई दिनों तक इलाके में तनाव का माहौल बना रहा।
    
विगत 14 जून 2023 को हल्द्वानी के कमलुवागांजा क्षेत्र में एक मुस्लिम युवक पर गाय के साथ तथाकथित अनैतिक कार्य का आरोप लगाया गया। उसी समय से उस घटना पर हिन्दू साम्प्रदायिक संगठन क्षेत्र में सक्रिय हो गये। पुलिस द्वारा उक्त युवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। मामले की जांच और अग्रिम कानूनी कार्यवाही जारी थी। इस मामले में आरोपी मुस्लिम युवक और शिकायतकर्ता व्यक्ति के बीच में आपस के लेन-देन की बात भी क्षेत्र में की जा रही है। शिकायतकर्ता ही इस घटनाक्रम के चश्मदीद गवाह भी बताए जा रहे हैं। यह घटना में संदेह पैदा करता है। पुलिस-प्रशासन को इस मामले की न्यायप्रिय तरीके व सच्चाई से तहकीकात कर सच सामने लाना चाहिए था। परंतु उसने उक्त मुस्लिम युवक को ही तत्काल गिरफ्तार कर विभिन्न धाराएं दर्ज कर जेल में बंद कर दिया।
    
इस बीच हिन्दू साम्प्रदायिक संगठनों द्वारा क्षेत्र में पुरौला की तर्ज पर मुस्लिम कामगारों की दुकानों को 14 जून से भीड़ के रूप में घूम-घूमकर जबरन बंद करवाने की द्वेषपूर्ण कार्यवाही की गयी। और इस दौरान पुलिस-प्रशासन ‘सब ठीक है’ कहता रहा। सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ आदि तरीकों से कई दिनों तक सांप्रदायिक उन्माद का माहौल तैयार किया गया और मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाकर उनकी दुकानें बंद करा दी गईं। स्थानीय हिन्दुओं पर भी मुस्लिम दुकानदारों से दुकान जबरन खाली करवाने का दबाव बनाया जाता रहा जिससे मुस्लिम दुकानदारों में डर व भय का माहौल बना हुआ है। कुछ तथाकथित सांप्रदायिक छुटभैय्ये नेता जन सरोकारों की समस्याओं, मुद्दों की जगह सांप्रदायिकता के जरिए अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने का मंसूबा पालते रहे।
    
पुलिस-प्रशासन सांप्रदायिक सौहार्द का माहौल खराब करने वाले हिंदू सांप्रदायिक संगठनों पर कानून सम्मत मुकदमे दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करने के बजाय उनके मान-मनौव्वल पर लगा रहा। इससे इन संगठनों को इनकी मनमानी करने की और छूट मिल जाती है। अभी उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने पुरौला की घटना में सरकार से ऐसे मामलों में सख्ती से विधि अनुसार कार्यवाही करने के निर्देश दिये थे। साथ ही मीडिया के जरिये साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिशों पर रोक लगाने की टिप्पणी की थी। हल्द्वानी में पुलिस-प्रशासन इस सब को करवाने में नाकाम रहा है। प्रगतिशील लोगों व सामाजिक संगठनों द्वारा सांप्रदायिक तनाव बनाने वाले लोगों पर कानून सम्मत कार्यवाही करने की मांग बुलंद करने के बाद पुलिस-प्रशासन कुछ हरकत में आया। इस दौरान भीड़ में शामिल 50-60 अज्ञात लोगों पर मामूली धाराओं में मुकदमे दर्ज किए गए। जबकि उस सांप्रदायिक भीड़ का हिस्सा रहे लोग ज्ञात थे।
    
पुरौला उत्तराखंड सहित पूरे देश के अंदर मुसलमानों को निशाना बनाकर सांप्रदायिक उन्माद का माहौल तैयार किया जा रहा है। रामनवमी, हनुमान जयंती जैसे त्यौहारों का इस्तेमाल देश के अलग-अलग शहरों में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण, दंगों के लिए किया गया। कभी हिजाब तो कभी तथाकथित लव जिहाद के नाम पर धार्मिक उन्माद का माहौल बनाकर रखा जा रहा है। इस माहौल में आमजन के जीवन से जुड़े मुद्दों को दरकिनार किया जा रहा है। साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव हेतु सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। ताकि संघ-भाजपा को मदद मिल सके। प्रगतिशील, न्यायप्रिय लोगों व सामाजिक संगठनों को संघ-भाजपा के इस राजनीतिक प्रयोगशाला के विरोध में मुखर तरीके से आवाज उठानी चाहिए। तभी ‘अशफाक-बिस्मिल’ जैसे शहीदों की ‘साझी शहादत-साझी विरासत’ की रक्षा की जा सकेगी।
    
इसी सांप्रदायिक राजनीतिक प्रयोगशाला के विरोध में 2 जुलाई, 2023 को बुद्ध पार्क, तिकोनिया हल्द्वानी में विभिन्न प्रगतिशील लोगों, सामाजिक संगठनों व न्यायप्रिय लोगों द्वारा सद्भावना सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।  -हल्द्वानी संवाददाता

आलेख

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