डीप सीक से अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियां सदमे में

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आधुनिक प्रौद्योगिकी खासकर आर्टिफिशियल इंटेजीलेंस के क्षेत्र में साम्राज्यवादी मुल्कों अमेरिका व चीन की प्रतिद्वंद्विता जगजाहिर है। अभी हाल में ही चीन की एक स्टार्ट अप कंपनी डीप सीक ने घोषणा कर दी कि वह अमेरिका में उत्पादित उन्नत चिप्स के बिना बेहद कम लागत पर एक उन्नत ए आई प्रणाली विकसित करने में सक्षम है।
    
20 जनवरी को डीप सीक ने जटिल समस्याओं को हल करने के लिए अपना आर वन माडल पेश कर दिया। विशेषज्ञों के अनुसार डीप सीक की तकनीक अभी यद्यपि गूगल व ओपन ए आई से पीछे है पर यह कम उन्नत चिप्स का उपयोग करने के चलते एक बड़ी करीबी प्रतिद्वंद्वी है। सिलिकान वैली के पूंजीपति मार्क आद्रसेन ने ट्वीटर पर लिखा कि डीप सीक आर वन उनके द्वारा देखी सबसे आश्चर्यजनक और प्रभावशाली सफलताओं में से एक है। उन्होंने इसे ए आई का स्पूतनिक क्षण करार दिया। 
    
स्पूतनिक क्षण आम तौर पर 1957 में सोवियत संघ द्वारा पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले पहले उपग्रह प्रक्षेपण को कहा जाता है। इस घटना ने तब अमेरिका को झकझोर दिया था। 
    
डीप सीक के उद्घाटित होने के बाद से अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियों के शेयर भारी गिरावट के शिकार हो गये। ए आई चिप्स बनाने में अग्रणी कंपनी एनवीडिया के शेयरों में 17 प्रतिशत की गिरावट आयी है। कंपनी का बाजार पूंजीकरण 600 अरब डालर घट गया। यह शेयर बाजार के इतिहास में एक दिन में किसी भी कंपनी के लिए गिरावट का रिकार्ड था। एक और ए आई आधारित कंपनी ब्राडकाम के शेयर भी 17 प्रतिशत गिर गये। 
    
अन्य कंपनियां जो सीधे तो ए आई से नहीं जुड़ी हैं पर इसके विकास से जुड़ी हैं, उन्हें भी झटका लगा है। ए आई आधारभूत ढांचे के लिए विद्युत हार्डवेयर की आपूर्ति करने वाली सीमेंस एनर्जी के शेयर 20 प्रतिशत गिर गये। बिजली उत्पादों की आपूर्तिकर्ता श्नाइडर इलेक्ट्रिकल के शेयर 9.5 प्रतिशत गिर गये। 
    
अगर डीप सीक की सफलता जारी रहती है तो अमेरिका में प्रमुख ए आई फर्मों की निवेश योजनाओं पर असर पड़ेगा। 2022 में चैट जीपीटी के आगमन के साथ शेयर बाजार में ए आई बूम की शुरूआत हुई थी। इस बूम ने समूचे नास्डाक शेयर बाजार को काफी ऊंचा उठा दिया था। टेक कंपनियां इस बूम से लाभ उठाने में अग्रणी थीं। 27 जनवरी की गिरावट ने नास्डाक शेयर बाजार से लगभग 1000 अरब डालर बाजार पूंजीकरण कम कर दिया। 
    
राष्ट्रपति ट्रम्प ने ए आई के क्षेत्र में अमेरिका को वैश्विक नेता घोषित करते हुए कहा कि इसका विकास व एकाधिकार उनके मेक अमेरिका ग्रेट अगेन प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य है। 
    
फिलहाल अमेरिका व चीन ए आई के साथ-साथ दूरसंचार, इलेक्ट्रिक वाहनों, सैन्य उपकरणों आदि के क्षेत्रों में तीखी प्रतिद्वंद्विता कर रहे हैं। यह प्रतिद्वंद्विता यह तय करने में मदद करेगी कि उभरते चीनी साम्राज्यवादी अमेरिकी साम्राज्यवाद को कितनी चुनौती दे पाते हैं। 

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असल में धार्मिक साम्प्रदायिकता एक राजनीतिक परिघटना है। धार्मिक साम्प्रदायिकता का सारतत्व है धर्म का राजनीति के लिए इस्तेमाल। इसीलिए इसका इस्तेमाल करने वालों के लिए धर्म में विश्वास करना जरूरी नहीं है। बल्कि इसका ठीक उलटा हो सकता है। यानी यह कि धार्मिक साम्प्रदायिक नेता पूर्णतया अधार्मिक या नास्तिक हों। भारत में धर्म के आधार पर ‘दो राष्ट्र’ का सिद्धान्त देने वाले दोनों व्यक्ति नास्तिक थे। हिन्दू राष्ट्र की बात करने वाले सावरकर तथा मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान की बात करने वाले जिन्ना दोनों नास्तिक व्यक्ति थे। अक्सर धार्मिक लोग जिस तरह के धार्मिक सारतत्व की बात करते हैं, उसके आधार पर तो हर धार्मिक साम्प्रदायिक व्यक्ति अधार्मिक या नास्तिक होता है, खासकर साम्प्रदायिक नेता। 

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इस समय, अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूरोप और अफ्रीका में प्रभुत्व बनाये रखने की कोशिशों का सापेक्ष महत्व कम प्रतीत हो रहा है। इसके बजाय वे अपनी फौजी और राजनीतिक ताकत को पश्चिमी गोलार्द्ध के देशों, हिन्द-प्रशांत क्षेत्र और पश्चिम एशिया में ज्यादा लगाना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में यूरोपीय संघ और विशेष तौर पर नाटो में अपनी ताकत को पहले की तुलना में कम करने की ओर जा सकते हैं। ट्रम्प के लिए यह एक महत्वपूर्ण कारण है कि वे यूरोपीय संघ और नाटो को पहले की तरह महत्व नहीं दे रहे हैं।

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ट्रम्प द्वारा फिलिस्तीनियों को गाजापट्टी से हटाकर किसी अन्य देश में बसाने की योजना अमरीकी साम्राज्यवादियों की पुरानी योजना ही है। गाजापट्टी से सटे पूर्वी भूमध्यसागर में तेल और गैस का बड़ा भण्डार है। अमरीकी साम्राज्यवादियों, इजरायली यहूदी नस्लवादी शासकों और अमरीकी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की निगाह इस विशाल तेल और गैस के साधन स्रोतों पर कब्जा करने की है। यदि गाजापट्टी पर फिलिस्तीनी लोग रहते हैं और उनका शासन रहता है तो इस विशाल तेल व गैस भण्डार के वे ही मालिक होंगे। इसलिए उन्हें हटाना इन साम्राज्यवादियों के लिए जरूरी है। 

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