2 जनवरी 2025, बुधवार को जर्मनी के बवेरिया प्रांत के छोटे से शहर आशफेनबुर्ग के मध्य स्थित एक सार्वजनिक पार्क में एक चौंकाने वाली दुर्घटना हुई। यह दुर्घटना स्थानीय समय के अनुसार सुबह करीब 11ः45 बजे हुई जब 28 वर्षीय एक अफगानी अप्रवासी युवक ने एक किंडरगार्टन ग्रुप के बच्चों पर हमला किया। यह बच्चे पार्क में घूमने आए थे। इस हमले में दो लोग मारे गए जिनमें 2 साल की एक मोरक्को मूल की बच्ची और 41 साल का एक जर्मन आदमी शामिल था। यह आदमी बच्चों को बचाने की कोशिश में हमलावर की चपेट में आ गया। घायलों में 2 साल की एक सीरियाई बच्ची, 72 साल के एक बुजुर्ग और 59 साल की बच्चों की देखभाल करने वाली शिक्षिका शामिल हैं।
पुलिस ने तुरंत आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और बाद में उसे मानसिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया। जर्मन अधिकारियों ने कहा कि हमलावर इनामुल्लाह की मानसिक स्थिति सही नहीं है और इस कारण उसे अपराध के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। अभी हमले के कारणों की जांच चल रही है।
बवेरिया के गृह मंत्री हेरमान ने कहा, ‘‘अब तक की जांच में इस्लामी आतंकवाद का कोई सबूत नहीं मिला है। यह मानसिक बीमारी से जुड़ा एक दुर्भाग्यपूर्ण मामला प्रतीत होता है।’’ यह अफगानी युवक नवंबर 2022 में जर्मनी आया था और शरण मांगी थी, चूंकि उसके शरणार्थी होने का दावा अस्वीकृत हो चुका था, इसलिए उसे देश छोड़ वापस अफगानिस्तान जाने के लिए कहा गया था।
इस घटना ने शहर को सदमे में डाल दिया है। लोगों में बहुत डर का माहौल है। ‘गैर- कानूनी’ रूप से रह रहे अप्रवासियों के खिलाफ तो माहौल है ही पर वहां लंबे समय से रह रहे अप्रवासियों के बीच भी डर का माहौल है।
इस दुर्घटना ने जर्मनी में अप्रवासन और शरणार्थी नीति पर बहस को और तेज कर दिया है। यह मुद्दा अगले महीने के आम चुनावों पर भी असर डाल सकता है। रूढ़िवादी नेता फ्रीडरिक मैर्त्स ने सरकार की शरण नीति की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘मैं अब इन स्थितियों को और सहन नहीं कर सकता।“ उन्होंने बार्डर सुरक्षा को मजबूत करने और शरण देने के कानून में बदलाव की मांग की।
क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से चांसलर पद के दावेदार मैर्त्स ने वादा किया कि अगर वह चुने जाते हैं तो देश में इमिग्रेशन के नियमों को सख्त करेंगे और अवैध रूप से देश में घुसने की सारी कोशिशों को नाकाम करने वाली नीतियां बनाएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे नेतृत्व में, जर्मनी में इमिग्रेशन कानून, शरण कानून और निवास के अधिकार में बुनियादी बदलाव होंगे।’’
इस बीच फासीवादी दल अल्टरनेटिव फार जर्मनी (एएफडी) ने लोगों के बीच पैदा हुए डर को और ज्यादा भड़काया है। इसके नेता अप्रवासियों के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। उसके नेता ने अगले महीने होने वाले चुनावों को लेकर यही कहा है कि जर्मनी की सीमाएं बंद की जाएं और अवैध शरणार्थियों को वापस भेजा जाए।
पूरे यूरोप में ही अप्रवासियों के खिलाफ एक माहौल पैदा किया जा रहा है। यूरोप गहरे राजनीतिक संकट से जूझ रहा है जिसका कारण आर्थिक रूप से गिरती अर्थव्यवस्था है। इस संकट का इस्तेमाल पूंजीपति वर्ग और राजनीतिक पार्टियां अप्रवासियों के खिलाफ माहौल बनाकर करना चाह रही हैं।
शरणार्थियों की समस्या को पैदा करने में सबसे अधिक भूमिका अमेरिकी व यूरोपीय साम्राज्यवादियों की ही है। अपने साम्राज्यवादी हितों के मद्देनजर इन्होंने अफगानिस्तान, सीरिया, इराक, लीबिया, यमन आदि देशों में इतनी बमबारी-मारकाट मचाई कि वहां की बड़ी आबादी सुरक्षित जीवन की तलाश में देश छोड़ यूरोप की ओर पलायन को मजबूर हो गयी। यूरोप में शरणार्थी के रूप में आयी इस आबादी को शरण से ज्यादा हिकारत मिली। यही हिकारत स्थानीय लोगों पर हमले की ओर धकेल बदला लेने की मानसिकता पैदा कर रही है। एक तरह से अमेरिकी-यूरोपीय साम्राज्यवादियों को उनके कुकर्मों की सजा उनकी ही जमीन पर इन हमलों के रूप में मिल रही है। पर अत्याचारी शासक इन हमलों से सबक लेने के बजाय शरणार्थियों-अप्रवासियों को देश से निकालने, सीमायें बंद करने की बातें कर शरणार्थियों के प्रति हिकारत-नफरत को बढ़ा रहे हैं।