महिला मजदूरों के शोषण-उत्पीड़न के खिलाफ जंतर-मंतर पर प्रदर्शन

/mahila-majdooron-ke-shoshan-utpidana-ke-khilaaph-jantr-mantr-par-pradarshan

दिल्ली/ प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र द्वारा महिला-मजदूरों पर बढ़ते शोषण-उत्पीड़न के खिलाफ 10 नवंबर 2024, रविवार, को देश की राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन आयोजित किया गया। प्रदर्शन में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली से आई सैकड़ों महिलाओं ने भागीदारी की।
    
कार्यक्रम का संचालन प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र की उपाध्यक्ष नीता और कार्यकारिणी सदस्य ऋचा ने किया।
    
जंतर-मंतर पर आयोजित सभा में शुरुआती वक्तव्य रखते हुए संगठन की महासचिव ने कहा कि मजदूर महिलाएं पुरुष मजदूरों की तरह ही हर क्षेत्र में काम करती हैं। फैक्टरियों में, खेतों में, अस्पताओं में, स्कूलों में, निर्माण स्थलों सहित हर संस्थान में काम करती हैं। यह पूंजीवादी व्यवस्था सारे ही मजदूरों का शोषण करती हैं लेकिन मजदूर महिलाओं का अत्यधिक शोषण-उत्पीड़न करती है।
    
रुद्रपुर-पंतनगर (उत्तराखण्ड) सिडकुल में चल रहे डाल्फिन कंपनी के संघर्ष के बारे में बताते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आज मजदूर महिलाएं इस शोषण-उत्पीड़न के खिलाफ जमकर संघर्ष भी कर रही हैं और अपने पुरुष साथियों के साथ मिलकर एक वर्ग के रूप में एकजुट हो रही हैं।
    
सभा में इंकलाबी मजदूर केन्द्र के अध्यक्ष ने अपने वक्तव्य में कहा कि मौजूदा केंद्र की भाजपा सरकार ने मजदूरों पर हमला करते हुए 29 श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूर विरोधी 4 श्रम संहिताएं पास कर दी हैं। जिसमें मोदी सरकार ने पूंजीपतियों के लिए मजदूरों को रखो व निकालो तथा महिला मजदूरों से रात की पाली में काम कराने जैसी कई छूटें दे दी हैं।
    
बेलसोनिका मजदूर यूनियन के महासचिव अजीत सिंह ने कहा कि आज के समय में ट्रेड यूनियनों में पुरुषों का वर्चस्व है जिसकी वजह से महिला मजदूरों के मुद्दे उनके मांग पत्रों से गायब होते हैं।
    
भेल मजदूर ट्रेड यूनियन से राजकिशोर ने कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार मजदूर अधिकारों पर हमलावर हो रही है। वह पूंजीपतियों के मुनाफे के लिए मजदूरों के सभी अधिकारों पर हमला कर रही है।
    
ठेका मजदूर कल्याण समिति, पंतनगर से मनोज ने कहा कि मौजूदा फासीवादी सरकार मजदूरों के रोजगार और सम्मानजनक जीवन पर लगातार हमला कर रही है। लेकिन मजदूर भी इसके खिलाफ संघर्ष के लिए खुद को तैयार कर रहा है।
    
सभा में क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के नासिर अहमद ने कहा कि भाजपा सरकार अपने फासीवादी एजेंडे के तहत आम मेहनतकश जनता के जनवादी अधिकारों को सीमित करती जा रही है। 
    
आईटीसी फूड श्रमिक यूनियन से आए गोविंद ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र में मजदूरों की  स्थिति लगातार खराब होती जा रही हैं। स्थाई नौकरियां खत्म कर ठेका प्रथा को बढ़ावा दिया जा रहा है।
    
ग्रामीण मजदूर यूनियन से संतोष ने कहा कि आज के दौर में लोकतंत्र का चौथा खंभा कहा जाने वाला मीडिया भी कारपोरेट परस्त हो चुका है और जिसकी वजह से मुख्यधारा की मीडिया मजदूर आंदोलन को कवर नहीं करती।
    
सभा में परिवर्तनकामी छात्र संगठन के अध्यक्ष ने कहा कि इस बढ़ती बेरोजगारी व बढ़ती महंगाई के कारण मजदूर-मेहनतकश वर्ग की हालत बद-से-बदतर होती जा रही है। मजदूर वर्ग के हिस्से के बतौर महिला मजदूरों की हालत और ज्यादा खराब है।
    
सभा में प्रगतिशील भोजनमाता संगठन (उत्तराखंड) की नैनीताल प्रभारी तुलसी ने कहा कि केंद्र सरकार वैसे तो महिलाओं को आगे बढ़ाने के, उनको आत्मनिर्भर बनाने, महिला सशक्तिकरण, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ आदि बड़ी-बड़ी बातें करती है लेकिन स्कीम वर्कर (भोजनमाता, आंगनबाड़ी, आशा वर्कर आदि) को न्यूनतम मानदेय देकर उनका आर्थिक शोषण के साथ-साथ मानसिक उत्पीड़न भी किया जा रहा है।
    
सभा के अंत में प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र की अध्यक्ष बिन्दु गुप्ता ने कहा कि मजदूर वर्ग की मुक्ति स्वयं मजदूर वर्ग का काम है। महिला मजदूर भी मजदूर वर्ग का एक हिस्सा है और उन्हें मजदूर वर्ग के बतौर एकजुट होकर संघर्ष करना होगा।
    
कार्यक्रम में प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की तरफ से फिलिस्तीनी जनता पर इजराइली शासकों द्वारा किए जा रहे हमलों और उसकी वजह से हो रहे भीषण नरसंहार के खिलाफ तथा फिलिस्तीनी जनता के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए फैज अहमद फैज की नज़्म ‘‘मत रो बच्चे’’ पर एक नृत्य नाटिका प्रस्तुत की गई।
    
क्रांतिकारी नौजवान सभा से आर्या ने बात रखते हुए दिल्ली जैसे महानगरों में घरों में काम करने वाली महिलाओं के शोषण-उत्पीड़न के बारे में बताया।
    
गार्गी महिला टीम से बोलते हुए वक्ता ने बात रखते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम महिला के बढ़ते संघर्षों का प्रतीक हैं।
        

-दिल्ली संवाददाता
 

आलेख

/idea-ov-india-congressi-soch-aur-vyavahaar

    
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

/ameriki-chunaav-mein-trump-ki-jeet-yudhon-aur-vaishavik-raajniti-par-prabhav

ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

/brics-ka-sheersh-sammelan-aur-badalati-duniya

ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती। 

/amariki-ijaraayali-narsanhar-ke-ek-saal

अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को