इज़राइल ने एक बार फिर फिलिस्तीन के अल शिफा अस्पताल पर हमला किया। यह हमला 18 मार्च को सुबह शुरु हुआ और दो सप्ताह तक इज़रायली सेना ने वहां हमास के आतंकियों से लड़ाई के नाम पर कहर ढाया। इससे पहले भी इज़राइल तीन बार अल शिफा पर हमले कर चुका है। अल शिफा पर यह उसका चौथा हमला था। इज़रायली बलों ने 500 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार भी किया है।
अल शिफा अस्पताल फिलिस्तीन का सबसे बड़ा अस्पताल था। जब इज़राइल ने फिलिस्तीन पर हमला किया तबसे यह लगातार युद्ध में घायलों का इलाज करता आ रहा है। युद्ध की वजह से न केवल घायल वरन विस्थापित लोग भी अल शिफा अस्पताल में शरण लेने लगे। उन्हें लगा कि अस्पताल होने की वजह से शायद इज़राइल यहाँ हमला न करे लेकिन इज़राइल लगातार फिलिस्तीन के अस्पतालों को अपना निशाना बनाता रहा है।
इज़राइल द्वारा अब तक 155 स्वास्थ्य केंद्रों को तबाह कर दिया है। 400 से ज्यादा स्वास्थ्य कर्मियों को मार डाला है। फिलिस्तीन से लौटे स्वास्थ्य कर्मियों ने भी इज़राइल द्वारा स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले की पुष्टि की है। इज़राइल अस्पतालों पर हमले को यह कहकर जायज ठहराता रहा है कि हमास अपनी गतिविधियों को अस्पतालों के नीचे बने बंकरों से संचालित कर रहा है। जब 18 मार्च को उसने अल शिफा पर हमला यह कहकर किया कि हमास के आतंकी अल शिफा में फिर से संगठित हो रहे हैं।
इज़राइल की सेना ने 2 सप्ताह तक अल शिफा में नरसंहार को अंजाम दिया। जब इज़राइल के बलों ने अल शिफा पर हमला किया उस वक्त वहां 20 डॉक्टर और 60 नर्सों समेत मरीज़ और अन्य लोगों को मिलाकर 30,000 लोग मौजूद थे। इज़राइल की सेना ने अस्पताल में मौजूद सभी लोगों को आदेश दिया कि वे अपनी जगह से न हिलें। जो भी व्यक्ति अपनी जगह से हटा उसको गोली मार दी गयी।
इज़राइल सेना यह दावा कर रही है कि उसने अनेकों आतंकवादियों को मार डाला है लेकिन हकीकत यह है कि इसी हमले में अस्पताल के प्लास्टिक सर्जन अहमद मकादमेह को उस समय कत्ल कर दिया गया जब वे अपनी मां के साथ अस्पताल छोड़ने की कोशिश कर रहे थे। मां को भी मार दिया गया।
इज़राइल की सेना ने अल शिफा अस्पताल पर कब्ज़े के समय स्वास्थ्य कर्मचारियों को सबके सामने पीटा और यातनाएं दी। सर्जरी बिल्डिंग को विशेषकर नुकसान पहुँचाया। उपकरणों को नष्ट कर दिया। उनका सीधा मकसद अस्पतालों को नष्ट कर स्वास्थ्य सेवा को तहस नहस करना था।
स्वास्थ्य सेवा के तहस नहस करने का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ रहा है। जो भी बच्चे हमले के बाद जन्मे हैं वे सभी कुपोषण का शिकार हैं। मां के दूध के अभाव में फार्मूला फ़ूड भी उनको नहीं मिल पा रहा है। फार्मूला फ़ूड के लिए साफ पानी चाहिए जो उपलब्ध नहीं है। अगर आज युद्ध बंद हो भी जाता है तब भी ये बच्चे कब तक कुपोषण से उबर पाएंगे, कहा नहीं जा सकता। इसके अलावा 4 से 5 हज़ार बच्चे युद्ध की वजह से विकलांग हो चुके हैं।
जो पत्रकार इज़राइल के क्रूर चेहरे को उजागर कर रहे हैं उन्हें इज़रायली सेना का निशाना बनना पड़ रहा है। जब अल शिफा पर इज़रायली बलों ने कब्ज़ा किया तो अल जजीरा अरबी के सम्पादक इस्माइल अल घोल को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें मारा पीटा गया। अनेक पत्रकार इज़राइल के क्रूर चेहरे को उजागर करते हुए मारे जा चुके हैं।